अयोध्या: “अवैध कॉलोनाइजरों” की एक लिस्ट लीक होने के एक साल बाद अयोध्या विकास प्राधिकरण (ADA) से जमीन बेचने या फिर उसका नक्शा पास कराने की होड़ मच गई है. पिछले साल लीक हुई लिस्ट में तीन बीजेपी नेताओं का भी नाम था. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.
पिछले अगस्त में कथित “अवैध प्लॉटिंग” की ADA की लीक हुई लिस्ट – जमीन के बड़े हिस्से की खरीद और उचित अधिकारियों की अनुमति के बिना उन्हें भागों में बेचना – सोशल मीडिया पर सामने आई.
लिस्ट में शहर के 40 स्थानों का उल्लेख किया गया था और कई व्यक्तियों के नाम थे. इसमें तत्कालीन मेयर ऋषिकेश उपाध्याय, मौजूदा अयोध्या विधायक वेद प्रकाश गुप्ता और मिल्कीपुर के पूर्व विधायक गोरखनाथ बाबा जैसे लोगों के नाम शामिल थे. दिप्रिंट ने इस विषय पर अपनी बात रखने के लिए तीनों से संपर्क करने की कोशिश की थी लेकिन उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.
हालांकि ADA का कहना है कि उसने ऐसी कोई लिस्ट जारी नहीं की है, लेकिन दिप्रिंट को जानकारी मिली है कि पिछले साल से प्राधिकरण ने अब तक कम से कम चार स्थानों- बाग बिजैसी, तारापुर रजौली-गौरा पट्टी, माझा कलां, रानोपाली गांव – में कई संरचनाओं पर बुलडोजर चलाया है. बनबीरपुर में कार्रवाई को लेकर कुछ अनिश्चितता है.
लिस्ट के बारे में पूछे जाने पर ADA के उपाध्यक्ष विशाल सिंह ने दिप्रिंट को बताया कि यह एजेंसी द्वारा जारी नहीं की गई थी. उन्होंने सभी प्रश्नों के बारे में जानने के लिए ADA सचिव सत्येन्द्र सिंह के पास भेजा. पिछले साल उनके पहले के अधिकारी ने मीडिया को बताया था कि लिस्ट एक प्रारंभिक दस्तावेज़ थी जो “लीक” हो गई थी और भूमि मामले में एक जांच चल रही थी.
दिप्रिंट ने सभी पांच क्षेत्रों का दौरा किया और पाया कि ऐसी जमीन पर रहने वाले या तो उसे बेचने की कोशिश कर रहे हैं या अनिवार्य ADA अप्रूवल लेने की कोशिश कर रहे हैं.
इन क्षेत्रों में सबसे उल्लेखनीय बाग बिजैसी है, जहां माना जाता है कि भूमि के भूखंड श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र – अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की देखरेख करने वाले ट्रस्ट – को बेचे गए हैं.
ADA सचिव सत्येन्द्र सिंह ने तारापुर रजौली-गौरा पट्टी, बाग बिजैसी, बनबीरपुर, रानोपाली गांव में साकेतपुरी कॉलोनी के पास और माझा कलां में जयपुरिया स्कूल के पास तोड़फोड़ की पुष्टि की है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि “नियावान में एक अवैध शॉपिंग कॉम्प्लेक्स को ध्वस्त कर दिया गया है”.
उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “1,000-1,200 के बीच उन लोगों को नोटिस जारी किए गए हैं जिन्होंने अवैध प्लॉटिंग का सहारा लिया है और वे अपनी संपत्तियों के लिए नक्शा स्वीकृत करा रहे हैं.”
किसी भी निर्माण से पहले ADA को भूखंड का नक्शा या ब्लूप्रिंट को मंजूरी देनी होगी.
इस बीच ट्रस्ट ने कथित खरीद पर दिप्रिंट के सवालों का जवाब देने से इनकार कर दिया. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा ने कहा, “अगर कोई कुछ कह रहा है, तो उन्हें कहने दीजिए. हम किसी का मुंह तो बंद नहीं कर सकते.”
ADA की लीक हुई लिस्ट और आगामी जांच सुप्रीम कोर्ट के 2019 के फैसले के आलोक में अयोध्या में जमीन की कीमतों में वृद्धि, दोनों एक दूसरे से काफी हद तक जुड़े हुए हैं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर का निर्माण शुरू हुआ था. आसमान छूती कीमतों को भुनाने के लिए अयोध्या में अनियमित भूमि सौदों के बारे में एक से अधिक बार आरोप लगे हैं.
