पटना: बिहार के विधायक मनोज मंजिल को आठ साल पुराने हत्या के एक मामले में मंगलवार को उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई.
आरा एमपी-एमएलए कोर्ट के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश, संतेंद्र सिंह ने मंजिल के अलावा 23 और लोगों को दोषी ठहराया और सज़ा सुनाई और उनमें से 22 को उम्रकैद हुई. मुकदमे के दौरान एक आरोपी की मौत हो गई.
अदालत ने सीपीआई (एमएल) विधायक पर 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया.
मंज़िल, को तुरंत हिरासत में ले लिया गया था, अब फैसले के बाद उसकी विधायकी खोने का जोखिम है.
सभी आरोपियों को 2015 में आरा के बड़गांव निवासी जय प्रकाश सिंह की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था. उसकी पीट-पीटकर हत्या कर दी गई और शव को गांव के बाहर नहर में फेंक दिया गया.
बाद में सिंह के बेटे चंदन कुमार ने मनोज मंजिल समेत 24 लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कराया.
यह हत्या स्पष्ट रूप से सीपीआई (एमएल) नेता, सतीश यादव की हत्या के प्रतिशोध में थी, जिनकी 20 अगस्त, 2015 को अजीमाबाद, आरा में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
2020 के चुनाव में मंजिल को आरा की अगिआंव सीट से जेडीयू के प्रभुनाथ प्रसाद को 48,550 वोटों से हराकर पहली बार विधायक चुना गया. वे बिहार की खराब शिक्षा व्यवस्था के खिलाफ अपने ‘स्कूल पर सड़क आंदोलन’ के लिए चर्चा में था.
मंगलवार को सजा सुनाए जाने के बाद, सीपीआई (एमएल) के राज्य मीडिया प्रभारी कुमार परवेज ने कहा कि यह “भाजपा की करतूत” है.
उन्होंने कहा, “भाजपा नहीं चाहती कि कोई दलित, पिछड़े वर्ग और मजदूरों की आवाज उठाए. ये बिल्कुल गलत फैसला है. उस मामले से मनोज मंजिल का कोई लेना-देना नहीं है. सरकार हमें डराने के लिए ऐसा कर रही है. इसके खिलाफ हम हाई कोर्ट जाएंगे. वे निर्दोष हैं. उनकी एकमात्र गलती यह है कि वे गरीबों की आवाज़ उठाते हैं.”
संयोग से, भाजपा अपने पूर्व सहयोगी, जदयू अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अपने पाले में लौटने और विधानसभा में गठबंधन का बहुमत साबित करने के बाद बिहार में सत्ता में वापस आ गई है.
(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)
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