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Monday, 25 November, 2024
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मोदी की धार्मिकता, राम मंदिर – कैसे BJP की ‘आध्यात्मिक अघाड़ी’ महाराष्ट्र में कर रही है 2024 की तैयारी

2017 में महाराष्ट्र में गठित, 'आध्यात्मिक अघाड़ी' राज्य के हिंदू धार्मिक नेताओं और निकायों के साथ समन्वय करती है. 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले, यह हिंदू मतदाताओं के बीच जगह बना रही है.

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मुंबई: इस साल के लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से पहले, राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) मंदिर प्रबंधन, धार्मिक और आध्यात्मिक समूहों के बीच सक्रिय रूप से प्रचार कर रही है, साथ ही भक्तों तक पहुंच बना रही है और हिंदुत्व और आध्यात्मिकता के लिए मोदी सरकार के काम के बारे में उनको बता रही है. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.

पार्टी अपने सात साल पुराने ‘आध्यात्मिक अघाड़ी’ के माध्यम से ऐसा कर रही है, जो राज्य के हिंदू धार्मिक और आध्यात्मिक नेताओं और संगठनों के साथ समन्वय करने के लिए 2017 में महाराष्ट्र में बनाया गया था.

इस साल के चुनावी मौसम की शुरुआत में लगभग दो महीने बचे हैं, ‘आध्यात्मिक अघाड़ी’ ने मोदी सरकार के काम पर पार्टी का संदेश फैलाने के लिए महाराष्ट्र की सभी 48 संसदीय सीटों और 288 विधानसभा क्षेत्रों के लिए अभियान प्रमुख नियुक्त किए हैं, मोर्चे के सदस्यों ने दिप्रिंट को यह जानकारी दी.

भाजपा के आध्यात्मिक अघाड़ी के सदस्यों ने कहा, ये प्रतिनिधि गांव-गांव जा रहे हैं, कीर्तन (भक्ति गीतों के कार्यक्रम) और बैठकें कर रहे हैं, जहां वे मोदी सरकार के कार्यों पर प्रकाश डालते हैं जैसे कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण, हिंदुओं के बीच पवित्र मानी जाने वाली नदियों का जीर्णोद्धार और तीर्थयात्रा सर्किट का विकास जैसे काम.

वे नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के विकास कार्यों के बारे में बात करते हैं, और इस बात पर जोर देते हैं कि यह इसलिए संभव हो पाया है क्योंकि सत्तारूढ़ दल के नेता स्वभाव से आध्यात्मिक हैं.

बीजेपी के आध्यात्मिक अघाड़ी के प्रमुख तुषार भोसले ने दिप्रिंट को बताया, “2024 पूरी तरह से एक चुनावी वर्ष है, और जिस तरह से भाजपा और मोदी जी आध्यात्मिक जगत की मदद कर रहे हैं, उसे देखते हुए, आध्यात्मिक अघाड़ी यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि भाजपा केंद्र और महाराष्ट्र में सत्ता में वापस आए. 48 लोकसभा प्रमुख (चीफ्स) और विधानसभा प्रमुख पूरी तरह से चुनाव पर ध्यान केंद्रित करेंगे और पार्टी को जो भी समर्थन चाहिए वो देंगे.”

हालांकि आध्यात्मिक अघाड़ी 2019 के चुनावों के दौरान भी अस्तित्व में थी, लेकिन भाजपा के चुनाव अभियान में इसका योगदान सीमित था क्योंकि संगठनात्मक संख्या बहुत कम थी.

नासिक जिले के डिंडोरी संसदीय क्षेत्र के प्रभारी आध्यात्मिक अघाड़ी नेता संजय धोंडगे ने कहा, “हमने अभी भी अपनी सीमित क्षमता में 2019 में अभियान चलाया, लेकिन इस बार बहुत अधिक संगठित प्रयास है. हमारी उपस्थिति का विस्तार हुआ है. हमारे पास अधिक ताकत है.”


