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Wednesday, 18 December, 2024
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कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में ‘1 लाख लोग’ साथ में करेंगे गीता पाठ – PM मोदी होंगे मुख्य अतिथि

'एक लोक्खो कोन्थे गीतापाठ' में प्रतिभागी ब्रिगेड परेड ग्राउंड में इकट्ठा होंगे और गीता का पाठ करेंगे. बीजेपी का कहना है कि ऐसा इसलिए है क्योंकि इसमें 'पीएम मोदी शामिल हो रहे हैं और इसका कोई राजनीतिक संदेश नहीं है'.

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कोलकाता: शहर एक कार्यक्रम के लिए हाथ जोड़े सौम्य भगवाधारी नरेंद्र मोदी के पोस्टरों से अटा पड़ा है. और, मंच कोई और नहीं बल्कि प्रतिष्ठित ब्रिगेड परेड ग्राउंड है. सोचिए ये सब क्या हैं? कोई राजनीतिक रैली नहीं, बल्कि 24 दिसंबर को कोलकाता एक सामूहिक गीता पाठ कार्यक्रम की मेजबानी कर रहा है, जिसमें प्रधानमंत्री मुख्य अतिथि होंगे.

हालांकि यह आयोजन गैर-राजनीतिक है, लेकिन इसके समय और अर्थ को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. आम चुनाव चार-पांच महीनों में होने वाले हैं, जबकि आमंत्रित लोगों में द्वारका के शंकराचार्य सदानंद सरस्वती भी शामिल हैं.

अखिल भारतीय संस्कृत परिषद और मोतीलाल भारत तीर्थ सेवा मिशन द्वारा आयोजित और सनातन संस्कृति मंच के नेतृत्व में, आयोजकों ने जुलाई में इस कार्यक्रम की मेजबानी की तैयारी शुरू कर दी है, जिसमें एक लाख प्रतिभागी पवित्र गीता का पाठ करने के लिए तैयार हैं.

एक लोखो कोन्थे गीता पाथ समिति के अध्यक्ष कार्तिक महाराज ने दिप्रिंट को बताया, “यह देश में पहली बार है… हमारी नजर गिनीज रिकॉर्ड पर है, यहां उनके अधिकारी भी मौजूद रहेंगे. कोलकाता राज्य की राजधानी है. हमने ब्रिगेड परेड ग्राउंड को चुना, जहां हम 5,000 लोगों की क्षमता वाले 20 ब्लॉक बनाएंगे. हम गीता भी वितरित करेंगे, कम से कम 4,000 स्वयंसेवक कार्यक्रम को सुचारू रूप से संचालित करने में हमारी मदद करेंगे. हम बिहार, ओडिशा, असम से लोगों के शामिल होने की उम्मीद कर रहे हैं.”

शंकराचार्य और प्रधानमंत्री के अलावा, आमंत्रित लोगों की सूची में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, राज्यपाल सी. वी. आनंद बोस के साथ-साथ कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, सांसद, विधायक, निदेशक और शैक्षणिक संस्थानों के कुलपति शामिल हैं.

कार्तिक महाराज ने कहा, “गीता जीवन का एक हिस्सा है; जीवन के सारे उत्तर इसी में निहित हैं. यह अकारण नहीं है कि आइंस्टीन, ओपेनहाइमर जैसी प्रतिभाओं ने भगवद गीता का उल्लेख किया. हम ऐसे समय में नैतिक रीढ़ को मजबूत करना चाहते हैं जहां हम इतना भ्रष्टाचार, मौतें और अवैध गतिविधियां देख रहे हैं. हम चाहते हैं कि नागरिक गीता को दैनिक जीवन में अपनाएं. यही संदेश हम सभी तक पहुंचाना चाहते हैं.”

दो साल पहले स्थापित, सनातन संस्कृति मंच पश्चिम बंगाल में एक पंजीकृत सामाजिक संगठन है और कार्तिक महाराज के अनुसार, इसके बारे में ऑनलाइन बहुत कम जानकारी है.

कार्तिक महाराज ने कहा, “हमने पिछले साल मायापुर में इसी तरह का एक कार्यक्रम आयोजित किया था जहां 12 दिसंबर को 5,000 लोगों ने गीता का पाठ किया था. हम पश्चिम बंगाल में अनदेखे या उपेक्षित प्राचीन मंदिरों की पहचान करने की दिशा में काम कर रहे हैं ताकि उनके पुनरुद्धार की योजना बनाई जा सके. वर्तमान में, हमारे पास पश्चिम बंगाल में अखाड़ों सहित लगभग 3,000 आश्रम हैं, और हम भारत सेवाश्रम के साथ काम कर रहे हैं.”

17 नवंबर को बंगाल बीजेपी प्रमुख सुकांत मजूमदार के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने इस कार्यक्रम के लिए निमंत्रण देने के लिए नई दिल्ली में पीएम मोदी से मुलाकात की. कार्तिक महाराज ने कहा कि पीएम इस पहल से खुश हैं और उन्हें खुशी है कि वह इस कार्यक्रम में शामिल होंगे.

उन्होंने आगे कहा कि “मंच पर केवल शंकराचार्य और प्रधानमंत्री ही बैठेंगे. बाकी गणमान्य लोग नीचे बैठेंगे. कार्यक्रम में पीएम बोलेंगे भी. यह बड़ा सम्मान है कि वह इस अवसर की शोभा बढ़ाएंगे.”

