नई दिल्ली: दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ा विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) दीवाली से पहले देश भर में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) कॉलोनियों, झुग्गी बस्तियों और गांवों में ‘सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देने’ और हिंदू समुदाय से जुड़े ‘जरूरी’ मुद्दों पर चर्चा करने की योजना बना रहा है.
यह लोकसभा चुनावों में बीजेपी के खराब प्रदर्शन को देखते हुए किया जा रहा है. इस चुनाव में एससी/एसटी के लिए आरक्षित कुल 131 लोकसभा सीटों में से बीजेपी सिर्फ 54 सीटें जीतने में ही सक्षम हो पाई जो कि 2019 में 77 थी.
पार्टी नेताओं के अनुसार, संविधान और सरकारी नौकरियों में आरक्षण के लिए विपक्ष के दुष्प्रचार के कारण भाजपा ने एससी/एसटी वोट खो दिए. कांग्रेस नेता राहुल गांधी और इंडिया ब्लॉक ने इन दो मुद्दों को लोकसभा चुनावों में अपने प्रमुख चुनावी मुद्दों का हिस्सा बनाया था.
राहुल द्वारा उठाए गए जाति जनगणना के मुद्दे को हल करने में भाजपा की असमर्थता को भी एससी/एसटी समुदायों के बीच पार्टी की कम संख्या के पीछे एक प्रमुख कारण के रूप में देखा गया.
वीएचपी पदाधिकारियों ने कहा कि देश भर में वीएचपी के 9,000 प्रखण्डों (उपखंडों) में से प्रत्येक में ‘हिंदू सम्मेलन’ आयोजित किए जाएंगे. एक पदाधिकारी ने कहा, “हम सम्मेलन में भाग लेने के लिए समुदाय के सदस्यों और संतों को आमंत्रित करेंगे और धर्म सभा में भी भाग लेंगे, जहां हिंदू समुदाय से संबंधित मुद्दों को उठाया जाएगा.”
विहिप अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि इस कदम से सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने कहा, “लोकसभा चुनावों के दौरान कुछ स्थानों पर जाति हिंदुत्व पर हावी रही जो चिंता का विषय है. यह कार्यक्रम जिसमें संत समाज क्षेत्रों का दौरा करेगा और पदयात्रा भी करेगा, लोगों को उनके दर्शन करने का अवसर देगा.”
आगे उन्होंने कहा, “इसके बाद एक छोटी धर्म सभा होगी जिसमें मंच पर मौजूद एससी और एसटी सहित पूरे समुदाय का प्रतिनिधित्व होगा.” एक अन्य पदाधिकारी ने बताया कि “पदयात्रा के हिस्से के रूप में संत समाज एससी और एसटी समुदाय के सदस्यों के कुछ घरों में जाएगा और भोजन करेगा.”
एक अन्य ने कहा, “हिंदू समुदाय को जाति के आधार पर बांटने की कोशिश की जा रही है. यह लोकसभा चुनाव के दौरान देखने को मिला था, जहां यह कैंपने चलाने की कोशिश की गई थी कि आरक्षण खत्म कर दिया जाएगा, जो कि बिल्कुल भी सच नहीं है. ये पदयात्राएं और सभाएं पूरे हिंदू समुदाय को एक साथ आने और एकजुट होने में मदद करेंगी.”
पदाधिकारियों ने कहा कि संघ परिवार की अन्य शाखाएं, आरएसएस से जुड़े हिंदुत्व संगठन भी कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे.
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