नई दिल्ली: नेपाल सरकार ने 26 मई को माउंट एवरेस्ट पर फतेह करने का कथित तौर पर झूठा दावा करने वाले तीन भारतीयों पर कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं. ये तीनों ही हरियाणा के रहने वाले हैं. अखबार का दावा है कि ये तीनों ही शिखर पर पहुंचने की कोई तस्वीर नहीं दिखा रहे हैं और शेरपा (गाइड) ने इस बात की पुष्टि की है.
गौरतलब है कि नेपाल के अखबार ‘द हिमालयन टाइम्स’ में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा के जींद ज़िले के गांव सुदकैन खुर्द के विकास राणा, कैथल के करोरा गांव की 21 वर्षीय शोभा बनवाला और हिसार के लालपुरा गांव के 29 वर्षीय अंकुश कसाना ने एवरेस्ट के शिखर पर चढ़ने का झूठा दावा किया है.
अखबार ने छापा है कि उन्होंने इन तीनों पर्वतारोहियों के एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचने की बात को अन्य पर्वतारोहियों और शेरपा व अन्य अधिकारियों से पड़ताल की. सभी ने इन तीनों के शिखर तक पहुंचने की बात को खारिज किया है. इस खबर के छपने के बाद दोनों ही देशों में इस बात चर्चा शुरू हो गई है. कहा जा रहा है कि नेपाल के पर्यटन विभाग ने जांच भी शुरू कर दी है.
दिप्रिंट ने इन तीनों पर्वतारोहियों से बात की. विकास राणा ने बताया, ‘अच्छे समय में कोई नहीं पूछता लेकिन बुरे समय में सब पीछे पड़ जाते हैं. जब मैंने एवरेस्ट पर फतेह किया तो किसी ने नहीं छापा लेकिन अब ये झूठ फैल रहा है तो सभी पूछ रहे हैं और झूठ को फैला रहे हैं.’
वो आगे कहती हैं, सही को सही साबित करने में पूरी जिंदगी लग जाती है. मैंने लगातार एवरेस्ट की अपनी तस्वीरें पोस्ट की हैं. लेकिन जब नेटवर्क नहीं आया तो मैं कोई तस्वीरें नहीं लगा पाई. 28 मई को हम नीचे आए थे. आगे मैं कुछ नहीं बता सकती.’
वहीं अंकुश कसाना ने बताया, ‘मैं एमडीयू में पढ़ाई करता हूं. बहुत परेशान हूं. मेरी देशभर में बदनामी हो रही है. कार्रवाई हो रही है तो होने दो मुझे सच पता है. कुछ लोग हमें बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं. इससे आगे मैं मीडिया को कुछ नहीं बता सकता.’
शोभा का भी कुछ ऐसा ही कहना है. वो कहती हैं, ‘मैं कार्रवाई के लिए तैयार हूं. बाकी किसी को सफाई नहीं देनी.’
तीनों ही जबसे प्रदेश वापस लौटे हैं तबसे ही लोगों के प्यार और उत्साह को देखकर गद-गद हैं. फेसबुक पर गले में गेंदे की मालाओं के भरी तस्वीरों पर बधाइयों का तांता बंधा हुआ है. लेकिन द हिमालयन की रिपोर्ट के बाद इनके लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
गौरतलब है कि अगर तीनों को जांच में दोषी पाया गया तो नेपाल का पर्यटन विभाग इन तीनों पर माउंट एवरेस्ट पर जाने का बैन भी लगा सकता है. अभी मामले की जांच चल रही है. दिप्रिंट ने भी जब चोटी पर पहुंचने की तस्वीरें मांगी तो तीनों ने ही देने से मना कर दिया.
इससे पहले भी इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं जब एवरेस्ट पर फतेह करने के दावे झूठे निकले हैं. 2017 में पुलिस कांस्टेबल दिनेश राठौड़ और उनकी बीवी को एवरेस्ट की चढ़ाई के गलत दावे करने पर फोर्स से निकाल दिया गया था. दोनों पर 10 साल के लिए नेपाल में चढ़ाई करने पर भी रोक लगा दी गई थी.