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अभी तक अपनी उपस्थिति की पुष्टि नहीं की है. इस महीने की शुरुआत में विधानसभा में उन्होंने मीडिया से कहा था कि वह मंजूरी देने से पहले आयोजकों के विवरण की जांच करेंगी.


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ब्रिगेड परेड ग्राउंड और इसका महत्व

दूसरों की तुलना में अधिक राजनीतिक रूप से जागरूक माने जाने वाले राज्य के लिए, आयोजन स्थल के चयन ने कोलकाता के सांस्कृतिक और राजनीतिक हलकों में कई लोगों को चकित कर दिया हैं. विक्टोरिया मेमोरियल, फोर्ट विलियम और ईडन गार्डन जैसे ऐतिहासिक स्थलों के साथ कोलकाता के मध्य में स्थित, ब्रिगेड परेड ग्राउंड का इतिहास मुंबई के शिवाजी पार्क और दिल्ली के रामलीला मैदान जैसा विचित्र इतिहास वाला है.

यहीं पर अप्रैल 1967 में सीपीआई-एम ने अपनी पहली ‘पीपुल्स ब्रिगेड’ आयोजित की थी, जिसमें तत्कालीन कांग्रेस सरकार से किसानों के लाभ के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को लागू करने का आग्रह किया गया था.

1955 में, प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भारी भीड़ के सामने सोवियत प्रधानमंत्री निकोलाई बुल्गानिन और कम्युनिस्ट पार्टी सचिव निकिता ख्रुश्चेव को सम्मानित किया था. यहां 6 फरवरी 1972 को, बांग्लादेश के पहले प्रधानमंत्री शेख मुजीबुर रहमान ने एक ऐतिहासिक भाषण दिया, जिसमें पाकिस्तान से अपने देश की मुक्ति में भारत की भूमिका की सराहना की गई थी.

सीपीआई-एम नेता सुजन चक्रवर्ती ने दिप्रिंट को बताया, “यह सिर्फ वामपंथियों की बात नहीं है, ब्रिगेड मैदान ने 50 के दशक की शुरुआत में सोवियत संघ के नेताओं को बैठकों की मेजबानी करते देखा है. 1972 में इंदिरा गांधी और शेख मुजीबुर रहमान ने ब्रिगेड में एक रैली को संबोधित किया था. इस मैदान का एक मजबूत राजनीतिक इतिहास है और अब इतिहास को पलटने की कोशिश हो रही है. यह संभवतः पहली बार है जब ब्रिगेड में कोई धार्मिक कार्यक्रम होगा. यह बंगाल की संस्कृति के खिलाफ है. गीता पाठ घर पर ही करना चाहिए, खुले में नहीं. इसके बजाय, हमारे समाज के ताने-बाने को मजबूत करने के लिए एक ‘संविधान पाथ’ होना चाहिए.”

तृणमूल मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने दिप्रिंट को बताया, “घर पर गीता पाठ किया जाता है. किसी को संदेश भेजने के लिए बाहर बैठने और सार्वजनिक रूप से ऐसा करने की ज़रूरत नहीं है. इस आयोजन पर उनका कोई व्यक्तिगत विचार नहीं है.”

वहीं, बीजेपी का दावा है कि यह आयोजन राजनीतिक नहीं है. बीजेपी नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद स्वपन दासगुप्ता ने दिप्रिंट को बताया, “ब्रिगेड ग्राउंड राजनीतिक आयोजनों से जुड़ा है, लेकिन केवल उसी के लिए निर्धारित नहीं है. भगवद गीता एक राष्ट्रीय विरासत है, और इस कार्यक्रम में उपस्थिति अनिवार्य नहीं है. केवल इसलिए कोई स्पष्ट राजनीतिक संदेश नहीं है क्योंकि इसमें कोलकाता में प्रधानमंत्री भाग ले रहे हैं, लेकिन निश्चित रूप से इस हिंदू प्रतीक को बचाने के प्रयास का एक अंतर्निहित संदेश है. यह धार्मिक से अधिक नैतिक प्रकृति का है. यह शहर के लोगों को पसंद आएगा.”

राजनीतिक विश्लेषक उदयन बंदोपाध्याय ने जोर देकर कहा कि जो दिखता है उससे कहीं ज्यादा मजबूत संदेश होता है.

उन्होंने कहा, “यह कुछ और नहीं बल्कि ब्रिगेड ग्राउंड के बगल में कोलकाता के रेड रोड पर ईद समारोह का एक प्रतीकात्मक प्रति-संकेत है. आर्य समाज के स्वामी श्रद्धानंद ने 20वीं सदी की शुरुआत में इस तरह की सभा पर विचार किया. उनका विचार सामूहिक सभा के लिए एक स्थल बनाना था. वह देश के कई हिस्सों में हिंदू मंदिर विकसित करने के पक्ष में थे. हालांकि, पश्चिम बंगाल में यह सांप्रदायिक ताकतों को लोकसभा चुनाव से पहले लोगों का ध्रुवीकरण करने में सक्षम बनाएगा.”

(संपादन: अलमिना खातून)
(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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