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Thursday, 21 November, 2024
होमदेश‘मजबूरन मानना पड़ा’ — मुजफ्फरनगर में होटल और दुकानों पर नाम लिखने के आदेश पर मुस्लिमों की प्रतिक्रिया

‘मजबूरन मानना पड़ा’ — मुजफ्फरनगर में होटल और दुकानों पर नाम लिखने के आदेश पर मुस्लिमों की प्रतिक्रिया

मुस्लिम मालिकों और फल विक्रेताओं का दावा है कि पुलिस ने उन पर अपनी दुकानों पर अपना नाम लिखने का दबाव बनाया. यात्रा से पहले मांसाहारी सामान परोसने वाले ढाबे और दुकाने बंद होने लगे हैं.

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मुजफ्फरनगर: कांवड़ यात्रा के मार्ग पर पड़ने वाले खोमचों और खाने-पीने की दुकानों पर मालिकों के नाम लिखने वाले पुलिस के आदेश के मद्देनज़र, जिसे बाद में “स्वैच्छिक” शब्द शामिल करने के लिए संशोधित किया गया था, मुजफ्फरनगर में मुस्लिम मालिक इसका पालन कर रहे हैं, लेकिन बिना अपनी मर्ज़ी से.

खालापार बाज़ार में सड़क किनारे दुकान चलाने वाले शीरमाल विक्रेता मोहम्मद हसन ने कहा, “यह पहली बार है कि लोगों से उनकी दुकानों की पहचान के लिए उनके नाम लिखने के लिए कहा जा रहा है.”

68-वर्षीय ने कहा, “हिंदू और मुसलमान एक-दूसरे की दुकानों से सामान खरीदते हैं. एक के बिना दूसरा अधूरा है, लेकिन इस सरकारी आदेश का एक ही उद्देश्य है — भाई को भाई से अलग करना.”

हसन ने तर्क दिया, “नेमप्लेट लगाने के बाद भी…अगर ग्राहक आते हैं, तो आप उन्हें कैसे रोकेंगे? हमने प्रशासन के आदेश का विरोध नहीं किया. हमने वही किया जो उन्होंने कहा.”

खालापार बाज़ार में दर्जनों दुकानदारों ने अपनी दुकानों पर नेमप्लेट लगा रखी हैं. यहां तक ​​कि फल विक्रेताओं ने भी अपने ठेलों और स्टॉल पर अपने नाम लिखे हैं.

आम बेचने वाले आरिफ अपने ठेले के बगल में खड़े हैं, जिस पर एक सफेद बोर्ड लगा है, जिस पर लिखा है “आरिफ फल”. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “कुछ दिन पहले पुलिस आई और हमसे कहा कि हम अपने ठेले पर अपना नाम लिखें.”

आरिफ करीब 10 साल से फल बेच रहे हैं. उन्होंने कहा, “इस तरह की बात पहले कभी नहीं कही गई. हमें कांवड़ यात्रा के लिए नाम की प्लेट लगाने और यात्रा के बाद उन्हें हटाने के लिए कहा गया है.”

Arif with his fruit cart | Krishan Murari | ThePrint
अपने फल के ठेले के साथ आरिफ | फोटो: कृष्ण मुरारी/दिप्रिंट

कांवड़ यात्रा 22 जुलाई से शुरू होने वाली है और मुजफ्फरनगर में मांसाहारी भोजन बेचने वाले खाने-पीने के ठेले बंद होने शुरू हो गए हैं.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है, “पूरे उत्तर प्रदेश में कांवड़ मार्गों पर खाद्य पदार्थों की दुकानों पर ‘नेमप्लेट’ लगानी होगी. कांवड़ यात्रियों की आस्था की पवित्रता बनाए रखने के लिए यह फैसला लिया गया है. हलाल सर्टिफिकेशन वाले उत्पाद बेचने वालों पर भी कार्रवाई की जाएगी.”

मुस्लिम दुकानदारों का दावा है कि पुलिस प्रशासन ने उन पर नाम दिखाने का दबाव बनाया.

दशकों से कांवड़ यात्रा मार्ग पर चाय की दुकान चलाने वाले शाहिद ने कहा, “दुकान पर पहले से ही मेरे पिता के नाम का बोर्ड लगा हुआ है, लेकिन फिर भी प्रशासन ने हमसे नया बोर्ड लगाने को कहा. हम खुद को वैसा ही दिखा रहे हैं जैसा सरकार चाहती है.”

उन्होंने आगे कहा, “हम हर साल कांवड़ियों की सेवा करते हैं. वे हमारी दुकान पर रुकते हैं और मुझे शाहिद भाई कहते हैं. हमने कभी उनके साथ भेदभाव नहीं किया.”

शाहिद ने कहा, “फलों के ठेलों पर भी नाम लिखे गए हैं. कोई भी फल नहीं बना रहा है, यह पेड़ से आता है, लेकिन मुसलमानों को उन पर भी अपना नाम लिखने के लिए मजबूर किया गया है.”

उन्होंने कहा कि “गलत” होने के बावजूद, प्रशासन के फैसले को स्वीकार करना होगा.

Muslim owners in Muzaffarnagar say they were 'forced' to write their names on their shops | Krishan Murari | ThePrint
मुजफ्फरनगर में मुस्लिम मालिकों ने कहा कि उन्हें अपनी दुकानों पर अपना नाम लिखने के लिए ‘मजबूर’ किया गया | फोटो: कृष्ण मुरारी/दिप्रिंट

मुजफ्फरनगर के उदाहरण का अनुसरण करते हुए, उत्तराखंड के हरिद्वार में पुलिस ने भी इसी तरह के कदमों की घोषणा की है.

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रमोद डोभाल ने शुक्रवार को मीडिया को बताया कि हरिद्वार पुलिस कांवड़ यात्रा के मार्ग पर सभी दुकानों, रेस्तरां, ढाबों और ठेले वालों के मालिक के नाम और क्यूआर कोड की पुष्टि करने और उसे लिखने पर जोर दे रही है.

उन्होंने कहा, “अगर कोई इसका पालन नहीं करता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.”

बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने एक्स पर एक पोस्ट में निर्देश को “असंवैधानिक” करार दिया.

उन्होंने लिखा, “इस तरह से एक विशेष धर्म के लोगों का आर्थिक रूप से बहिष्कार करने का प्रयास अत्यधिक निंदनीय है.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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