चूरू: राजस्थान के चुरू से कांग्रेस के उम्मीदवार राहुल कस्वां ने दिप्रिंट को बताया इस आम चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी का नारा — “अब की बार, 400 पार” — ने उन लोगों को डरा दिया है जो मानते हैं कि इस तरह के क्रूर बहुमत से भविष्य में देश से चुनाव कराने की ज़रूरत खत्म हो जाएगी.
भाजपा द्वारा टिकट नहीं दिए जाने के बाद चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हुए कस्वां ने कहा कि कम से कम दो भाजपा सांसदों के शब्दों ने लोगों का ‘डर’ बढ़ा दिया है, जिन्होंने पार्टी में शामिल होने पर भारी जनादेश पाने के लिए संविधान बदलने की बात की है.
कस्वां जो बीजेपी के पैरा-ओलंपियन उम्मीदवार देवेंद्र झाझरिया के खिलाफ हैं, ने कहा, “अगर यह सच है, तो भाजपा को अपने घोषणापत्र में बदलावों की जानकारी देनी चाहिए थी.” कस्वां ने 2014 और 2019 में भाजपा के लिए चुरू निर्वाचन क्षेत्र जीता था. इससे पहले, यह सीट 1999 से 2009 तक उनके पिता राम सिंह कस्वां के पास थी, जो भाजपा के लिए भी थे.
16 अप्रैल को बिहार के गया में एक सार्वजनिक बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी के बारे में बताया गया, जहां उन्होंने कहा था कि न तो मोदी और न ही डॉ. आंबेडकर “संविधान बदल सकते हैं”, कस्वां का जवाब गूढ़ था: “ठीक है, फिर भी वे संदेश प्रभावी रूप से जनता के बीच नहीं पहुंचा है.”
कस्वां ने अपनी पार्टी की संभावना काफी अधिक बताई और भविष्यवाणी की कि कांग्रेस राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों में से 15 सीटें सुरक्षित करेगी.
बीजेपी ने टिकट नहीं दिया
तीसरी बार टिकट नहीं मिलने पर राहुल कस्वां ने पिछले महीने बहुत नाराज़गी के साथ एक्स पर पोस्ट किया, “मेरी गलती क्या थी? क्या मैं ईमानदार नहीं था? क्या मैं मेहनती नहीं था? क्या मैं सच्चा नहीं था? क्या मैं दागी नेता था? क्या मैंने अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास को सुनिश्चित करने में कोई कसर छोड़ी?”
मंगलवार को प्रचार अभियान के दौरान दिप्रिंट के साथ बातचीत में कस्वां ने कहा कि उन्हें कोई जवाब नहीं मिला, भले ही उन्होंने बीजेपी के राज्य नेतृत्व को रोजाना फोन किया. उन्होंने कहा, “कुछ दिनों बाद मुझे बताया गया कि पार्टी मुझे वो सम्मान देगी जिसका मैं हकदार हूं, लेकिन तब राज्य के नेताओं ने मेरे माता-पिता के साथ दुर्व्यवहार किया और केंद्रीय आकाओं ने उन्हें पार्टी में पद दिए.” उन्होंने पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ पर उंगली उठाई, जिन्हें वे ‘काका’ जी कहकर संबोधित करते हैं, क्योंकि राठौड़ तब से भाजपा में हैं, जब कस्वां के पिता संसद के सदस्य थे.
कस्वां ने कहा, “यह सिर्फ यह चुनाव नहीं है. काका जी पिछले 15 साल से मेरे पिता के पीछे पड़े हैं. वे 2014 में सफल हुए और मेरे पिता को टिकट नहीं दिया गया. पार्टी ने स्थिति का आकलन करने के लिए एक प्रभारी नियुक्त किया और किसी तरह मुझे चुनाव लड़ने के लिए चुना गया.”
इस बार मौका नहीं मिलने के बाद कस्वां ने कहा कि उनके वफादारों ने निर्वाचन क्षेत्र में उनके “शानदार रिकॉर्ड” के कारण उनसे कांग्रेस में शामिल होने का आग्रह किया. संयोग से पिछले नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस राज्य में भाजपा से हार गई थी.
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