नई दिल्ली: 31 दिसंबर 2014 से पहले बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से भारत आने का प्रमाण और स्व-घोषणा हलफनामे के साथ राष्ट्रीयता और स्थानीय सामुदायिक संस्थान द्वारा जारी पात्रता प्रमाण पत्र भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए ज़रूरी मानदंड हैं. नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) अधिसूचना सोमवार को जारी की गई.
39 पेज के दस्तावेज़ में गृह मंत्रालय (एमएचए) ने तीन पड़ोसी देशों के गैर-मुस्लिम शरणार्थियों के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया के जरिए से भारतीय नागरिकता कैसे प्राप्त की जाए, इसकी प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताया है.
11 दिसंबर 2019 को संसद द्वारा पारित सीएए को देश भर में विरोध प्रदर्शनों की लहर का सामना करना पड़ा था — जिसमें दिल्ली का शाहीन बाग भी शामिल था — क्योंकि पहली बार धर्म को भारतीय नागरिकता की परीक्षा बना दिया गया था.
चूंकि ऐसी आशंकाएं थीं कि इस अधिनियम का उपयोग धार्मिक अल्पसंख्यकों को लक्षित करने के लिए किया जा सकता है, इसलिए दिल्ली और गुवाहाटी जैसे कुछ शहरों में कुछ विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गए.
जबकि मोदी सरकार का कहना है कि यह अधिनियम किसी भी भारतीय की नागरिकता नहीं छीनता है, विपक्षी दलों ने इसे संविधान का बहिष्कार और उल्लंघन करार दिया है. सोमवार को भी ममता बनर्जी, जयराम रमेश और असदुद्दीन ओवैसी सहित विपक्षी नेताओं ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सीएए को नोटिफाई किए जाने की आलोचना की है.
राष्ट्रीयता का प्रमाण
बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान की अपनी राष्ट्रीयता साबित करने के लिए आवेदकों को सीएए की अनुसूची 1ए के तहत गृह मंत्रालय द्वारा सूचीबद्ध 9 दस्तावेज़ में से कोई एक प्रस्तुत करना होगा — पासपोर्ट की एक प्रति; सरकारी प्राधिकारी द्वारा जारी जन्म प्रमाण पत्र; सरकार द्वारा जारी किसी भी प्रकार का पहचान दस्तावेज़; सरकार द्वारा जारी कोई प्रमाणपत्र या लाइसेंस; उनके मूल देश में ज़मीन या किरायेदारी के रिकॉर्ड; उनके माता-पिता या दादा-दादी या परदादा-परदादा देश के नागरिक थे, इसकी पुष्टि करने वाले दस्तावेज़; या सरकार द्वारा जारी कोई अन्य दस्तावेज़ जो यह स्थापित करता हो कि वे सक्षम प्राधिकारी के समक्ष नागरिकता प्रपत्रों के साथ तीन देशों से आए थे.
एमएचए ने अधिसूचना में कहा, इसके अलावा, वे भारत के विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण अधिकारी (एफआरआरओ) या विदेशी पंजीकरण अधिकारी (एफआरओ) द्वारा जारी रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र या आवासीय परमिट प्रस्तुत करके भी अपनी राष्ट्रीयता साबित कर सकते हैं.
मंत्रालय ने उन अप्रवासियों के लिए इसे आसान बनाते हुए जिनके राष्ट्रीयता दस्तावेज़ या तो समाप्त हो गए हैं या जल्द ही समाप्त होने वाले हैं, इन दस्तावेज़ को उनकी वैधता अवधि के बावजूद वैध माना जाएगा.
सक्षम प्राधिकारी
गृह मंत्रालय ने नागरिकता अधिनियम की धारा 6 बी के तहत रजिस्ट्रेशन या देशीयकरण द्वारा नागरिकता प्रदान करने के लिए सक्षम प्राधिकारी के रूप में राज्य स्तर पर चार सदस्यों और दो आमंत्रितों और जिला स्तर पर दो सदस्यों और दो आमंत्रितों की एक अधिकार प्राप्त समिति बनाई है.
राज्य स्तर पर अधिकार प्राप्त समिति में केंद्र के पांच प्रतिनिधि और राज्य या केंद्र शासित प्रदेश का एक प्रतिनिधि शामिल होगा.
