गुरुग्राम: हरियाणा में आम आदमी पार्टी (आप) का चेहरा, राहुल गांधी की टीम के पूर्व सदस्य अशोक तंवर, जिन्होंने पांच साल से अधिक समय तक कांग्रेस की राज्य इकाई का नेतृत्व किया, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ बातचीत कर जल्द ही इसमें शामिल होने के लिए तैयार हैं. दिप्रिंट को इस बारे में जानकारी मिली है.
तंवर के एक करीबी सूत्र ने पुष्टि की कि सिरसा के पूर्व सांसद भाजपा में शामिल होने जा रहे हैं.
इस हफ्ते की शुरुआत में दिल्ली के एक होटल में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात के बाद दलित नेता के आप छोड़ने की चर्चा ने जोर पकड़ लिया.
बुधवार को खट्टर सूरजकुंड मेले के उद्घाटन के लिए मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित करने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में थे. क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शिल्प और परंपराओं को प्रदर्शित करने वाला वार्षिक मेला 2 फरवरी से 19 फरवरी तक आयोजित होने वाला है.
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय शर्मा ने पुष्टि की कि तंवर ने हरियाणा के मुख्यमंत्री से मुलाकात की और भाजपा में शामिल होने की उनकी योजना पर चर्चा की गई, लेकिन उन्होंने कहा कि अंतिम फैसला खट्टर को लेना है.
पूर्व मंत्री और चार बार के विधायक निर्मल सिंह द्वारा पिछले हफ्ते अपनी बेटी चित्रा सरवारा के साथ पार्टी को अलविदा कहने के बाद तंवर पार्टी छोड़ने वाले हरियाणा में आप के दूसरे बड़े नेता होंगे. चुनावी साल में पिता-पुत्री की जोड़ी कांग्रेस में लौट आई.
इससे पहले आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुशील गुप्ता ने चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि अगर तंवर बीजेपी में शामिल होते हैं तो यह उनका अपना फैसला है. पूर्व राज्यसभा सदस्य ने शनिवार को प्रेस वार्ता में कहा कि पार्टी ने उन्हें हमेशा वह सम्मान दिया है जिसके वह एक वरिष्ठ नेता के रूप में हकदार थे.
दिप्रिंट द्वारा उनके फोन पर संपर्क करने पर गुप्ता ने कहा कि उन्हें मीडिया खबरों से जानकारी मिली है कि तंवर भाजपा में शामिल होने की योजना बना रहे हैं, हालांकि, आप राज्य अभियान समिति के अध्यक्ष ने उनसे इस बारे में बात नहीं की है.
यह पूछे जाने पर कि तंवर कितने समय से उनके संपर्क में नहीं हैं, गुप्ता ने कहा कि आप अभियान समिति के अध्यक्ष पिछले कुछ दिनों से पार्टी की बैठकों या पार्टी कार्यक्रमों में भाग नहीं ले रहे हैं.
तंवर के वफादार और आप के कुरुक्षेत्र जिला अध्यक्ष जगबीर जोगना खेड़ा, जिन्होंने 9 जनवरी को पार्टी छोड़ दी, ने गुप्ता के दावों का खंडन किया कि पार्टी तंवर का सम्मान करती है.
जोगना खेड़ा ने पूछा, “जब (अरविंद) केजरीवाल 30 दिसंबर को चंडीगढ़ गए, तो तंवर अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ पहुंचे, लेकिन उन्हें लोगों को संबोधित करने का समय नहीं दिया गया. न ही उनकी तस्वीर पार्टी की प्रेस विज्ञप्तियों में आई. ऐसा हर दिन हो रहा था. एक नेता जो चुनाव लड़ना चाहता है वह लोगों का समर्थन पाने की उम्मीद कैसे कर सकता है जब उसकी पार्टी उसे नज़रअंदाज करती रहती है?”
उन्होंने कहा कि 9 जनवरी को आप के राज्यसभा सांसद संदीप पाठक एक बैठक के लिए कुरुक्षेत्र आए थे. उन्होंने कहा, “पार्टी का जिला प्रमुख होने के नाते मैंने कार्यक्रम की सारी व्यवस्थाएं कीं. मैंने उनसे केवल दो मिनट के लिए मिलने का समय मांगा, लेकिन इसे अस्वीकार कर दिया गया क्योंकि पार्टी नेताओं को पता था कि मैं तंवर के बारे में बात करूंगा जिन्होंने 30 दिसंबर के बाद पार्टी के कार्यक्रमों में भाग लेना बंद कर दिया था. जब पाठक चले गए, तो मैंने मीडिया को अपने कार्यालय में आमंत्रित किया और अपने इस्तीफे की घोषणा की.”
