गुवाहाटी: असम इकाई के पूर्व महासचिव अपूर्ब भट्टाचार्जी ने कहा कि 13वें नॉर्थ कछार हिल्स ऑटोनोमस कॉउंसिल (एनसीएचएसी) चुनाव में कांग्रेस के शून्य रहने के कारणों में अहंकार, दिशाहीन नेतृत्व और अपरिवर्तित व्यवहार शामिल है.
भट्टाचार्जी ने दिप्रिंट को बताया कि उन्हें शनिवार को पार्टी छोड़ने और अपना इस्तीफा सौंपने के लिए मजबूर किया गया था.
विपक्षी दल के लिए दोहरी मार क्या हो सकती है, यह अटकलें दीमा हसाओ प्रभारी भट्टाचार्जी के असम गण परिषद (एजीपी) में फिर से शामिल होने की हैं, जहां से उन्होंने राजनीति में कदम रखा था.
उत्तरी कछार हिल्स में खराब चुनाव अभियान पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस चुनाव को महत्व देने में विफल रही और उसके पास कोई योजना नहीं थी.
उन्होंने कहा, “कुछ हद तक, ऐसी परिषदों या स्वायत्त परिषद चुनावों में यह एक परंपरा है – वे हमेशा सत्तारूढ़ दल के साथ रहना पसंद करते हैं. यह बिल्कुल स्वाभाविक है. जब कांग्रेस सत्ता में थी, तो सभी परिषदें, विकासात्मक परिषदें उसके साथ थीं.”
“लेकिन सबसे मजबूत विपक्ष होने के नाते जो सत्ता में वापस आना चाहता है, मुझे ज़मीन पर कोई योजना नहीं दिखी. वे इस चुनाव को महत्व देने में विफल रहे. तो फिर मेरे बलिदान का क्या उपयोग?”
28 NCHAC निर्वाचन क्षेत्रों के लिए मतदान 8 जनवरी को हुआ था और परिणाम शुक्रवार को घोषित किए गए. भाजपा ने 25 सीटें जीतीं, जबकि बाकी तीन सीटें निर्दलीयों के खाते में गईं. छह सीटों पर भाजपा निर्विरोध जीत गई. टीएमसी, आप और बीजेपी की सहयोगी एजीपी को कोई सीट नहीं मिली, जिससे संकेत मिलता है कि ‘बाहरी लोगों’ को पहाड़ियों में जगह नहीं मिल रही है.
भाजपा ने 2019 में 19 सीटें जीतने के बाद एनसीएचएसी प्रशासन की कमान संभाली. उस समय, कांग्रेस के पास दो सीटें थीं, जबकि अन्य अधिकांश सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों के पास गईं थी.
कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद और बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद के अलावा, एनसीएचएसी असम में छठी अनुसूची के तहत तीसरी आदिवासी परिषद है, जहां भाजपा सत्ता में है और अपने दम पर या छोटे क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन में है.
राज्य और केंद्रीय नेताओं के अहंकार की ओर इशारा करते हुए, भट्टाचार्जी ने कहा कि पार्टी कभी भी सत्ता में वापसी का रास्ता नहीं खोज पाएगी.
उन्होंने कहा, “कांग्रेस में शामिल होने के बाद से, मैंने देखा है कि वे वास्तविकता को नहीं समझ रहे हैं. यदि आप दिशा के विपरीत तैरना चाहते हैं, तो आपको ऐसा करने के लिए आवश्यक ताकत हासिल करनी होगी और एक उचित योजना बनानी होगी. लेकिन ऐसी किसी योजना की कल्पना कभी नहीं की गई थी, और मैं राज्य और केंद्रीय नेतृत्व को यह बात बताने में भी विफल रहा. दरअसल, वे सुनने को तैयार नहीं थे.”
“हम यहां पैदा हुए और पले-बढ़े है, लेकिन बावजूद इसके आलाकमान को लगता है कि वह सब कुछ जानते हैं. उन्हें राज्य के माहौल या जनसांख्यिकी के बारे में कोई जानकारी नहीं है. मैं उनसे तंग आ चुका था. यदि वे वास्तविकता और मेरे दर्द को सुनने के लिए तैयार नहीं, तो उन्हें अपने भविष्य की कोई चिंता नहीं है. चुनाव हारने के बाद भी उन्होंने अपना व्यवहार नहीं बदला. पार्टी के लिए वापसी करना अब असंभव है.”
इस बीच, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर कहा कि राज्य भाजपा नेतृत्व दिमा हसाओ में ईसाई मतदाताओं के समर्थन से उत्साहित है.
Thank you Dima Hasao!
The resounding mandate given by the people to @BJP4Assam in the North Cachar Hills Autonomous Council elections is a reassertion of the immense faith they have on the developmental agenda of Hon’ble Prime Minister Shri @narendramodi ji.
This victory… pic.twitter.com/P70KMkZKID
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) January 12, 2024
भाजपा के राज्य प्रवक्ता दीवान ध्रुबज्योति मोरल ने कहा, “उत्तरी कछार हिल्स में ईसाई मतदाताओं ने पीएम मोदी के तहत ‘सबका साथ, सबका विकास’ को वास्तविकता में बदलने के लिए हमें स्वीकार किया है. कांग्रेस सरकार के दौरान पहाड़ियों में मूल असमिया लोग लंबे समय से विकास से वंचित रहे हैं.”
“इसके अलावा, सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने अपनी विकास पहलों के साथ मानक बढ़ाया, कांग्रेस शून्य वोटों के साथ विदा हो गई. यह कांग्रेस शासन के दौरान हुए अन्याय के खिलाफ एक जवाब है.”
(संपादन: अलमिना खातून)
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