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Friday, 22 November, 2024
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विश्व बैंक ने भारत की 2023-24 की GDP ग्रोथ 6.3% पर बरकरार रखा, अप्रैल में किया था कम

भारत की सेवा क्षेत्र की गतिविधि 7.4 प्रतिशत की वृद्धि के साथ मजबूत रहने की उम्मीद है और निवेश वृद्धि भी 8.9 प्रतिशत पर मजबूत बने रहने का अनुमान है.

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नई दिल्ली : विश्व बैंक ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि का अनुमान 6.3 प्रतिशत पर बरकरार रखा है और कहा है कि देश ने चुनौतीपूर्ण वैश्विक वातावरण की पृष्ठभूमि के मुकाबले लचीलापन दिखाना जारी रखा है.

विश्व बैंक ने अपनी अप्रैल की रिपोर्ट में 2023-24 वित्तीय वर्ष में भारतीय अर्थव्यस्था की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 6.6 प्रतिशत से कम कर 6.3 प्रतिशत कर दिया था.

विश्व बैंक की भारत डेवलपमेंट अपडेट (आईडीयू) की मंगलवार को जारी रिलीज के मुताबिक, भारतीय अर्थव्यवस्था पर अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान की प्रमुख अर्धवार्षिक रिपोर्ट में पाया था कि वैश्विक चुनौतियों के बावजूद, भारतीय अर्थव्यवस्था 2022-23 में 7.2 फीसदी के साथ सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था रही.

विश्व बैंक ने कहा, “जी20 देशों में भारत की अर्थव्यवस्था दूसरी सबसे तेज वृद्धि दर से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था थी और उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं के औसत से लगभग दोगुना थी. यह लचीलापन मजबूत घरेलू मांग, मजबूत सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के निवेश व मजबूत वित्तीय क्षेत्र की वजह से था.”

इस वित्तीय वर्ष में, भारत में बैंक ऋण पहली तिमाही में 15.8 प्रतिशत बढ़ा, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में यह 13.3 प्रतिशत था.

भारत की सेवा क्षेत्र की गतिविधि 7.4 प्रतिशत की वृद्धि के साथ मजबूत रहने की उम्मीद है और निवेश वृद्धि भी 8.9 प्रतिशत पर मजबूत बने रहने का अनुमान है.

भारत में विश्व बैंक के कंट्री निदेशक ऑगस्टे तानो कौमे ने कहा, “प्रतिकूल वैश्विक माहौल, अल्पावधि में चुनौतियां पैदा करता रहेगा.”

“सार्वजनिक व्यय के उपयोग के जरिए अधिक निजी निवेश में वृद्धि कर भारत के लिए भविष्य में वैश्विक अवसरों का लाभ उठाने और इस प्रकार उच्च विकास हासिल करने के लिए अधिक अनुकूल परिस्थितियां पैदा होंगी.”

विश्व बैंक को उम्मीद है कि उच्च वैश्विक ब्याज दरों के कारण वैश्विक प्रतिकूल परिस्थितियां बनी रहेंगी और तेज होंगी, भू-राजनीतिक तनाव, और सुस्त वैश्विक मांग व परिणामस्वरूप, मध्यम अवधि में वैश्विक आर्थिक विकास भी धीमा होना तय है.

भारत में प्रतिकूल मौसम की स्थिति के बारे में, जिसने हाल के महीनों में मुद्रास्फीति में वृद्धि में योगदान दिया, विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि मूल्य वृद्धि धीरे-धीरे कम होने की उम्मीद है क्योंकि खाद्य कीमतें सामान्य हो जाती हैं और सरकार के उपायों से प्रमुख वस्तुओं की आपूर्ति बढ़ जाती है.

विश्व बैंक के वरिष्ठ अर्थशास्त्री और रिपोर्ट बनाने में मुख्य भूमिका निभाने वाले ध्रुव शर्मा ने कहा, “हालांकि सकल मुद्रास्फीति में बढ़ोत्तरी अस्थायी रूप से खपत को बाधित कर सकती है, हमें नरमी का अनुमान है. कुल मिलाकर स्थितियां निजी निवेश के लिए अनुकूल रहेंगी.”

“भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की मात्रा भी बढ़ने की संभावना है क्योंकि वैश्विक मूल्य चेन में रिबैलेंसिंग जारी है.”

गेहूं और चावल जैसे खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि के कारण जुलाई में, भारत में सकल मुद्रास्फीति बढ़कर 7.8 प्रतिशत हो गई थी, जो बाद में अगस्त में गिरकर 6.8 प्रतिशत हो गई.

इसके अलावा, विश्व बैंक ने उम्मीद जताई है कि 2023-24 में राजकोषीय मजबूती जारी रहेगी, साथ ही केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद के 6.4 प्रतिशत से घटकर 5.9 प्रतिशत तक जारी रहने का अनुमान है.

सार्वजनिक ऋण सकल घरेलू उत्पाद के 83 प्रतिशत पर स्थिर होने की उम्मीद है. बाहरी मोर्चे पर, चालू खाता घाटा सकल घरेलू उत्पाद के 1.4 प्रतिशत तक कम होने की उम्मीद है, और इसे विदेशी निवेश प्रवाह के जिरए पर्याप्त रूप से वित्तपोषित और बड़े विदेशी भंडार द्वारा मदद मिलेगी.


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