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बीजेपी की आध्यात्मिक अघाड़ी

भाजपा ने 2017 में राज्य में अपनी आध्यात्मिक अघाड़ी का गठन किया और पार्टी नेता राम कदम को इसका प्रमुख बनाया. हालांकि, यह संगठन पहली बार 2020 में सुर्खियों में आया जब इसने राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करते हुए मांग की कि तत्कालीन उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार – जिसमें तत्कालीन एकजुट शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शामिल थी, उन्होंने मिलकर भक्तों के लिए उन मंदिरों को खोला जो COVID-19 महामारी के कारण बंद थे. तब तक, भोसले ने आध्यात्मिक अघाड़ी के नेता के रूप में पदभार संभाल लिया था.

भोसले ने कहा, “भाजपा के पास अन्य राज्यों में विशिष्ट उद्देश्यों के लिए मंदिर या संत जैसी शाखाएं हैं. लेकिन, महाराष्ट्र में, हमारा विंग अध्यात्मवाद की छत्रछाया में आने वाले किसी भी व्यक्ति की सेवा करता है. वारकरी संप्रदाय महाराष्ट्र में मुख्य धारा [धार्मिक] संप्रदाय है. फिर रामदासी, आर्ट ऑफ लिविंग, रामदेव बाबा, जगद्गुरु नरेंद्र महाराज हैं, फिर संत, कीर्तनकार [जो भक्ति गीत गाते हैं], प्रवचनकार (धार्मिक उपदेश देने वाले), मंदिर ट्रस्ट आदि हैं. हमारा काम उन सभी के साथ समन्वय करना और हमारी सरकार की मदद से उनके मुद्दों को हल करना है.”

भोसले, जिन्होंने कहा कि वह बचपन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं में जाते थे और भाजपा कार्यकर्ता रहे हैं, आध्यात्मिक अघाड़ी के संस्थापक सदस्य थे, जब 2017 में इसके सिर्फ आठ राज्य पदाधिकारी थे.

संगठन में अब महाराष्ट्र के 36 जिलों के लिए 54 पदाधिकारी और 71 जिला-स्तरीय समितियां हो गई हैं, प्रत्येक समिति में हिंदुत्व में आध्यात्मिकता के विभिन्न क्षेत्रों के लिए 50 से अधिक सदस्य और 15 समन्वयक हैं, जिसमें एक कीर्तनकार खंड, एक साधु खंड, एक वारकरी खंड, देवस्थान खंड हैं.

भोसले का दावा है कि आध्यात्मिक अघाड़ी का नेटवर्क अब इतना व्यापक हो गया है कि अगर राज्य में कहीं भी किसी हिंदुत्व या आध्यात्मिक संगठन से जुड़ी कोई घटना होती है, तो अघाड़ी को 30-45 मिनट के भीतर इसकी जानकारी मिल जाती है.

उन्होंने कहा कि इसी तरह संगठन पिछले साल मई में त्र्यंबकेश्वर मंदिर में एक घटना में शामिल हुआ था, जब आरोप लगाया गया था कि मुसलमानों के एक समूह ने मंदिर परिसर में जबरन प्रवेश करने की कोशिश की थी. जबकि पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की, लेकिन मुसलमानों ने कहा कि मंदिर की सीढ़ियों पर जाकर और देवता को सुगंधित धुआं दिखाकर देवता को सम्मान देना एक पुरानी परंपरा है.

भोसले  ने कहा, “कुछ सदस्यों ने हमें फोन करके घटना की जानकारी दी. हमने तुरंत इसे राज्य सरकार के समक्ष उठाया जिसके बाद डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़नवीस ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल का गठन किया.”

उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक अघाड़ी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पुणे के पास देहू में 17वीं सदी के संत को समर्पित संत तुकाराम महाराज मंदिर में एक रॉक टेम्पल का उद्घाटन करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

बीजेपी का ‘आध्यात्मिक’ चुनाव प्रचार

धोंडगे ने कहा कि उन्होंने पिछले तीन महीनों में डिंडोरी संसदीय क्षेत्र में कम से कम 17 बैठकें की हैं, ग्रामीणों को संबोधित किया और मोदी सरकार की “हिंदुत्व और आध्यात्मिकता के प्रति प्रतिबद्धता” के बारे में बात की.

