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Thursday, 21 November, 2024
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सरकारी आवास कालोनियां ऊंची इमारतें बनाने का रास्ता है, केंद्र के पुनर्विकास योजना से कैसे बदलेगी दिल्ली

2014 के बाद से, मोदी सरकार ने राजधानी में महत्वाकांक्षी 7GPRA सहित 5 प्रमुख पुनर्विकास परियोजनाओं को मंजूरी दी है. विशेषज्ञों का मानना है कि खाली ज़मीन की कमी के कारण पुनर्विकास आवश्यक हो जाता है.

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नई दिल्ली: 12 टावरों वाला 10 मंजिला वर्ल्ड ट्रेड सेंटर, जिसके अगले कुछ महीनों में तैयार होने की उम्मीद है, ने दक्षिणी दिल्ली के नौरोजी नगर में एक मंजिला, जर्जर सरकारी आवास कॉलोनियों की जगह ले ली है. यह केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए आवासीय क्वार्टरों वाले कम भीड़ वाले पड़ोस के बीच है.

इस मेगा वाणिज्यिक परिसर के लिए रास्ता बनाने के लिए 25 एकड़ जमीन खाली करने के लिए 600 से अधिक एकल मंजिला सरकारी फ्लैटों को तोड़ दिया गया था, जो दक्षिणी दिल्ली में स्थित सात जनरल पूल रेसिडेन्शियल एकोमोडेशन (जीपीआरए) कॉलोनियों, या सरकारी आवास कॉलोनियों के पुनर्विकास की मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना का हिस्सा है.

7GPRA पुनर्विकास परियोजना के हिस्से के रूप में, सरोजिनी नगर, नौरोजी नगर, कस्तूरबा नगर, नेताजी नगर, श्रीनिवासपुरी, मोहम्मदपुर और त्यागराज नगर में सरकारी आवासीय कॉलोनियों का पुनर्विकास किया जा रहा है.

GPRA redevelopment project at Sarojini Nagar | Danishmand Khan | ThePrint
सरोजिनी नगर में जीपीआरए पुनर्विकास परियोजना | दानिशमंद खान | दिप्रिंट

वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के अनुसार, केंद्रीय आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय (एमओएचयूए) पांच और कॉलोनियों के पुनर्विकास की योजना बना रहा है – जिसमें लोधी कॉलोनी, मंदिर मार्ग पर डीआईजेड क्षेत्र और एंड्रयूज गंज शामिल हैं. इन सभी का निर्माण 4-5 दशक पहले किया गया था, क्योंकि वहां के आवास बहुत खराब हालत में थे.

मंत्रालय ने संसद सदस्यों के लिए नए फ्लैटों के निर्माण के लिए लुटियंस दिल्ली में सरकारी बंगलों और कॉलोनियों का पुनर्विकास भी किया है.

मध्य और दक्षिणी दिल्ली में सरकारी आवास कॉलोनियों – विशेषकर आवासीय कॉलोनियों के पुनर्विकास की दिशा में मोदी सरकार का जोर अगले कुछ वर्षों में राजधानी के रूप को बदलने के लिए तैयार है. पुरानी, खराब हालत वाली सरकारी कॉलोनियां, जिनमें एक से लेकर अधिकतम तीन मंजिल तक की जगहें हैं, यहां से गायब हो जाएंगी, जिससे ऊंची इमारतों के विकास का रास्ता साफ हो जाएगा और अन्य बुनियादी ढांचे के विकास के लिए कुछ जगह खाली हो जाएगी.

शहरी क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि जमीन की कमी के कारण राजधानी में आवास की कमी को पूरा करने का यही तरीका है.

केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) के पूर्व महानिदेशक प्रभाकर सिंह ने दिप्रिंट को बताया, “इनमें से अधिकांश आवासीय कॉलोनियों में बड़े क्षेत्र में कम ऊंचाई पर विकास हुआ है. अब इनका रखरखाव करना एक बड़ी चुनौती बन गया है, क्योंकि इनका निर्माण दशकों पहले किया गया था. इन कॉलोनियों का पुनर्विकास प्रमुख भूमि का सही और अच्छा उपयोग करने का अवसर प्रदान करता है.”

Workers at an ongoing GPRA redevelopment project | Danishmand Khan | ThePrint
जीपीआरए पुनर्विकास परियोजना के दौरान काम करते कर्मचारी | दानिशमंद खान | दिप्रिंट

सीपीडब्ल्यूडी केंद्र सरकार की निर्माण शाखा है और आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के अंतर्गत आती है, और इसके निदेशक के रूप में, प्रभाकर सिंह 7GPRA परियोजना और अन्य प्रमुख पुनर्विकास परियोजनाओं की योजना में शामिल थे.

