नई दिल्ली: दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने सोमवार को एक्साइज पॉलिसी मामले से संबंधित केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) मामलों के संबंध में भारतीय राष्ट्र समिति (बीआरएस) नेता के कविता द्वारा दायर जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया.
विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने सोमवार को आदेश पारित किया और कहा कि ईडी के साथ-साथ सीबीआई मामले में दोनों जमानत याचिकाएं खारिज कर दी गईं. विस्तृत आदेश प्रति की प्रतीक्षा है.
वरिष्ठ वकील डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी, विक्रम चौधरी के साथ वकील नितेश राणा, मोहित राव और दीपक नागर इस मामले में के. कविता की ओर से पेश हुए.
याचिका के माध्यम से, के. कविता ने आरोप लगाया कि केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी याचिकाकर्ता को सार्वजनिक रूप से दिल्ली एक्साइज पॉलिसी से जोड़ने के लिए जांच एजेंसियों का उपयोग कर रही है ताकि उसके खिलाफ आगे की कठोर कार्रवाई की जा सके. जांच एजेंसियां इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं कि याचिकाकर्ता के कथित घोटाले में शामिल होने के आरोप में कोई दम नहीं है. याचिकाकर्ता के खिलाफ कथित जांच के पीछे का इरादा कथित घोटाले में उसकी संलिप्तता का पता लगाना नहीं है, क्योंकि यह स्पष्ट है कि ऐसा कुछ भी मौजूद नहीं है.
“राजनीतिक मास्टरमाइंड अच्छी तरह से जानते हैं कि यदि याचिकाकर्ता का संबंध किसी तरह से कथित घोटाले से जोड़ा जा सके तो इसके जरिए उसे और इस तर्क से उसके पिता, तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री, की छवि को नुकसान पहुंचाया जा सकता है. इस तरह की कार्रवाइयों से प्राप्त राजनीतिक लाभ का उपयोग 2024 के लिए निर्धारित आम चुनावों में किया जा सकता है. यह कथित जांच का एक और एकमात्र मकसद है. जमानत याचिका में कहा गया है कि यद्यपि भारतीय राजनीति के मानक बहुत ऊंचे नहीं हैं फिर भी यह अपने सबसे शर्मनाक स्तर पर किया गया राजनीतिक प्रोपेगैंडा है.
बीआरएस नेता के. कविता को प्रवर्तन निदेशालय ने 15 मार्च, 2024 को और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 11 अप्रैल, 2024 को गिरफ्तार किया था.
इससे पहले, सीबीआई ने रिमांड अप्लीकेशन के जरिए से कहा था कि “तत्काल मामले में कविता कल्वाकुंतला को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत है ताकि उनका सबूतों और गवाहों के साथ सामना कराया जा सके जिससे आरोपियों, संदिग्ध व्यक्तियों के बीच तैयार की गई बड़ी साजिश और कार्यान्वयन के बारे में पता लगाया जा सके.”
अधिकारियों ने कहा कि जुलाई में दायर दिल्ली के मुख्य सचिव की रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर सीबीआई जांच की सिफारिश की गई थी, जिसमें प्रथम दृष्टया जीएनसीटीडी अधिनियम 1991, लेनदेन व्यवसाय नियम (टीओबीआर) -1993, दिल्ली एक्साइज पॉलिसी -2009 और दिल्ली एक्साइज ऐक्ट -2010 का उल्लंघन दिखाया गया था.
ईडी और सीबीआई ने आरोप लगाया था कि उत्पाद शुल्क नीति को संशोधित करते समय अनियमितताएं बरती गईं, लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ दिया गया, लाइसेंस शुल्क माफ कर दिया गया या कम कर दिया गया और सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना एल-1 लाइसेंस का विस्तार किया गया.
जांच एजेंसियों ने कहा कि लाभार्थियों ने आरोपी अधिकारियों को “अवैध” लाभ पहुंचाया और जांच से बचने के लिए उनके खाते की किताबों में गलत प्रविष्टियां कीं.
आरोपों के मुताबिक, उत्पाद शुल्क विभाग ने तय नियमों के विपरीत एक सफल निविदाकर्ता को करीब 30 करोड़ रुपये की धरोहर राशि लौटाने का फैसला किया था.
जांच एजेंसी ने कहा कि भले ही कोई सक्षम प्रावधान नहीं था, फिर भी कोविड-19 के कारण 28 दिसंबर, 2021 से 27 जनवरी, 2022 तक निविदा लाइसेंस शुल्क पर छूट की अनुमति दी गई और राजकोष को 144.36 करोड़ रुपये का कथित नुकसान हुआ.
(एएनआई इनपुट के आधार पर)
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