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Friday, 1 November, 2024
होमविदेशबढ़ते तनाव के बीच ईरान ने 'घुसपैठी' अमेरिकी जासूसी ड्रोन को मार गिराया

बढ़ते तनाव के बीच ईरान ने ‘घुसपैठी’ अमेरिकी जासूसी ड्रोन को मार गिराया

ईरान ने कहा है कि अमेरिकी ड्रोन को मार गिराना उसके लिए एक साफ संदेश है. हमारी सीमाएं हमारी रेड लाइन हैं और हम किसी भी आक्रामकता के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया देंगे.

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तेहरानः अमेरिका द्वारा ईरान पर आर्थिक प्रतिबंध के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्डस कॉर्प्स (आईआरजीसी) ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि इसने ‘घुसपैठी’ अमेरिकी जासूसी ड्रोन को मार गिराया, जो होरमुज खाड़ी के ऊपर उड़ रह था. बीते महीनों में क्षेत्र में तेहरान व वाशिंगटन के बीच बढ़ते तनावों के बीच यह घटना हुई है. प्रेस टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, आईआरजीसी ने बयान में कहा कि अमेरिका के ‘आरक्यू-4 ग्लोबल हॉक’ को इसकी वायुसेना ने कोह-ए मुबारक क्षेत्र के पास मार गिराया, जो जस्क काउंटी के मध्य जिले में है. ऐसा मानव रहित विमान के ईरान के वायु क्षेत्र का उल्लंघन करने पर किया गया.

लेकिन, अमेरिकी सेना ने कहा कि यह अंतर्राष्ट्रीय जल क्षेत्र के ऊपर था.

समाचार एजेंसी आईआरएनए के अनुसार, आईआरजीसी कमांडर-इन-चीफ मेजर जनरल हुसैन सलमानी ने अमेरिका को चेताया कि उसे ईरान की क्षेत्रीय अखंडता और राष्ट्रीय सुरक्षा का सम्मान करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा, ‘अमेरिकी ड्रोन को मार गिराना अमेरिका के लिए एक साफ संदेश है. हमारी सीमाएं हमारी रेड लाइन हैं और हम किसी भी आक्रामकता के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया देंगे.’


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तेहरान से नया समझौता चाहता है वाशिंगटन : अमेरिकी प्रतिनिधि

वहीं इससे परले ईरान के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि ब्रायन हुक ने बुधवार को मध्य पूर्व में अमेरिका द्वारा उठाए गए हालिया कदम को रक्षात्मक बताते हुए दोहराया था कि वाशिंगटन तेहरान के साथ व्यापक और स्थाई समझौता चाहता है.

समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, हुक ने संसद में सुनवाई के दौरान कहा था, ‘किसी को भी शांति के लिए हमारी इच्छा या रिश्तों को सामान्य करने के लिए हमारी तत्परता पर संशय नहीं करना चाहिए.’ हुक ने विदेशी मामलों की हाउस कमेटी को बताया था कि ईरान के खिलाफ चल रहा दबाव अभियान प्रभावी रहा है, जिसका उद्देश्य ईरान का राजस्व खत्म करना और उसे बातचीत के लिए मजबूर करना है.

गौरतलब है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले साल मई में परमाणु समझौते से अमेरिका को अलग कर दिया था और इस्लामिक गणराज्य पर ऊर्जा और आर्थिक प्रतिबंध दोबारा लगा दिए थे. ईरान के खतरों के बहाने अमेरिका ने पिछले कुछ सप्ताहों में क्षेत्र में भारी मात्रा में सेना तैनात कर दी है. पेंटागन ने सोमवार को मध्य एशिया में 1,000 अन्य सैनिकों को तैनात करने की घोषणा की थी.

वाशिंगटन और तेहरान के बीच तनाव पिछले सप्ताह ओमान की खाड़ी में तेल के दो टैंकरों पर हमले होने और ईरान की 2015 परमाणु समझौते को न मानने की धमकी देने के बाद बढ़ गया.

अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा जारी बयान के अनुसार, हुक ने बुधवार को मध्य एशिया और यूरोप की महत्वपूर्ण यात्रा शुरू की. इस दौरान वे अमेरिका के सहयोगियों और साझेदारों के साथ ईरान मुद्दे पर चर्चा करेंगे.

तैनात किए हैं 1000 सैनिक

वहीं इससे पहले ईरान के साथ अमेरिका का टकराव सेना की तैनाती तक पहुंच गया है. अमेरिका की सरकार ईरान के साथ मौजूदा तनाव के बीच मध्य पूर्व में लगभग 1,000 अतिरिक्त सैनिक तैनात करने का फैसला लिया है. अमेरिका के कार्यकारी रक्षा सचिव पैट्रिक शैनहान ने इसकी घोषणा की है. समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, शैनहान ने सोमवार को दिए एक बयान में कहा, ‘मैंने मध्य पूर्व में वायु, जल और जमीनी खतरों से निपटने के लिए रक्षात्मक उद्देश्य से लगभग 1,000 अतिरिक्त सैनिकों को तैनात करने की अनुमति दे दी है.’

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