धोंडगे ने कहा, “महाराष्ट्र का एक बड़ा हिस्सा वारकरी संप्रदाय का है. इसके अलावा, हमने देखा कि हर गांव में कम से कम एक राम मंदिर है. जब हम इस बारे में बात करते हैं कि अयोध्या में कितना भव्य राम मंदिर बनाया जा रहा है, तो लोगों की आंखों में आंसू आ जाते हैं, क्योंकि यह ऐसा कुछ है जिसके बारे में उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि यह संभव होगा.”

धोंडागे जैसे समन्वयक प्रमुख मंदिर ट्रस्टों, संतों और आध्यात्मिक संगठनों की जरूरतों को पूरा करने और अपने भक्तों का विश्वास हासिल करने के लिए उन पर अतिरिक्त ध्यान दे रहे हैं.

उदाहरण के लिए, नासिक जिले में, धोंडगे को सप्तश्रृंगी माता मंदिर में ढांचागत उन्नयन के लिए अनुरोध प्राप्त हुए थे. धोंडगे ने कहा, “हमने यह मामला सरकार के समक्ष उठाया और विकास कार्यों के लिए 80 करोड़ रुपये का बजट मंजूर कराया.”

राजेश डेगलूरकर जो बीजेपी आध्यात्मिक अघाड़ी के लिए नांदेड़ संसदीय क्षेत्र के प्रभारी हैं, उन्होंने दिप्रिंट को बताया, 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के बाद, आध्यात्मिक अघाड़ी के कुछ सदस्यों ने मंदिर के आसपास से मिट्टी वापस लाने और इसे अपने अधिकार क्षेत्र के तहत गांवों में ले जाने की योजना बनाई है.

डेगलूरकर ने अब तक अपने निर्वाचन क्षेत्र के मुख्य गांव चौराहों पर कम से कम 100 बैठकें की हैं.

डेगलूरकर ने कहा, “हम इस बारे में बात करते हैं कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को ख़त्म करना और नागरिकता संशोधन अधिनियम हिंदुत्व के लिए कैसे अच्छा है. हम इस बारे में बात करते हैं कि इस सरकार ने भारत की अर्थव्यवस्था को कैसे बढ़ाया है और कैसे नरेंद्र मोदी, योगी आदित्यनाथ, अमित शाह, नितिन गडकरी और देवेंद्र फड़नवीस जैसे नेता निडर होकर काम कर सकते हैं क्योंकि ये ऐसे नेता हैं जिनके पास सही और गलत के बारे में दृढ़ आध्यात्मिक विश्वास है.”

उन्होंने कहा, मतदाताओं के साथ अपनी बातचीत में, आध्यात्मिक अघाड़ी के सदस्य धार्मिक रूपांतरण या लव जिहाद, या अन्य पार्टियों की राजनीतिक आलोचना जैसे विवादास्पद विषयों पर टिप्पणी करने से बचते हैं, जब तक कि यह मंदिरों और आध्यात्मिकता से संबंधित न हो, जैसे कि कोविड के दौरान मंदिरों पर प्रतिबंध.

डेगलूरकर ने कहा, “हम राजनीतिक हैं, लेकिन हमारा एजेंडा राजनीतिक नहीं है. सोशल मीडिया से लोगों को आधी जानकारी मिल रही होगी. हमारा एजेंडा हर चीज़ को आध्यात्मिकता और हिंदुत्व के परिप्रेक्ष्य में रखना है. हम इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि कैसे 75 वर्षों में पहली बार, हमारे पास एक ऐसा नेता है जो आध्यात्मिकता और हिंदुत्व के लिए प्रतिबद्ध है और यही कारण है कि हम तेजी से विकास और भ्रष्टाचार कम होते हुए देख रहे हैं.”

(संपादन: अलमिना खातून)
(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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