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Thursday, 7 November, 2024
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मप्र: कलेक्टर ने आंगनबाड़ी में पढ़ने भेजी अपनी बच्ची, राज्यपाल आनंदी बेन ने सराहा

जिलाधिकारी पंकज की बेटी पंखुड़ी आंगनबाड़ी में पढ़ने जाती है. जिलाधिकारी की इस पहल पर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने प्रसन्नता जाहिर करते हुए उन्हें बधाई दी है.

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भोपाल: देशभर में सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की स्थिति ऐसी है कि गरीब से गरीब लोग अपने बच्चे को वहां नहीं पढ़ाना चाहते हैं. आलम ये है कि आधापेट खाकर रिक्शा चलाने वाला भी अपने बच्चे को निजी और अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में पढ़ाना चाहता है और पढ़ा रहा है. इसकी वजह है सरकारी स्कूलों में गिरता शिक्षा का स्तर और शिक्षकों की कमी. लेकिन इसबीच कुछ ऐसी खबरें आती हैं जो सरकारी स्कूल और सरकारी महकमें में लोगों का विश्वास बनाए रखने में बड़ी भूमिका निभा रही हैं.

मध्य प्रदेश के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी व कटनी के जिलाधिकारी डॉ. पंकज जैन समाज के उन बड़े और अमीर लोगों के लिए मिसाल बन गए हैं, जो अपने बच्चों को निजी और बड़े नाम वाले स्कूलों में पढ़ाने को अपनी शान समझते हैं. जिलाधिकारी पंकज की बेटी पंखुड़ी आंगनबाड़ी में पढ़ने जाती है. जिलाधिकारी की इस पहल पर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने प्रसन्नता जाहिर करते हुए उन्हें बधाई दी है.

पंकज का कहना है, ‘पंखुड़ी जिस आंगनबाड़ी में पढ़ने जाती है, उस केंद्र के अलावा आसपास के चार-पांच केंद्र किसी प्ले स्कूल से कम नहीं हैं. जब जिम्मेदार अधिकारी अपने बच्चों को इन स्थानों पर भेजते हैं तो स्थितियां अपने आप सुधर जाती हैं, आप भी नजर रखते हैं. कोई कमी होती है तो उसमें सुधार लाने के लिए टोकते भी हैं.’

पंकज की इस पहल को राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने भी सराहा है. उन्होंने पत्र लिखकर कहा है, ‘लोक सेवक समाज में प्रेरणा के केंद्र होते हैं, उनके आचरण का समाज पालन करता है. कर्तव्यों के प्रति आपकी सहजता ने मुझे अत्यधिक प्रभावित किया है, आपके इस प्रयास से शासकीय सेवकों का दायित्व बोध बढ़ेगा.’

राज्यपाल पटेल द्वारा लिखा गया पत्र रविवार को सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. इसमें राज्यपाल ने आगे लिखा है, ‘सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के प्रभावी संचालन के प्रति सकारात्मक चेतना का संचार होगा. आशा है लोक सेवक के रूप में इसी निष्ठा और समर्पण के साथ जनसेवा में संलग्न रहेंगे.’

इससे पहले छत्तीसगढ़ के आईएएस अफसर (कवर्धा जिसे के कलेक्टर) अवनीश कुमार शरण ने पिछले साल अपनी छह साल की बेटी का दाखिला कवर्धा जिले के सरकारी स्कूल में करा कर अपने समकक्षों के बीच मिसाल पेश की थी. शरण की नियुक्ति जहां भी और जिस जिले में होती है वह अपनी बेटी का दाखिला सरकारी स्कूल में करा देते हैं.

अवनीश अपने इस कदम के बारे में कहा था कि उन्होंने न तो कभी शिक्षा में लापरवाही बर्दाश्त की और नही कभी शिक्षकों को कोताही बरतने दी है. लेकिन इसके पीछे अवनीश की एक अलग सोच है. वह कहते हैं कि जब किसी सरकारी अफसर के बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ाई करते हैं तब स्कूल के बिगड़े हालात और पढ़ाई के स्तर में खुद ब खुद सुधार आने लगता है. शिक्षक समय पर आते और संजीदगी से कक्षा में पहुंचते हैं और पढ़ाते भी है.

अगर देश में सरकारी स्कूलों के शिक्षा के स्तर को सुधारना है तो अधिकारियों को अपने बच्चों का एडमिशन निजी स्कूलों में नहीं बल्कि इन स्कूलों में कराना होगा.

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