ADA की कथित लिस्ट के बाद से बीते एक साल में अयोध्या में “अवैध साजिश” के संबंध में क्या क्या हुआ है, इसका विवरण यहां दिया गया है.
बाग बिजैसी
यह शहर के सबसे महत्वपूर्ण हिस्सों में से एक है. पिछले साल से ADA के बुलडोजर जहां-जहां चले, उसमें बाग बिजैसी भी है. यह अयोध्या का एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें मंदिर ट्रस्ट ने विशेष रुचि ली है.
बाग बिजैसी अयोध्या रेलवे स्टेशन के पास स्थित है और उस सड़क के करीब है जो नए राम मंदिर स्थल की ओर जाती है.
यहां, कुल 120 बिस्वा “अवैध रूप से प्लॉट की गई” जमीन में से 63 बिस्वा जमीन इस साल की शुरुआत में मंदिर ट्रस्ट को बेच दी गई थी और बाकी को बेचने के लिए बातचीत चल रही है. इसकी जानकारी दिप्रिंट को मिली है. एक बिस्वा 1361.24 वर्ग फुट जमीन के बराबर होता है.
ADA अधिकारियों के अनुसार, जिस जमीन पर से संरचनाएं ढहाई गईं, वह तीन लोगों की संयुक्त संपत्ति थी. वो तीनों थे- सुल्तान अंसारी, रवि मोहन तिवारी और सोनू यादव.
अंसारी और तिवारी दोनों 2021 में एक बड़े विवाद में फंस गए जब आम आदमी पार्टी (आप) जैसे विपक्षी दलों ने मंदिर ट्रस्ट को बेची गई जमीन में अनियमितताओं का दावा किया. वह जमीन भी बाग बिजैसी में थी.
अंसारी का नाम पिछले साल ADA की कथित लिस्ट में भी शामिल था.
जून 2021 में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में AAP के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने दावा किया कि उस साल 18 मार्च को अंसारी और तिवारी ने एक जोड़े – कुसुम और हरीश पाठक – से खरीदी गई जमीन का एक टुकड़ा मंदिर ट्रस्ट को 18.5 रुपये में बेच दिया था. ‘आप’ नेता ने यह भी आरोप लगाया था कि तिवारी अयोध्या के पूर्व मेयर और भाजपा नेता ऋषिकेष उपाध्याय के रिश्तेदार हैं.
जब दिप्रिंट ने पिछले महीने साइट का दौरा किया, तो सुल्तान के पिता नन्हे अंसारी ने स्वीकार किया कि उनके बेटे, तिवारी और दो अन्य लोगों, जिनकी पहचान उन्होंने राजेश मिश्रा और अशोक वर्मा के रूप में की है, ने मिलकर इस साल जुलाई और अगस्त के बीच ट्रस्ट को 63 बिस्वा जमीन बेची थी.
अशोक वर्मा ने भी बिक्री की पुष्टि की और कहा, “हमने इसे ट्रस्ट को 20 लाख रुपये प्रति बिस्वा के हिसाब से बेच दिया है. बाजार दर 3,500 रुपये प्रति वर्ग फुट थी लेकिन हमने इसे बहुत सस्ते में बेच दिया.”
यादव ने दिप्रिंट को यह भी बताया कि वह अपनी दो एकड़ (60 बिस्वा से अधिक) जमीन बेचने के लिए ट्रस्ट के साथ बातचीत कर रहे थे.
यादव और वर्मा दोनों इस बात को भी स्वीकार करते हैं कि उन्होंने क्षेत्र में जमीन के टुकड़े अन्य खरीदारों को बेचे हैं, उनका दावा है कि अब वे इसे ट्रस्ट को बेचना चाहते हैं. यादव ने दिप्रिंट को बताया, “यहां करीब 20 लोगों ने प्लॉट खरीदे हैं.”
यह पूछे जाने पर कि ADA से जमीन का नक्शा स्वीकृत कराए बिना जमीन कैसे बेची जा सकती है, नन्हे अंसारी इसपर टालमटोल करने लगे. उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों ने पहले ऐसी प्रक्रिया के बारे में नहीं बताया था. उन्होंने कहा, “वे अब सख्त हो गए हैं.”
