नई दिल्ली: दिल्ली के नीति अनुसंधान संस्थान पहले इंडिया फाउंडेशन (पीआईएफ) ने बुधवार को अपनी एक रिपोर्ट — भारत में रोज़गार और उपभोक्ता कल्याण पर ई-कॉमर्स के शुद्ध प्रभाव का आकलन जारी की.
केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल द्वारा जारी यह रिपोर्ट, भारतीय अर्थव्यवस्था में ई-कॉमर्स की परिवर्तनकारी भूमिका में गहराई से उतरती है, रोज़गार सृजन और उपभोक्ता लाभों पर इसके प्रभाव की जांच करती है. इस लॉन्च के दौरान भारत सरकार के MoSPI के सचिव सौरभ गर्ग भी उपस्थित थे.
रिपोर्ट जारी होने के बाद पीआईएफ के अध्यक्ष और नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने कहा, “ई-कॉमर्स ने भारत के खुदरा परिदृश्य में क्रांति ला दी है. हमारी रिपोर्ट रोज़गार और उपभोक्ता कल्याण पर इसके प्रभाव की डेटा-संचालित समझ प्रदान करती है, जो नीति निर्माताओं और उद्योग हितधारकों के लिए अमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान करता है.”
वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने ई-कॉमर्स के विकास के मध्यम से दीर्घकालिक सामाजिक-आर्थिक प्रभाव को देखने की आवश्यकता दोहराई.
उन्होंने कहा, “मैं इस बात से इनकार नहीं करता कि ई-कॉमर्स की एक भूमिका है, लेकिन हमें ध्यान से सोचना होगा कि वह भूमिका क्या है और यह एक संगठित तरीके से कैसे विकसित हो सकती है.”
सांख्यिकी और कार्यक्रम पहले मंत्रालय के माननीय सचिव सौरभ गर्ग ने डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के विस्तार के लिए सरकार की पहले की सराहना की, जिसने ई-कॉमर्स के सुचारू विस्तार को सक्षम किया है.
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष रोज़गार में ई-कॉमर्स के महत्वपूर्ण योगदान को उजागर करते हैं.
ई-कॉमर्स विक्रेताओं ने 16 करोड़ नौकरियां पैदा की हैं. यह रोज़गार विपणन से लेकर प्रबंधन, ग्राहक सेवा और संचालन, और वेयरहाउसिंग लॉजिस्टिक्स और डिलीवरी तक कौशल स्तरों पर विभिन्न भूमिकाओं में है. इसमें यह भी पाया गया कि ई-कॉमर्स अन्य खुदरा क्षेत्रों की तुलना में महिला श्रमिकों के लिए लगभग दोगुनी संख्या में नौकरियां पैदा करता है.
ई-कॉमर्स का प्रभाव छोटे शहरों में काम करने वाले विक्रेताओं पर भी महत्वपूर्ण है.
रिपोर्ट के अनुसार, छोटे शहरों में 60% विक्रेताओं ने ऑनलाइन बिक्री शुरू करने के बाद से बिक्री और मुनाफे में वृद्धि की सूचना दी है. इनमें से दो-तिहाई से अधिक ने अकेले पिछले साल में ऑनलाइन बिक्री मूल्य और मुनाफे में वृद्धि का अनुभव किया है.
टियर-थ्री बाज़ारों में यह संख्या और भी अधिक थी, जहां 71% विक्रेताओं ने अपने व्यवसायों में अतिरिक्त बिक्री की सूचना दी.
इनमें से कई निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि कुल मिलाकर, ई-कॉमर्स भारत में उपभोक्ता व्यवहार और रोज़गार पैटर्न को बदल रहा है, जिससे एक अधिक मजबूत लेकिन गतिशील खुदरा वातावरण बन रहा है.
गौरतलब है कि 2013 में स्थापित, पहले इंडिया फाउंडेशन एक गैर-लाभकारी थिंक टैंक है जो नीति-केंद्रित अनुसंधान के लिए समर्पित है. फाउंडेशन ई-कॉमर्स सहित महत्वपूर्ण मुद्दों का विश्लेषण करने में सबसे आगे रहा है और इसने भारत में नीति निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.