लखनऊ: लोकसभा चुनाव के बाद यूपी में सभी राजनीतिक दलों का फोकस 12 सीटों के उपचुनाव और अगले विधानसभा चुनाव पर है. इससे पहले लगभग हर राजनीतिक दल को नए उत्तर प्रदेश चीफ की तलाश है. दरअसल भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडे के केंद्रीय मंत्री बनने के बाद यूपी चीफ का पद खाली हो रहा है. वहीं चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद कांग्रेस व समाजवादी पार्टी में भी नए ‘यूपी चीफ’ की तलाश है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष तो चुनाव परिणाम आने के बाद अपना इस्तीफा ऑफर कर चुके हैं जो अभी स्वीकार नहीं हुआ है.
भाजपा में नए यूपी चीफ की तलाश तेज
भाजपा में अब नए प्रदेश अध्यक्ष के चयन को लेकर कयासबाजी तेज हो गई है. माना जा रहा है कि महेन्द्र नाथ पांडे की जगह उत्तर प्रदेश के ब्राह्मणों को साधे रखने के लिए पार्टी किसी अन्य बड़े ब्राह्मण चेहरे को मौका दे सकती है. यह चेहरा महेश शर्मा होंगे या पार्टी किसी अन्य नए चेहरे को मौका देगी, इसको लेकर अटकलों का बाजार गर्म है. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पार्टी व कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संगठन पदाधिकारियों से मुलाकात की है. इसके अलावा सीएम योगी से भी दिल्ली में उनकी मुलाकात हुई है.
यह भी पढ़ें: यूपी कांग्रेस ऑफिस में चर्चा- जो हार गए वही हारने वालों से पूछ रहे कि हारे क्यों हो?
फिलहाल भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए कई अन्य नामों पर भी चर्चा चल रही है. योगी मंत्रिमंडल में शामिल स्वतंत्रदेव सिंह भी इसमें शामिल हैं. वहीं मोदी सरकार के पिछले मंत्रिमंडल में शामिल रहे मनोज सिन्हा भी इस रेस में हैं. गाजीपुर से चुनाव हारने के बाद उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है लेकिन उनकी मेहनत को देखते हुए उनकी दावेदारी भी मजबूत दिखती है.
कांग्रेस को मिलेगा नया यूपी चीफ
कांग्रेस में राज बब्बर का जाना लगभग तय है. लोकसभा चुनाव में प्रदेश में कांग्रेस महज एक सीट रायबरेली जीत सकी है. कांग्रेस अपने परंपरागत गढ़ अमेठी तक को नहीं बचा सकी पार्टी के सभी दिग्गज नेताओं जितिन प्रसाद, आरपीएन सिंह, अन्नू टण्डन, श्रीप्रकाश जायसवाल, सलमान खुर्शीद को हार का मुंह देखना पड़ा.
खुद प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर को फतेहपुर सीकरी से हार का सामना करना पड़ा. भाजपा के राजकुमार चाहर ने राज बब्बर को तीन लाख से ज्यादा वोटों से चुनाव हराया. इसके बाद राज बब्बर ने यूपी में पार्टी की हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे की पेशकश की है.
सूत्रों की मानें तो यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी व ज्योतिरादित्य सिंधिया संगठन में बड़े फेरबदल के पक्ष में हैं. प्रदेश अध्यक्ष से लेकर जिलाध्यक्ष तक बदले जाएंगे. प्रमोद तिवारी, जितिन प्रसाद, ललितेश त्रिपाठी व अजय कुमार लल्लू का नाम इस रेस में चल रहा है. हालांकि चर्चा ये भी है कि पूर्वी व पश्चिम यूपी के लिए अलग-अलग वर्किंग प्रेजिडेंट बनाए जा सकते हैं. वहीं राज बब्बर का इस्तीफा इस बार स्वीकार होना लगभग तय माना जा रहा है.
सपा भी बदल सकती है प्रदेश अध्यक्ष
लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद अखिलेश यादव पार्टी संगठन में बड़ा फेरबदल कर सकते हैं. हाल ही में हुआ सपा की रिव्यू मीटिंग्स में इस पर विचार भी किया गया है. प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल को भी बदला जा सकता है. इतना ही नहीं सभी फ्रंटल यूनिट के अध्यक्षों और जिलाध्यक्षों को भी बदला जा सकता है.
सूत्र बताते हैं कि, अखिलेश यादव, मुलायम सिंह यादव की तरह ही अब संगठन को मजबूत करेंगे. संगठन का ढांचा ठीक उसी तरह होगा जैसा कभी मुलायम सिंह के समय में हुआ करता था. अखिलेश यादव का अब पूरा फोकस संगठन में बड़े परिवर्तन करने का है.
यह भी पढ़ें: अब संस्कृत भाषा को बढ़ावा देंगे सीएम योगी, प्रेस रिलीज़ संस्कृत में जारी कर दिया संदेश
वहीं शिवपाल यादव को दोबारा से सपा से जोड़ने के प्रयास भी शुरू हो गए हैं. हालांकि शिवपाल अभी इससे मना कर रहे हैं लेकिन पार्टी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि अगर मुलायम सिंह यादव प्रयास करें तो शिवपाल का सपा में अपनी पार्टी का विलय करना संभव हो सकता है. वहीं बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने भी बसपा के संगठन में कई अहम बदलाव की संभावना जताई है.
ऐसे ही संकेत आरएलडी से भी मिल रहे हैं. लोकसभा चुनाव में चौधरी अजीत सिंह और जयंत दोनों चुनाव हार गए. ऐसे में अब संगठन में बड़े फेरबदल की संभावना है. कुल मिलाकर यूपी में हर दल इस वक्त नए चीफ की तलाश में जुट गया है.