लखनऊ: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के लखनऊ में हुए अस्थि विसर्जन कार्यक्रम का खर्च उठाने के लिए सूचना विभाग तैयार हो गया है. दरअसल विसर्जन में हुए खर्च हुए 2.54 करोड़ रुपये की फाइल पिछले 10 महीने से एक आफिस से दूसरे आफिस घूम रही थी. फिर भी कोई बजट देने को तैयार नहीं था. दिप्रिंट ने बुधवार सुबह ये खबर पब्लिश की, तो सरकार के अधिकारियों के होश उड़ गए और मामले को जल्द निपटाने की कोशिशें शुरू हो गईं.
यूपी के सूचना निदेश शिशिर सिंह की ओर से जारी प्रेस नोट में कहा गया कि पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के अस्थि विसर्जन कार्यक्रम का खर्च सूचना विभाग जल्द उठायेगा. एलडीए (लखनऊ डेवलपमेंट अथाॅरिटी) के सचिव को सूचना निदेशक की ओर से ये पत्र जारी किया गया. दिप्रिंट से बातचीत में सूचना निदेशक शिशिर सिंह ने इस बात को कन्फर्म किया. लेकिन, पेमेंट में देरी क्यों हुई इस पर कुछ कहने से इंकार कर दिया. उन्होंने कहा कि ये मामला उनकी जानकारी में आते ही जल्द सुलझाने की बात कही गई थी और उन्होंने कर दिया.
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गोमती नदी के तट पर हुआ था कार्यक्रम
दरअसल, 23 अगस्त 2018 को राजधानी लखनऊ के हनुमान सेतु के पास गोमती नदी के किनारे कार्यक्रम आयोजित हुआ था. इस कार्यक्रम में तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह व सीएम योगी भी शामिल हुए थे. इसमें कुल दो करोड़ 54 लाख 29 हजार 250 रुपये खर्च हुआ था. इस दौरान स्टेज, साउण्ड सिस्टम, लाइटिंग, टेंट, बैरीकेडिंग सहित तमाम कामों में यह रकम खर्च हुई थी. एलडीए (लखनऊ डेवलपमेंट अथाॅरिटी) की ओर से ये व्यवस्था की गई. उस समय इसके लिए बजट नहीं दिया गया था. शासन ने बाद में बजट देने की बात कही थी तबसे फाइल इधर-उधर घूम रही थी.
विशेष विमान से अस्थियां लेकर आए थे राजनाथ
अटल बिहारी वाजपेयी की मृत्यु के बाद तत्कालीन गृहमंत्री व वर्तमान में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह खुद विशेष विमान से अटल की अस्थियां लेकर लखनऊ आए थे. लखनऊ एयरपोर्ट पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ , राज्यपाल राम नाइक, डिप्टी सीएम केपी मौर्य व दिनेश शर्मा सहित योगी सरकार के तमाम मंत्री मौजूद थे. अस्थिकलश यात्रा का गोमती नदी के किनारे समारोह आयोजित था. यहां भी सीएम सहित सभी बड़े नेता व मंत्री मौजूद थे. इसके अलावा बड़ी संख्या में अटल समर्थक भी यहां पहुंचे थे.
एलडीए के सचिव एमपी सिंह ने शासन को नौ जनवरी 2019 को शासन को पत्र लिखा. जिस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो 15 मार्च 2019 को उन्होंने फिर शासन को बजट देने के लिए पत्र लिखा. इस पर शासन के संबंधित सूचना विभाग ने 15 मई 2019 को भेजे पत्र में जवाब दिया कि इस तरह के आयोजन व कार्यक्रम के खर्च के लिए बजट में कोई व्यवस्था नहीं है. एलडीए सचिव एमपी सिंह के मुताबिक पेमेंट के लिए लगातार लिखा पढ़ी की जा रही थी. सूचना विभाग से ही पैसा मिलना है. वित्त विभाग ने भी आपत्तियां लगायी. जब मामला मीडिया में तूल पकड़ा तो सूचना विभाग के अधिकारी जागे और आनन-फानन में प्रेस नोट जारी किया.