पिछले कुछ वर्षों में, केंद्र सरकार ने कई पुनर्विकास परियोजनाओं को मंजूरी दी है जिसके परिणामस्वरूप राजधानी के केंद्र में ऊंची इमारतों का निर्माण होगा. शहरी विकास विशेषज्ञों का कहना है कि ये दिल्ली को एक अधिक कॉम्पैक्ट शहर के रूप में विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, क्योंकि कम भीड़ वाला विकास अधिक लोगों को समायोजित करने के लिए ऊंची इमारतों के लिए रास्ता बनाएगा.

दिप्रिंट ने टिप्पणी के लिए मंत्रालय से संपर्क किया है. प्रतिक्रिया मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.


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मध्य दिल्ली में विकास

जबकि न्यू मोती बाग में सरकारी कॉलोनी का पुनर्विकास 2012 में पूरा हुआ था और पूर्वी किदवई नगर (जो 2018 में पूरा हुआ था) के पुनर्विकास की कल्पना यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान की गई थी, और 2014 में एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद कई बड़े पैमाने पर पुनर्विकास परियोजनाओं को मंजूरी दी गई थी.

A majority of redevelopment projects were sanctioned after the NDA government came to power in 2014 | Danishmand Khan | ThePrint
2014 में एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद अधिकांश पुनर्विकास परियोजनाओं को मंजूरी दी गई थी | दानिशमंद खान | दिप्रिंट

2014 के बाद से कई प्रमुख पुनर्विकास परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिसमें 7GPRA, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन, एम्स और लगभग 13,000 करोड़ रुपये की सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना शामिल हैं.

पूर्वी किदवई नगर, 2020 में पूरा हुआ, और सात जीपीआरए कॉलोनियों में से दो – त्यागराज नगर और मोहम्मदपुर दोनों पिछले साल पूरे हुए, जिन्हें मध्य और दक्षिण दिल्ली में उच्च-घनत्व विकास के लिए शुरू किया गया था.

दिल्ली शहरी कला आयोग (डीयूएसी) ने 2020 में ‘जीपीआरए कॉलोनियों के पुनर्विकास के लिए रणनीतियां’ शीर्षक से एक शहर स्तरीय अध्ययन में कहा, दिल्ली में 207 सरकारी आवास कॉलोनियां हैं. इनमें से 14 कॉलोनियां, जैसे देव नगर, काली बाड़ी, एंड्रयू गंज, सादिक नगर और लोधी कॉलोनी, जो ज्यादातर मध्य और दक्षिण दिल्ली में हैं, निकट भविष्य में पुनर्विकास के लिए केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) की संभावित पसंद हो सकती हैं.

दिल्ली शहरी कला आयोग (डीयूएसी), जो आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के अंतर्गत आता है, दिल्ली के सौंदर्यशास्त्र को संरक्षित, विकसित बनाए रखने में सरकारी मदद की सलाह देने के लिए एक वैधानिक निकाय है.

The Modi government’s push towards the redevelopment of government housing colonies in central and south Delhi is set to alter the capital's skyline in the next few years | Danishmand Khan | ThePrint
2014 में एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद अधिकांश पुनर्विकास परियोजनाओं को मंजूरी दी गई थी | दानिशमंद खान | दिप्रिंट

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि 7 जीपीआरए के बाद, एमओएचयूए 2-3 और सरकारी कॉलोनियों के लिए प्रस्ताव तैयार कर रहा है. पिछले साल, मंत्रालय ने पांच कॉलोनियों – एंड्रयूज गंज, डीआईजेड एरिया (मंदिर मार्ग), पुष्प विहार (दक्षिणी दिल्ली), तिमारपुर (उत्तरी दिल्ली), और लोधी रोड (लोधी कॉलोनी) का सर्वेक्षण करवाया था ताकि उनके पुनर्विकास की संभावना का पता लगाया जा सके.

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, “इन कॉलोनियों में आवास स्टॉक जर्जर हालत में है और उनका पुनर्विकास ही एकमात्र विकल्प है. योजना शुरुआती चरण में है और हम दक्षिणी दिल्ली में 2-3 कॉलोनियों के लिए प्रस्ताव तैयार कर रहे हैं.”

सीपीडब्ल्यूडी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, नई परियोजनाओं की योजना बनाई जा रही है, पांच अन्य सरकारी कॉलोनियां जो 7जीपीआरए परियोजना का हिस्सा हैं, दिसंबर 2025 तक तैयार हो जाएंगी. मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि इनमें से तीन कॉलोनियों (नौरोजी नगर, सरोजिनी नगर और नेताजी नगर) का पुनर्विकास एनबीसीसी इंडिया द्वारा किया जा रहा है – एक सार्वजनिक उपक्रम जो रियल एस्टेट और पुनर्विकास में माहिर है और MoHUA के अंतर्गत आता है, बाकि को सीपीडब्ल्यूडी द्वारा विकसित किया जा रहा है.