तारापुर रजौली-गौरा पट्टी
क्षेत्र के निवासी जी.एस. बैठा कहते हैं कि जब पिछले अगस्त में तारापुर रजौली-गौरा पट्टी क्षेत्र में बुलडोजर चला तो लगभग 300 निवासियों के बीच डर पैदा हो गया.
क्षेत्र के कई लोगों की तरह, बैठा सेना से रिटायर्ड हैं. वह डोगरा रेजिमेंट के सैन्य इंजीनियरिंग सेवाओं (MES) में सूबेदार थे. उन्होंने क्षेत्र में जमीन इसलिए खरीदी क्योंकि यह डोगरा रेजिमेंटल सेंटर से कम दूरी पर थी.
जब उन्होंने 2018 में जमीन खरीदी तो उस समय उन्होंने 620 रुपये प्रति वर्ग फुट के हिसाब से खरीदा था. आज इसकी कीमत 1,200 रुपये प्रति वर्ग फुट है.
ध्वस्तीकरण कार्रवाई के समय ADA ने दावा किया था कि जमीन सरयू बाढ़ क्षेत्र में आती है. लेकिन बैठा इससे इनकार करते हैं.
उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “हमने कई विभागों से संपर्क किया – जिसमें (भूमि) रजिस्ट्री और आपदा प्रबंधन भी शामिल है – और साथ साथ जिला मजिस्ट्रेट और उप-विभागीय मजिस्ट्रेट को भी आवेदन दिया, लेकिन किसी ने भी इसे बाढ़ क्षेत्र नहीं कहा.”
अयोध्या नगर निगम आयुक्त और ADA के उपाध्यक्ष विशाल सिंह के अनुसार भूमि को एजेंसी की बाढ़ के मैदानों की लिस्ट से हटा दिया गया है और “पार्क और खुले स्थान” के रूप में पुनर्वर्गीकृत किया गया है. वह यह भी मानते हैं कि ADA उन क्षेत्रों में बहुत कुछ नहीं कर सकता है जहां पहले से ही घर बन चुके हैं, भले ही वे बाढ़ के मैदान में हों.
उन्होंने कहा, “उन स्थानों पर जो बाढ़ क्षेत्र के अंतर्गत नहीं आते हैं और जहां अवैध कॉलोनियां बन गई हैं, हम उन्हें उन मामलों में नियमित कर रहे हैं जहां 80 प्रतिशत से अधिक कब्जा है.”
इस बीच, ADA के एक अन्य अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि मानवीय आधार पर केवल बुनियादी ढांचे के खिलाफ कार्रवाई की गई. किसी के घरों को नहीं गिराया गया, जिन पर कब्जा कर लिया गया था.
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माझा कलां
एक अन्य क्षेत्र जहां पिछले अगस्त में ADA का बुलडोजर चला, वह था अयोध्या का माझा कलां. वहां रहने वाले निवासियों के अनुसार इस क्षेत्र में कई भूमि क्षेत्रों की अवैध बिक्री देखी गई है. इसमें मुख्य रूप से हरीश पाठक का नाम शामिल है, जिन पर उनकी कंपनी, साकेत बकरी पालन से जुड़े एक मामले में कई निवेशकों को 50 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया गया है.
पाठक का नाम कथित 2021 अयोध्या मंदिर ट्रस्ट भूमि घोटाले के सिलसिले में भी सामने आया है.
कंपनी में एक निवेशक और उनके खिलाफ मूल शिकायतकर्ताओं में से एक राम सागर के अनुसार, पाठक और उनके साथी प्रताप नारायण पांडे ने बकरी पालन पर कई योजनाओं का प्रचार किया और यूपी के बस्ती में पटखापुर और घड़ी घाट में भूमि सौदों पर आकर्षक रिटर्न की पेशकश की.
जब निवेशकों ने अपने निवेश पर रिटर्न के लिए दबाव डालना शुरू किया, तो पाठक ने कथित तौर पर उन्हें माझा कलां में कई प्लॉट बेच दिए. पाठक 2016 से फरार हैं.