शनिवार को करनाल में मीडिया द्वारा तंवर से मुलाकात के बारे में पूछे गए सवाल को खट्टर टाल गए. उन्होंने मीडिया कर्मियों से कहा कि सीएम के तौर पर उनकी जिम्मेदारियां इस तरह की हैं कि वे आए दिन लोगों से मिलते रहते हैं. उन्होंने कहा, “इन लोगों में मेरी पार्टी के लोग और अन्य दलों के राजनीतिक नेता, विधायक, सांसद, पूर्व विधायक और पूर्व सांसद भी शामिल हैं.”
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उदय और कांग्रेस को छोड़ना
12 फरवरी 1976 को झज्जर जिले के चिमनी गांव में एक सैनिक पिता और एक गृहिणी मां के घर जन्मे तंवर ने राजनीति में अपना पहला कदम जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में रखा, जहां उन्होंने भारतीय मध्ययुगीन इतिहास में मास्टर्स की डिग्री ली और पीएचडी के लिए Centre for Historical Studies में दाखिला लिया.
तंवर 1999 में कांग्रेस की छात्र शाखा, नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) के सचिव और 2003 में इसके अध्यक्ष बने.
एनएसयूआई सचिव के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उनकी मुलाकात अपनी पत्नी और पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा की पोती अवंतिका माकन से हुई. जोड़े ने 2005 में शादी की और उसी साल उन्हें भारतीय युवा कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया.
अवंतिका ने एक बार तंवर के साथ अपनी पहली मुलाकात के बारे में दिप्रिंट को बताया था, “जब मीनाक्षी नटराजन इसकी अध्यक्ष थीं, तब हम दोनों एनएसयूआई के सचिव थे.” उन्होंने कहा था कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उनकी शादी समेत उनके कई अहम फैसलों में अहम भूमिका निभाई है.
एक समय राहुल गांधी की टीम के सदस्य माने जाने वाले तंवर को पहली बड़ी चुनावी सफलता 2009 में मिली जब उन्हें सिरसा संसदीय क्षेत्र से मैदान में उतारा गया. हालांकि, उन्होंने 2014 और 2019 में इस सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
2014 के संसदीय चुनावों से कुछ महीने पहले, कांग्रेस ने फरवरी में तंवर को राज्य इकाई का प्रमुख नियुक्त किया था. अक्टूबर 2014 के विधानसभा चुनावों के दौरान, सीटों के वितरण पर असहमति के कारण तत्कालीन सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा के साथ तंवर के संबंधों में खटास आ गई थी.
अक्टूबर 2016 में तंवर पार्टी कार्यकर्ताओं के एक वर्ग के हमले में घायल हो गए थे, जब कांग्रेस समर्थक अपनी किसान यात्रा से लौटने पर तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का स्वागत करने के लिए नई दिल्ली में एकत्र हुए थे.
जब तंवर को दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था, तो खट्टर उनका हालचाल पूछने के लिए उनसे मिलने गए थे. अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद तंवर ने आरोप लगाया था कि हुड्डा के प्रति निष्ठा रखने वाले पार्टी कार्यकर्ताओं ने उन पर हमला किया था.
इस प्रकरण के बाद हरियाणा में पार्टी के कद्दावर नेता हुडा के साथ उनके रिश्ते कभी ठीक नहीं हुए. हरियाणा में 2019 के विधानसभा चुनावों से लगभग एक महीने पहले, कांग्रेस ने सितंबर में तंवर की जगह कुमारी सैलजा को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का प्रमुख नियुक्त किया.
एक महीने बाद तंवर ने अपने समर्थकों को टिकट नहीं दिए जाने के खिलाफ कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और 2019 के हरियाणा चुनावों में दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) का समर्थन किया. उनके कट्टर समर्थकों में से एक, देवेंदर बबली (अब हरियाणा के मंत्री) ने जेजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और टोहाना से जीत हासिल की.
नवंबर 2021 में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और फिर अप्रैल 2022 में AAP में शामिल होने से पहले दलित नेता ने अपना खुद का संगठन अपना भारत मोर्चा लॉन्च किया.
(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)
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