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Wednesday, 20 November, 2024
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फिल्म अभिनेता और मशहूर रंगकर्मी ज्ञानपीठ से सम्मानित गिरीश कर्नाड का लंबी बीमारी के बाद निधन

वह अपने बेहतरीन माइथोलॉजिकल नाटक और एक्टिंग के लिए याद किए जाएंगे. कर्नाड ने सैंकड़ों कन्नड़ नाटक लिखे और वह कन्नड़ साहित्य के सबसे महत्वपूर्ण प्ले राइटर भी कहे गए.

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नई दिल्ली: पद्म भूषण, और ज्ञानपीठ से सम्मानित एक्टर, डायरेक्टर, लेखक और थियेटर आर्टिस्ट गिरीश कर्नाड का बंगलूरू में सोमवार को निधन हो गया. वह 81 साल के थे. वह पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे. अगर हाल की फिल्मों की अगर बात करें तो वह सलमान खान की फिल्म एक था टाइगर में नज़र आए थे. गिरीश ने पहला नाटक यायाति 1961 में तब लिखा जब वह ऑक्सफोर्ड में पढ़ाई कर रहे थे. वहीं राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाड के निधन पर दुख जताया है.

कर्नाटक सरकार ने किया अवकाश घोषित 

कर्नाटक सरकार ने ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता, बहुभाषी अभिनेता और प्रख्यात लेखक गिरीश कर्नाड के निधन पर उनके प्रति सम्मान के तौर पर राज्य के स्कूलों, कॉलेज और सरकारी दफ्तरों के लिए सोमवार को अवकाश घोषित किया है. साथ ही बुधवार तक 3 दिवसीय राजकीय शोक की भी घोषणा की गई है.

मुख्यमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, ‘कर्नाड के प्रति सम्मान के तौर पर राज्य सरकार ने सभी स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी दफ्तरों के लिए आज (सोमवार) अवकाश और 12 जून तक तीन दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की है.’ उन्होंने आगे कहा, बुधवार को प्रस्तावित मंत्रिमंडल विस्तार को भी स्थगित किए जाने की संभावना है.

राष्ट्रपति ने ट्विटर पर लिखा है, ‘गिरीश कर्नाड, लेखक, अभिनेता और भारतीय रंगमंच के अगुआ के निधन पर दुखी हूं. हमारा सांस्कृतिक संसार आज गरीब है. उनके परिवार और उनके काम के प्रति मेरी संवेदना है.’ पीएम मोदी ने दिग्गज अभिनेता को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए विभिन्न प्लेटफार्मों पर कर्नाड के बहुमुखी अभिनय को रेखांकित किया है.

ट्विटर पर पीएम मोदी ने लिखा है, ‘गिरीश कर्नाड को सभी माध्यमों में उनके बहुमुखी अभिनय के लिए याद किया जाएगा. उन्होंने उनके लिए प्रिय कारणों पर भी भावुकता से बात की. आने वाले वर्षों में उनकी रचनाएं लोकप्रिय बनी रहेंगी. उनके जाने से दुखी हूं. उनकी आत्मा को शांति मिले.’

यायाति नाटक माइथोलॉजिकल किंग पर आधारित था. कर्नाड लगातार ऐतिहासिक और माइथोलॉजिकल कहानियों पर आधारित नाटक लिखा करते थे. कर्नाड ने यायाति के बाद 1964 में तुग़लक लिखा जो 14 वीं शताब्दी के सुल्तान मुहम्मद इब्न तुग़लक पर आधारित नाटक था. वह अपने बेहतरीन माइथोलॉजिकल नाटक और एक्टिंग के लिए याद किए जाएंगे. कर्नाड ने सैंकड़ों कन्नड़ नाटक लिखे और वह कन्नड़ साहित्य के सबसे महत्वपूर्ण प्ले राइटर भी कहे गए. उन्हें भारत के जाने-माने समकालीन लेखक, अभिनेता, फिल्म निर्देशक और नाटककार के तौर पर भी जाना जाएगा. गिरीश के निधन से बॉलीवुड, थियेटर की दुनिया से लेकर लेखक बिरादरी में शोक की लहर दौर गई है. गिरीश कर्नाड की हिंदी के साथ-साथ कन्नड़ और अंग्रेज़ी भाषा पर भी अच्छी खासी पकड़ थी.

गिरीश को उनकी कला के लिए भारत सरकार ने 1974 में पद्मश्री और 1992 में पद्म भूषण से सम्मानित किया. उन्हें साहित्य और थियेटर में किए गए बेहतरीन काम के लिए भारत के सर्वोच्च साहित्य सम्मान ज्ञानपीठ से 1999 से सम्मानित किया गया था. गिरीश कर्नाड के निधन की खबर आते ही सोशल मीडिया में उन्हें याद किया जा रहा है. 19 मई 1938 में मुंबई में पैदा हुए गिरीश ने 1958 में कर्नाटक विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया वहीं ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से उन्होंने एम. ए. तक की पढ़ाई की थी.

गिरीश कर्नाड को याद करते हुए लेखक रामचंद्र गुहा ने उन्हें द क्वाइट पैट्रिओट की संज्ञा दी थी. गिरीश कर्नाड ने अपने करियर की शुरुआत भले ही 1970 के दशक में की हो लेकिन उन्होंने इतना काम कर दिया था कि 1974 में महज 36 साल की उम्र में दे के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किए जाने का सिलसिला शुरू हो गया. 1974 में उन्हें थियेटर में बेहतरीन काम के लिए पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया.

गिरीश ने जितना काम कन्नड़ में किया उतना ही कंट्रीब्यूशन हिंदी में भी रहा है. उन्होंने 1984 में उत्सव फिल्म का निर्देशन भी किया. मल्टी टैलेंटेड गिरीश कर्नाड दूरदर्शन के लिए टर्निंग प्वाइंट नाम का एक साइंस का कार्यक्रम भी होस्ट करते थे. गिरीश कर्नाड उस दौरान वैज्ञानिक यश पाल के सानिध्य में यह कार्यक्रम करते थे.

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