सागर, जिनकी शिकायत के कारण अक्टूबर 2019 में मामले में FIR दर्ज की गई, ने दिप्रिंट को बताया, “लेकिन अब, अधिकांश लोग (अपने निवेश के लिए) दर-दर भटक रहे हैं.”
राजेश पटेल, जिनका पास के भूखंड पर एक घर भी है, ने कहा कि जिन लोगों को जमीन बेची गई थी उनमें से कई अब ADA की मंजूरी के लिए चक्कर लगा रहे हैं.
साकेतपुरी कॉलोनी के रानोपाली गांव में भी ऐसा ही है, जहां खुर्शीद खान एजेंसी के कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं. उन्होंने कहा, “ADA के बुलडोजर ने मेरी प्लॉटिंग को ढहा दिया था, लेकिन अब मैंने अपना बकाया चुकाने के बाद अपना नक्शा स्वीकृत करा लिया है.”
सोनी मार्केट, नियावां
24 फरवरी 2023 को बुलडोजरों ने सोनी मार्केट – 220 वर्ग फुट का शॉपिंग कॉम्प्लेक्स – को इस आधार पर तोड़ दिया कि यह 10.09 मीटर चौड़े नियावान चौक रोड के मोड़ पर अवैध रूप से बनाया गया था.
नियावां में शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के मालिक प्रेम सोनी ने दावा किया कि हालांकि उन्हें फरवरी 2022 में विध्वंस की सूचना मिली थी, लेकिन ADA का कदम मामले का कानूनी समाधान निकलने से पहले आया था.
उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “नोटिस एक सनी यादव को दिया गया था जिसे मैं जानता भी नहीं हूं. मुझे 23 फरवरी को रात करीब 8.30 बजे मौके पर बुलाया गया और अगले दिन सुबह 7.30 बजे इमारत को ध्वस्त कर दिया गया. बाद में मुझे अयोध्या कैंट पुलिस स्टेशन ले जाया गया.”
इस साल फरवरी में, सोनी पर धारा 332 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य से रोकने के लिए जानबूझकर चोट पहुंचाना), 186 (किसी लोक सेवक को उसके सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में स्वेच्छा से बाधा डालना), 353 (लोक सेवक को रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल लगाना) और भारतीय दंड संहिता की धारा 504 (शांति भंग करने के लिए जानबूझकर अपमान) के तहत मामला दर्ज किया गया था.
FIR ADA सचिव सत्येन्द्र सिंह की शिकायत पर दर्ज की गई थी, जो 23 फरवरी को विध्वंस स्थल पर थे.
दिप्रिंट के पास मौजूद FIR के मुताबिक, तोड़फोड़ की सूचना मिलने पर सोनी ने ADA सचिव के साथ मारपीट की और गाली-गलौज की. लेकिन सोनी ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि उन्हें इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि उन्होंने ADA अधिकारियों को रिश्वत देने से इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा, “मुझे विध्वंस रोकने के लिए 5 लाख रुपये देने के लिए कहा गया था. मैंने नक्से की स्वकृति के लिए जो राशि लगती उसके भुगतान के लिए तैयार था, लेकिन रिश्वत देने से इनकार कर दिया. हमारा मॉल इस इलाके में एकमात्र इमारत नहीं थी.”
अपनी ओर से, ADA सचिव सत्येन्द्र सिंह ने सोनी के दावों को “दोषी” व्यक्ति का काम बताकर खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, “नोटिस (विध्वंस के लिए) पिछले साल जारी किया गया था और हमने कई महीनों तक इंतजार किया. उन्हें स्थानीय अदालत से स्टे मिल गया जो बाद में ख़त्म हो गया. उन्होंने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और यहां तक कि संभागीय आयुक्त ने भी उन्हें कोई राहत देने से इनकार कर दिया था.”
इस बीच, हालांकि ADA अधिकारियों ने बनबीरपुर में तोड़फोड़ अभियान चलाने का दावा किया है, लेकिन निवासियों ने कहा कि उन्हें ऐसी किसी कार्रवाई की जानकारी नहीं है. ईंट भट्ठा मालिक दीपक सोलानी ने दिप्रिंट को बताया, “हमने बनबीरपुर गांव से सटे माझा कलां इलाके में कार्रवाई के बारे में सुना है, लेकिन यहां ऐसी किसी कार्रवाई के बारे में नहीं जानते हैं.”
(संपादन: ऋषभ राज)
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