इन सात कॉलोनियों में 12,000 से अधिक आवास इकाइयों – ज्यादातर एक या दो मंजिला अपार्टमेंट को ऊंची इमारतों और मेगा वाणिज्यिक केंद्र में 19,000 से अधिक फ्लैटों के लिए रास्ता बनाने के लिए डेमोलिश किया गया था.

एनबीसीसी इंडिया के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के.पी. महादेवस्वामी ने कहा कि पुनर्विकास के माध्यम से, नियोजित विकास सुनिश्चित करने के लिए अप्रयुक्त स्थानों का अच्छा उपयोग किया जा सकता है.

उन्होंने कहा, “7GPRA में, सरकारी खजाने पर कोई वित्तीय बोझ नहीं है क्योंकि पूरी परियोजना लागत वाणिज्यिक घटक से वसूल की जाएगी जो नौरोजी नगर और सरोजिनी नगर के कुछ हिस्सों में विकसित की जा रही है.”

एनबीसीसी इंडिया के अनुसार, वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में अब तक 23.92 लाख वर्ग फुट वाणिज्यिक स्थान 9,657 करोड़ रुपये में बेचा गया है.

दिल्ली के स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर के प्रोफेसर और डीयूएसी के पूर्व अध्यक्ष पी.एस.एन. राव ने कहा कि दिल्ली में पर्याप्त खाली जमीन की कमी के कारण मौजूदा संपत्तियों का पुनर्विकास जरूरी हो गया है.

उन्होंने कहा, “निर्मित स्थानों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए, हमें लंबवत जाना होगा और पुनर्विकास ही एकमात्र विकल्प है. बड़े पैमाने पर भूमि खंड हैं जो काम में आते हैं और मेट्रो और सड़क परिवहन से अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं.”

केंद्र सरकार अपनी आवासीय कॉलोनियों का पुनर्विकास कर रही है, निजी डेवलपर्स का कहना है कि पुरानी आवासीय सोसाइटियों के पुनर्विकास का समर्थन करने के लिए नीति में बदलाव की आवश्यकता है, जो द्वारका, रोहिणी और पूर्वी दिल्ली जैसे क्षेत्रों में ज्यादातर तीन या चार मंजिला हैं.

नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल के दिल्ली चैप्टर के अध्यक्ष हर्ष वर्धन बंसल, जो भारत का शीर्ष रियल-एस्टेट उद्योग निकाय जो MoHUA के अंतर्गत आता है – ने दिप्रिंट को बताया कि दिल्ली में पुनर्विकास की क्षमता वाली कई निजी आवासीय सोसायटी हैं, लेकिन निजी डेवलपर्स आगे नहीं आते क्योंकि आवासीय सोसायटी का पुनर्विकास करते समय आवासीय इकाइयों की संख्या बढ़ाने पर प्रतिबंध है.

उन्होंने कहा, “पुनर्विकास के बाद भी आवास इकाइयों की संख्या वही रहेगी. यह मुंबई के विपरीत है, जहां “निजी डेवलपर्स को वाणिज्यिक क्षेत्रों के साथ-साथ अधिक फ्लैट बनाने की अनुमति है.”

उन्होंने कहा, “निजी क्षेत्रों के पुनर्विकास के लिए नियमों को आसान बनाने की जरूरत है.”

सांसदों के लिए आवास

मोदी सरकार ने संसद सदस्यों के लिए आवास उपलब्ध कराने के लिए लुटियंस दिल्ली सहित मध्य दिल्ली में कुछ पुनर्विकास परियोजनाएं भी शुरू की हैं.

2020 में, प्रधानमंत्री मोदी ने लुटियंस दिल्ली में डॉ. बिशंबर दास मार्ग पर 76 फ्लैटों (13 मंजिला इमारतों में) का उद्घाटन किया, जिनका निर्माण आठ दशकों से अधिक पुराने आठ बंगलों को तोड़कर किया गया था.

एक साल पहले नॉर्थ एवेन्यू में सांसदों के लिए मौजूदा फ्लैटों को तोड़कर 36 डुप्लेक्स फ्लैट बनाए गए थे.

वर्तमान में, सीपीडब्ल्यूडी एक पुरानी सरकारी कॉलोनी का पुनर्विकास करके डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के सामने सांसदों के लिए 180 से अधिक फ्लैट (23 मंजिला इमारतों में) का निर्माण कर रहा है. इस परियोजना को 2022 में मंजूरी दी गई थी.

सीपीडब्ल्यूडी अधिकारियों के अनुसार, पुनर्विकास परियोजना के लिए 245 से अधिक सरकारी आवासीय क्वार्टरों को तोड़ दिया गया.

जबकि 2019 में मौजूदा डेमोलिशन के बाद नॉर्थ एवेन्यू में सांसदों के लिए 36 डुप्लेक्स फ्लैटों का निर्माण किया गया था, लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक साउथ एवेन्यू और नॉर्थ एवेन्यू के पुनर्विकास की योजना को अंतिम रूप नहीं दिया है.

(संपादन: अलमिना खातून)
(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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