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Friday, 22 November, 2024
होमदेशपत्नी, बेटे समेत आजम खान को 7 साल की सजा: क्या है फर्जी जन्म प्रमाणपत्र केस, जिससे पूरा परिवार पहुंचा जेल

पत्नी, बेटे समेत आजम खान को 7 साल की सजा: क्या है फर्जी जन्म प्रमाणपत्र केस, जिससे पूरा परिवार पहुंचा जेल

रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने आजम खान, उनकी पत्नी तंज़ीम फ़ातिमा और उनके बेटे अब्दुल्ला को 7-7 साल की सजा सुनाई है. आजम खान और उनके परिवार को यह सजा फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में सुनाई गई है.

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नई दिल्ली: सपा नेता आजम खान की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही हैं. रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने आजम खान, उनकी पत्नी तंज़ीम फ़ातिमा और उनके बेटे अब्दुल्ला को 7-7 साल की सजा सुनाई है. आजम खान और उनके परिवार को यह सजा फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में सुनाई गई है. बीजेपी विधायक आकाश सक्सेना ने आजम और उनके परिवार के खिलाफ मामला दर्ज करवाया था. तीनों सजा के बाद सीधे जेल भेजे गए.

साल 2017 के उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में आजम के बेटे अब्दुल्ला रामपुर की स्वार सीट से चुनाव लड़े थे. उन्हें इस चुनाव में जीत भी मिली थी, लेकिन उनके विरोधी और बीएसपी नेता नवाब काजिम अली खान ने अबदुल्ला की उम्र को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका डाली थी. खान का आरोप था कि अब्दुल्ला की उम्र चुनाव लड़ने की नहीं है और उन्होंने गलत प्रमाणपत्र का इस्तेमाल किया है.  2017 के यूपी विधानसभा में अब्दुल्ला द्वारा दिए गए बर्थ सर्टिफिकेट पर उनकी जन्म तिथि 30 सितंबर 1990 दर्ज थी, जबकि अब्दुल्ला के शैक्षणिक प्रमाण पत्र पर उनकी जन्म तिथि 1 जनवरी 1993 दर्ज थी. शैक्षणिक प्रमाणपत्र पर दर्ज जन्म तिथि के हिसाब से अब्दुल्ला 2017 में चुनाव लड़ने के लिए जरूरी 25 साल की उम्र को पूरा नहीं कर पाए थे.

अब्दुल्ला की उम्र को लेकर चर्चा विधानसभा चुनाव के समय से ही थी. विधानसभा चुनाव में अब्दुल्ला अपनी स्वार सीट से जीत भी गए थे, लेकिन उनकी मुश्किलें तब शुरू हुई जब साल 2019 में रामपुर के बीजेपी विधायक आकाश सक्सेना ने रामपुर के गंज थाने में उनके खिलाफ दो जन्म तिथि का इस्तेमाल करने को लेकर मामला दर्ज करवाया था.

बता दें कि स्वार सीट से अब्दुल्ला की विधायकी पहले ही जा चुकी है. एक मामले में मुरादाबाद की अदालत द्वारा 2 साल की सजा सुनाए जाने के बाद उनकी विधायकी रद्द की दी गई थी. इसके बाद एनडीए उम्मीदवार  शफीक अहमद अंसारी ने उपचुनाव में इस सीट को सपा से छीन लिया था. शफीक अहमद अंसारी अपना दल के टिकट पर मैदान में थे और उन्हें बीजेपी का समर्थन प्राप्त था.

(शिखा सलारिया के इनपुट्स के साथ)


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