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Thursday, 21 November, 2024
होमदेश‘दागी, अधूरी जांच’ — डेरा प्रबंधक हत्या मामले में HC ने दिया राम रहीम को बरी करने का आदेश

‘दागी, अधूरी जांच’ — डेरा प्रबंधक हत्या मामले में HC ने दिया राम रहीम को बरी करने का आदेश

रंजीत सिंह की हत्या में दोषी ठहराए गए राम रहीम और 4 अन्य को सीबीआई जांच में चूक के कारण बरी कर दिया गया, जैसे कि हथियारों या गोलियों की बरामदगी नहीं होना और गवाहों के बयानों की पुष्टि नहीं होना. हालांकि, अन्य मामलों में सजायाफ्ता होने के कारण राम रहीम अभी जेल में रहेगा.

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गुरुग्राम: डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को मंगलवार को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने अपने डेरा प्रबंधक रंजीत सिंह की हत्या के मामले में बरी कर दिया, जिसने अपना फैसला सुनाते हुए “जांच अधिकारी द्वारा अपराध की घटना की दागी और अधूरी जांच” का हवाला दिया. इसके साथ ही चार अन्य दोषियों को भी बरी कर दिया गया.

जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस ललित बत्रा की खंडपीठ ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के विशेष जज सुशील कुमार गर्ग के आदेश के खिलाफ राम रहीम सिंह द्वारा दायर अपील को मंगलवार को स्वीकार कर लिया. अक्टूबर 2021 में गर्ग ने आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश), 302 (हत्या) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत दोषी ठहराया और उसे आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई.

अपने 163 पन्नों के विस्तृत आदेश में पीठ ने जांच को प्रभावित करने वाले मीडिया ट्रायल का ज़िक्र करते हुए कहा, “जांच अधिकारी की बौद्धिक शक्ति मीडिया प्रचार से स्थिर हो गई है, जिसके तहत अपराध की घटना हुई और साथ ही उन्होंने ऐसे सबूत भी एकत्र किए जो विश्वास करने के योग्य नहीं हैं.” राम रहीम और डेरा सच्चा सौदा के पदाधिकारियों जसबीर सिंह, अवतार सिंह, कृष्ण लाल और सुबदिल सिंह को बरी करते हुए पीठ ने यह भी कहा कि “यह मामला कानून की अदालतों द्वारा रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्यों का तीक्ष्ण और वस्तुनिष्ठ विश्लेषण करने की ज़रूरत दो दर्शाता है, बजाय इसके कि उक्त वस्तुनिष्ठ विश्लेषण को मीडिया ट्रायल के जरिए निष्क्रिय करने का प्रयास किया जाए, जो कि अपराध की घटना के संबंध में अभियुक्तों की कथित दोषपूर्ण भूमिका के बारे में बनाया जा रहा है”.

पीठ ने जांच में कई खामियों का भी उल्लेख किया, जिसने इसे दोषपूर्ण बना दिया. अपराध को अंजाम देने में कथित तौर पर इस्तेमाल की गई कार को कभी जब्त नहीं किया गया; तीन गवाहों ने अपने-अपने बयानों में कहा कि चार हमलावरों के पास आग्नेयास्त्र थे, लेकिन सीबीआई ने उनमें से किसी भी हथियार को जब्त नहीं किया; इसके अलावा, सीबीआई ने उस जगह का साइट प्लान तैयार नहीं किया, जहां आरोपियों ने कथित तौर पर हत्या की साजिश रची थी, कशिश रेस्टोरेंट के बारे में कोई सबूत नहीं जुटाए, जहां एक गवाह खट्टर सिंह ने कथित तौर पर दो आरोपियों को हत्या का जश्न मनाते देखा था और रेस्टोरेंट के मालिकों या कर्मचारियों की जांच करने में विफल रही.

अदालत ने आगे कहा, एक गवाह ने कहा कि मृतक को कार में अस्पताल ले जाते समय उसके और दूसरे के कपड़े खून के धब्बों से सने हुए थे, फिर भी जांच अधिकारी ने उनके कपड़ों को सबूत के तौर पर नहीं लिया.

पीठ ने यह भी कहा कि दो प्रमुख गवाहों के यह कहने के बावजूद कि उन्होंने पहले उन्हें नहीं देखा था, आरोपियों की पहचान परेड नहीं हुई; पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृतक के मस्तिष्क में धातु के चार टुकड़े पाए गए, लेकिन सीबीआई ने अभी तक गोली बरामद नहीं की और तीन आरोपियों पर पॉलीग्राफ टेस्ट ने पुख्ता पुष्टि के अभाव में अपनी साक्ष्य क्षमता खो दी.

बरी होने के बाद, डेरा सच्चा सौदा ने एक्स पर एक पोस्ट में अदालत के फैसले की सराहना करते हुए कहा कि डेरा ने हमेशा न्यायपालिका पर भरोसा किया है और न्यायपालिका ने डेरा को न्याय दिया है.

