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Friday, 18 October, 2024
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‘अधिकारी कार्यकर्ताओं की नहीं सुनते’ — योगी सरकार में MoS सोनम चिश्ती ने BJP की हार के बाद दिया इस्तीफा

राज्यपाल को लिखे पत्र में चिश्ती, जो यूपी ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड की उपाध्यक्ष भी हैं, ने कहा कि वे इस्तीफा इसलिए दे रही हैं क्योंकि उनकी ‘अंतरात्मा को ठेस पहुंची है’ और उन्होंने अपने विभाग में भ्रष्टाचार का आरोप भी लगाया.

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश किन्नर कल्याण बोर्ड की उपाध्यक्ष सोनम चिश्ती, जो योगी आदित्यनाथ सरकार में राज्य मंत्री (MoS) भी हैं, ने शुक्रवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया.उन्होंने अपने विभाग में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया और नौकरशाहों पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) कार्यकर्ताओं की बात “नहीं सुनने” का आरोप लगाया.

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को लिखे अपने त्यागपत्र में सोनम किन्नर के नाम से मशहूर चिश्ती ने कहा कि वे लोकसभा चुनावों में भाजपा की हार की जिम्मेदारी ले रही हैं और इसलिए इस्तीफा दे रही हैं क्योंकि उनकी अंतरात्मा को ठेस पहुंची है.

चिश्ती ने लिखा, “मैं विभिन्न जिलों/लोकसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी की हार और प्रदर्शन की जिम्मेदारी लेती हूं और मैं राज्य मंत्री के तौर पर पार्टी को मजबूत करने में असफल रही हूं. इसलिए, मैं अपनी अंतरात्मा को ठेस पहुंचने के कारण इस्तीफा दे रही हूं. मैं भाजपा के संगठन को मजबूत करने के लिए काम करना जारी रखूंगी और यूपी भाजपा मुझे जो भी जिम्मेदारी देगी, उसे पूरा करूंगी.” दिप्रिंट ने इस्तीफे की प्रति को देखा है.

दिप्रिंट से बात करते हुए चिश्ती ने अपने विभाग में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए. उन्होंने आगे दावा किया कि जब भी वे पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा उठाई गई किसी भी समस्या को उठाती हैं, तो सरकारी अधिकारी उनकी बात नहीं सुनते.

उन्होंने कहा, “मैंने अपना इस्तीफा इसलिए दिया है क्योंकि मेरे विभाग में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है. जब मेरे विभाग को बजट दिया गया था, तो मेरी सहमति के बिना कुछ कार्य किए गए थे. मेरे बोर्ड में कोई कर्मचारी नहीं है.”

चिश्ती के अनुसार, उन्हें पिछली अखिलेश यादव सरकार के दौरान दिए गए सरकारी आवास के रखरखाव में हुए खर्च का बिल सौंपा गया था.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “अखिलेश यादव सरकार के दौरान मुझे एक घर आवंटित किया गया था, लेकिन इसके रखरखाव पर होने वाले खर्च का एक बड़ा बिल सौंप दिया गया. जब मुझे सरकार द्वारा एक घर आवंटित किया गया है, तो क्या सरकार को इसके रखरखाव पर खर्च नहीं करना चाहिए? सरकार का संपदा विभाग दावा कर रहा है कि समाज कल्याण विभाग खर्च का भुगतान करेगा, जबकि समाज कल्याण विभाग कह रहा है कि योगीजी (योगी आदित्यनाथ का मुख्यमंत्री कार्यालय) भुगतान करेंगे.”

हालांकि, राज्य सरकार ने अभी तक चिश्ती का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है.

चिश्ती का राजनीतिक सफर

नवंबर 2021 में आदित्यनाथ सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर निकाय का गठन किए जाने के बाद चिश्ती को यूपी किन्नर कल्याण बोर्ड का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था. सीएम योगी इसके अध्यक्ष हैं.

पहले अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी की सदस्य रहीं चिश्ती अगस्त 2021 में भाजपा में शामिल हो गई थीं.

उपाध्यक्ष का पद मिलने के बाद, चिश्ती ने कहा था कि उन्होंने अखिलेश को श्राप दिया है कि वे यूपी में कभी सत्ता में नहीं लौटेंगे और भाजपा बहुमत के साथ (2022 के राज्य चुनावों में) फिर से सरकार बनाएगी.

उन्होंने यह भी कहा था कि भाजपा द्वारा मौका दिए जाने पर, वे यादव की हार सुनिश्चित करने के लिए उनके खिलाफ विधानसभा चुनाव लड़ना चाहेंगी.

2014 में चिश्ती ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ अमेठी से लोकसभा चुनाव लड़ा था, जो अब संसद में विपक्ष के नेता हैं.

मीडिया में उन्हें डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के शब्दों को दोहराते हुए उद्धृत किया गया है — कि “संगठन सरकार से ऊपर है”.

मौर्य हाल ही में यूपी के सीएम के साथ कथित मतभेद के कारण सुर्खियों में हैं.

चिश्ती पहले भी यूपी के सिविल सेवकों द्वारा भाजपा कार्यकर्ताओं की बात न सुनने के बारे में मुखर रही हैं.

चिश्ती सुल्तानपुर में किन्नर आश्रम के पीठाधीश्वर का पद भी संभालती हैं और क्षेत्र में उनका बहुत सम्मान हैं, वे यूपी में 5 लाख की आबादी वाले ट्रांसजेंडर समुदाय का चेहरा बनकर उभरी हैं.

2018 में वे सुल्तानपुर जिला न्यायाधीश और कानूनी सेवा प्राधिकरण द्वारा पैरालीगल वालंटियर के रूप में नियुक्त होने वाली राज्य के ट्रांसजेंडर समुदाय की पहली व्यक्ति बनी थीं.

दो साल पहले, चिश्ती ने टिप्पणी की थी कि जब राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन और अन्य सुविधाएं समाप्त कर दी गई हैं, तो सांसदों और विधायकों की पेंशन भी बंद कर दी जानी चाहिए और कहा कि “वर्तमान समय में राजनीति सबसे अच्छा व्यवसाय है”.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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