गृह मंत्रालय ने आगे कहा कि जिला-स्तरीय समिति आवेदकों द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज़ का सत्यापन करेगी और आवेदक की घोषणा और सत्यापन रिपोर्ट के साथ फाइलों को राज्य-स्तरीय अधिकार प्राप्त पैनल को भेजेगी.
अधिकार प्राप्त समिति तब पंजीकरण या देशीयकरण के आधार पर नागरिकता प्रदान करेगी और गृह मंत्रालय या सुरक्षा एजेंसियों के लिए सुलभ रिकॉर्ड बनाए रखेगी. गृह मंत्रालय ने समिति को किसी भी आवेदक की उपयुक्तता के बारे में पूछताछ करने का अधिकार दिया, जिसमें सुरक्षा एजेंसी से रिपोर्ट मांगना भी शामिल है जो ऑनलाइन प्रारूप में प्रदान की जाएगी.
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प्रवेश का प्रमाण
अगली अनुसूची 1बी में गृह मंत्रालय ने 17 दस्तावेज़ सूचीबद्ध किए हैं जिन्हें आवेदकों को यह साबित करने के लिए प्रस्तुत करना होगा कि उन्होंने 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश किया था.
दस्तावेज़ में भारत में उनके आगमन के समय वीज़ा और इमिग्रेशन टिकट की एक प्रति शामिल है; सरकार द्वारा जारी दस्तावेज़ और लाइसेंस जैसे ड्राइविंग लाइसेंस और आधार; किसी कोर्ट या सरकार द्वारा आवेदक को टिकट के साथ जारी किया गया कोई पत्र; आवेदक का राशन कार्ड; भारत में जारी आवेदक का जन्म प्रमाण पत्र; आवेदक का ज़मीन या किरायेदारी प्रमाण पत्र; कार्ड जारी करने की तारीख दर्शाने वाला पैन दस्तावेज़; बीमा पॉलिसियां, विवाह प्रमाणपत्र, स्कूल छोड़ने का प्रमाणपत्र, आदि.
गृह मंत्रालय ने गजट अधिसूचना में कहा, ‘‘दस्तावेज़ से यह स्थापित होना चाहिए कि आवेदक ने 31.12.2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश किया था.’’
इसमें कहा गया है कि कोई भी दस्तावेज़ यह साबित करने के लिए पर्याप्त होगा कि आवेदक ने अधिनियम की समय सीमा से पहले भारत में प्रवेश किया था.
स्व-घोषणा, पात्रता प्रमाण पत्र
अपनी राष्ट्रीयता के प्रमाण और भारत में अपने प्रवेश की तारीखों के अलावा, आवेदकों को स्थानीय स्तर पर प्रतिष्ठित सामुदायिक संस्थान द्वारा जारी ‘‘पात्रता प्रमाण पत्र’’ के साथ राजपत्र में एमएचए द्वारा निर्धारित प्रारूप में एक घोषणा भी जमा करनी होगी.
घोषणा प्रक्रिया के हिस्से के रूप में आवेदकों को नागरिकता आवेदन के समय अपना पूरा पता, जहां वे रह रहे हैं, विस्तार से देना होगा और साथ ही अपने मूल देश में अपना अंतिम पता भी देना होगा.
इसके अलावा, उन्हें अपने धर्म के अनुसार, अपनी पहचान बतानी होगी और भारत में प्रवेश करने की तारीख दोहरानी होगी. इस हलफनामे को न्यायिक मजिस्ट्रेट या कार्यकारी मजिस्ट्रेट या शपथ आयुक्त या नोटरी पब्लिक द्वारा सत्यापित करवाना ज़रूरी होगा.
पात्रता प्रमाण पत्र के लिए आवेदकों को स्थानीय रूप से प्रतिष्ठित सामुदायिक संस्थानों से संबंधित भारतीय नागरिकों की ज़रूरत होती है जो उनकी राष्ट्रीयता और धर्म के आधार पर उनकी पहचान और पुष्टि कर सकें. इसमें कहा गया है कि नागरिकता भारत में उनके प्रवेश की तारीख से पूर्वव्यापी रूप से प्रदान की जाएगी.
इससे पहले दिन में गृह मंत्रालय ने एक्स पर पोस्ट किया था कि आवेदन एक समर्पित पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन किए जाएंगे.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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