दिसंबर 2003 में सीबीआई द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के अनुसार, डेरा प्रमुख के खिलाफ बलात्कार के आरोपों की जांच करने के लिए एजेंसी को उच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद, रंजीत सिंह की 10 जुलाई 2002 को हरियाणा के कुरुक्षेत्र में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. राम रहीम को संदेह था कि मृतक अपने महिला अनुयायियों के यौन शोषण को उजागर करने वाले एक गुमनाम पत्र के प्रसार के पीछे था.


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राम रहीम के खिलाफ मामले

अक्टूबर 2021 में अपने आदेश में सीबीआई की एक विशेष अदालत ने माना कि यह संदेह से परे साबित हो चुका है कि पत्र के प्रसार से व्यथित राम रहीम ने अन्य आरोपियों के साथ रंजीत सिंह की हत्या की साजिश रची.

डेरा प्रमुख वर्तमान में अपने दो शिष्यों के साथ बलात्कार के लिए 20 साल की जेल की सजा काट रहा है और पत्रकार राम चंद्र छत्रपति की हत्या में दोषी है, जिसके लिए उसे आजीवन कारावास की सजा मिली थी जो 20 साल की सजा समाप्त होने के बाद भी जारी रहेगी. अब वो हरियाणा के रोहतक की सुनारिया जेल में है.

कुरुक्षेत्र निवासी और राम रहीम के सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा में प्रबंधक रंजीत सिंह की हत्या के बाद, पुलिस ने हत्या की जांच में डेरा को क्लीन चिट दे दी थी. हालांकि, पीड़ित के बेटे जगसीर सिंह ने जनवरी 2003 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर केंद्रीय जांच ब्यूरो से जांच की मांग की.

अपनी प्रारंभिक एफआईआर में सीबीआई ने राम रहीम सिंह का नाम नहीं लिया. हालांकि, राम रहीम सिंह के पूर्व ड्राइवर खट्टा सिंह के बयान के आधार पर 2006 में उसका नाम एफआईआर में शामिल किया गया था.

सीबीआई की एक विशेष अदालत ने 2007 में राम रहीम और चार अन्य के खिलाफ आरोप तय किए और अक्टूबर 2021 में पांचों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

रंजीत सिंह राम रहीम के डेरे में प्रबंधक थे, जबकि उनके परिवार के सदस्य डेरा प्रमुख के शिष्य थे. परिवार के लिए चीज़ें तब उलट-पुलट हो गईं, जब 2002 में प्रधानमंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश और अन्य प्रमुख पदाधिकारियों को संबोधित डेरा साध्वियों के यौन शोषण के आरोपों को लेकर गुमनाम पत्र प्रसारित किया गया. इसके तुरंत बाद, रंजीत सिंह ने अपने प्रबंधकीय पद से इस्तीफा दे दिया और अपने परिवार के सदस्यों के साथ डेरा छोड़ दिया.

सीबीआई चार्जशीट के अनुसार, राम रहीम को संदेह था कि रंजीत सिंह, जिनकी बहन भी डेरा साध्वी थी, गुमनाम पत्र को सार्वजनिक करने के पीछे थे. चार्जशीट में कहा गया है कि रंजीत सिंह को डेरे में बुलाया गया और गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी गई. हालांकि, उन्होंने ऐसी भूमिका से इनकार किया.

सिरसा से प्रकाशित होने वाले एक शाम के दैनिक अखबार ‘पूरा सच’ ने गुमनाम पत्र को छापा. 24 अक्टूबर 2002 को ‘पूरा सच’ के संपादक राम चंद्र छत्रपति को डेरा के दो अनुयायियों ने उनके सिरसा स्थित आवास के बाहर गोली मार दी थी. छत्रपति की गोली लगने से 21 नवंबर 2002 को मौत हो गई.

अगस्त 2017 में राम रहीम को बलात्कार के दो मामलों में दोषी ठहराया गया और जनवरी 2019 में पत्रकार राम चंद्र छत्रपति की हत्या के मामले में उसे दोषी ठहराया गया। इसके बाद डेरा प्रमुख ने दोनों ही मामलों में सजा के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील दायर की.

एक अन्य मामले में राम रहीम सिंह पर 400 से अधिक पुरुष अनुयायियों को धार्मिक विश्वास का झांसा देकर उन्हें नपुंसक बनाने के लिए मजबूर करने का आरोप है. उन्हें बताया गया कि ऐसा करने से उन्हें ईश्वर की प्राप्ति होगी.

जुलाई 2012 में डेरा के अनुयायी हंस राज चौहान ने उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि 1999-2000 के दौरान राम रहीम सिंह ने उन्हें और 400 से अधिक अन्य लोगों को नपुंसकता के लिए सर्जरी करवाई थी.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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