नई दिल्ली: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने ज्ञानवापी परिसर के सर्वेक्षण की रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में सोमवार को वाराणसी की जिला अदालत में दाखिल कर दी.
जिला न्यायाधीश ने लिफाफा खोलने और पक्षकारों को सर्वेक्षण रिपोर्ट उपलब्ध कराने के लिए 21 दिसंबर की तारीख तय की है.
ज्ञानवापी सर्वेक्षण मामले में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि “आज, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने 4 अगस्त के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन करते हुए सीलबंद कवर में अपनी रिपोर्ट दायर की है… हमने एक आवेदन दायर किया है कि हमें रिपोर्ट की एक प्रति प्रदान की जानी चाहिए, और मीडिया पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है कि आप इस रिपोर्ट के बारे में बात नहीं कर सकते.
जैन ने आगे बताया कि वो 21 दिसंबर को सुनवाई में भाग लेंगे और यदि जिला जिला अदालत कोई आदेश पारित नहीं करती है, जो कानून के अनुरूप है, तो वे सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपील दायर करेंगे.
बता दें कि रिपोर्ट पेश करते समय अदालत में एएसआई के चार वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे.
हिन्दू याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने बताया कि रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने से पहले आज मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ताओं ने जिला न्यायाधीश की अदालत में याचिका दायर कर मांग की थी कि रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में प्रस्तुत की जाए और किसी को भी रिपोर्ट सार्वजनिक करने की इजाजत न दी जायें.
एएसआई ने वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी परिसर का यह पता लगाने के लिए वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया है कि क्या 17वीं शताब्दी की मस्जिद का निर्माण वहां पहले से मौजूद किसी हिंदू मंदिर के ढांचे पर किया गया था?
सर्वेक्षण तब शुरू हुआ था जब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने वाराणसी जिला अदालत के आदेश को बरकरार रखा और फैसला सुनाया कि यह कदम ‘न्याय के हित में आवश्यक’ है और इस विवाद में हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों को फायदा होगा.
पहले की सुनवाई के दौरान, मस्जिद प्रबंधन समिति ने सर्वेक्षण पर आपत्ति जताई थी और आरोप लगाया था कि एएसआई बिना अनुमति के मस्जिद परिसर के तहखाने और अन्य स्थानों पर खुदाई कर रहा है और पश्चिमी दीवार पर मलबा जमा कर रहा है, जिससे ढांचे के ढहने का खतरा पैदा हो सकता है.
हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया था, लेकिन शीर्ष अदालत ने चार अगस्त को एएसआई सर्वेक्षण पर उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.
अपने आदेश में प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने, हालांकि, एएसआई से सर्वेक्षण के दौरान कोई ऐसा कार्य नहीं करने को कहा जिससे ढांचे को नुकसान हो.
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