नई दिल्ली: भारतीय वायु सेना ने 97 और एलसीए तेजस एमके1ए लड़ाकू विमानों के लिए प्रपोजल भेजा है. दिप्रिंट को पता चला है कि उसकी नजरें अब 114 मल्टी रोल फाइटर एयरक्राफ्ट पर भी टिकी हुई हैं. जिसमें तीन राफेल, एफ-15ईएख्स और ग्रिपेन विमान भी शामिल हैं.
भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि ऑर्डर किए गए 83 तेजस के अलावा 97 और तेजस के प्रस्ताव का मल्टी रोल फाइटर एयरक्राफ्ट प्लान पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा.
उन्होंने कहा कि वायुसेना फाइल को रक्षा मंत्रालय में भेजने के लिए सरकार की हरी झंडी का इंतजार कर रही है.
यह बताते हुए कि भारतीय वायुसेना किस संकेत का इंतजार कर रही थी, सूत्रों ने कहा कि यह सौदा रणनीतिक होगा और यह इस बात पर निर्भर करेगा कि नरेंद्र मोदी सरकार किसके साथ आगे बढ़ना चाहती है.
उन्होंने कहा कि तीन मुख्य विमान हैं, जिनमें सबसे आगे फ्रांसीसी राफेल लड़ाकू विमान हैं, जिनमें 36 को 2016 में एक आपातकालीन खरीद के तहत भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था.
सूत्रों ने यह भी बताया कि इस खरीद फरोख्त में सबसे बड़ा किरदार इस बात पर भी निर्भर करेगा कि कितने विमान भारत में निर्मित किए जा रहे हैं.
योजना यह है कि जहां कम संख्या में विमान उड़ान भरने की स्थिति में आ जाएंगे, ठीक उसी तरह जिस तरह से बाकी का निर्माण एयरबस के साथ सी-295 विमान सौदे की तरह चरणबद्ध तरीके से भारत में किया जाएगा.
सूत्रों ने कहा कि 2016 के सौदे में ऑफसेट अनुबंध के कारण, जिसके तहत परियोजना में शामिल कंपनियों को अनुबंध मूल्य का 50 प्रतिशत वापस भारत में निवेश करना था, राफेल निर्माता डसॉल्ट एविएशन पहले से ही बढ़त में है क्योंकि वे पहले से ही भारत में विनिर्माण और सोर्सिंग कर रहे हैं.
सूत्रों ने बताया कि अमेरिकी निर्माता बोइंग दूसरा रणनीतिक साझेदार हो सकता है.
बोइंग ने 2021 में IAF को F-15EX विमान की पेशकश की थी.
IAF के सामने तीसरा विकल्प ग्रिपेन है, जो अन्य दो के विपरीत एकल इंजन वाला विमान है.
इन तीन के अलावा, जिन पर भारतीय वायुसेना सक्रिय रूप से विचार कर रही है, इस दौड़ में लॉकहीड मार्टिन और यूरोफाइटर के F21 भी हैं.
सूत्र ने कहा, “इसलिए हम यह समझने के लिए सरकार के निर्णय का इंतजार कर रहे हैं कि हमें क्या करना चाहिए?”
सूत्रों ने कहा कि एमआरएफए के लिए अनुबंध किस स्वरूप में होगा, इस पर भी निर्णय लेना होगा. इस पर निर्णय लिया जाना बाकी है कि क्या यह सी-295 मार्ग का अनुसरण करेगा जिसके तहत भारत ने सीधे यूरोपीय विमान निर्माता एयरबस के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.
जबकि IAF की स्वीकृत ताकत लड़ाकू जेट के 42 स्क्वाड्रन हैं, यह अब सिर्फ 31 रह गए हैं, जिनमें से कई विमान ऐसे हैं जो अपने सामान्य जीवन चक्र से परे उड़ान भर रहे हैं और जो अगले कुछ वर्षों में चरणबद्ध तरीके से हटा दिए जाएंगे.
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