नई दिल्ली: देश में चर्चा युवा वोटरों पर है, नेता उन्हें रुझाने की कोशिश भी कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर एक मतदाता वर्ग ऐसा भी है जिन की कोई खबर नहीं ले रहा पर जो आज भी राजनीति में दिलचस्पी रखता है. ये हैं दिल्ली के बुज़ुर्ग मतदाता. देश की राजनीति को दशकों से देख रहे ये लोग अपनी उम्र से भले ही मात खा जायें पर अपनी सोच से अब भी जागृत है. चुनाव आयोग का कहना है कि दिल्ली में 100 साल से ऊपर के 96 मतदाता हैं. बीमारी और बुढ़ापा झेल रहे ये लोग चुनाव की चर्चा और नए पुराने नेताओं पर आज भी नज़र रखे हुए है. और सभी कहते हैं वोट वे ज़रूर डालेंगे. दिप्रिंट इनमें से कुछ मतदाताओं के घर पहुंचा और चुनाव से जुड़े उनके अनुभवों पर बात की.
अटल बिहारी के बाद अगर कोई प्रधानमंत्री देखा तो वो मोदी हैं
पश्चिमी दिल्ली के जनकपुरी में दयाल चंद तनेजा 101 साल के हैं. 1947 में पाकिस्तान के इस्लामाबाद से भारत आए दयाल दिप्रिंट से अपने राजनीतिक रुझान के बारे में बताते हुए कहते हैं, ‘देखो भाई हम तो पक्के भाजपाई हैं. देश में अगर अटल बिहारी के बाद कोई प्रधानमंत्री देखा है तो वो मोदी जी ही हैं.’
वे आगे कहते हैं, ‘1947 में राजस्थान के बीकानेर आने के बाद, जालंधर, झांसी गया. वहां पुलिस की नौकरी की. लेकिन छोड़ना पड़ी. फिर मुज़फ्फरनगर आ गया. 1982 से मैं दिल्ली में हूं. तब से मैंने कांग्रेस के अंदर खामियां देखी हैं. 1984 में हुए दंगे के समय मैं दिल्ली के विकासपुरी में था, हालात बहुत खराब थे. लूटने वालों में बिहारी थे, दंगा कराने में पार्टी के लोग शामिल थे.’
लालकृष्ण आडवणी से मिल चुके और मदन लाल खुराना के साथ काम कर चुके दयाल कहते हैं, ‘मैंने जगदीश मुखी के साथ अपने क्षेत्र के लिए कई काम किया है. जगदीश मुखी अब मिज़ोरम के गवर्नर हैं के साथ भी काम किया है. बाल ध्यान रोड से चांद प्लेस तक रोड बनावाने में मदद की. कई जगह शराब का ठेका भी नहीं खुलने दिया.’
दिल्ली के सबसे बुज़ुर्ग मतदाता बच्चन सिंह
111 साल के बच्चन सिंह दिल्ली के तिलकनगर के निवासी हैं ऐसा माना जा रहा है कि वह दिल्ली के सबसे बुजुर्ग मतदाता हैं. बच्चन की अब सुनने बोलने की क्षमता भले ही खत्म हो गई है तीन महीने पहले उन्हें लकवा भी मार गया है..अब वो चलने फिरने में असमर्थ हैं..बात करते करते वह भूल जाते हैं लेकिन जैसे ही चुनाव की बात करते हैं उनकी आंखों में अलग सी चमक आ जाती है.
उनके पोते गुरचरण सिंह बताते हैं, ‘पाकिस्तान से बंटवारे के बाद भारत आए बच्चन सिंह पहले चुनाव से लेकर अब तक लगातार मतदान करने जाते रहे हैं. वोटिंग वाले दिन वे तड़के सवेरे उठ जाते हैं और घर में सबसे पहले वोट डालकर आते हैं. आने के बाद वे घर के अन्य सदस्यों को वोट डालने के लिए प्रेरित करते हैं.’
ऐसी क्या बात है कि ठीक से चल-फिर नहीं पा रहे बच्चन सिंह वोट डालने को लेकर इतने उत्साहित रहते हैं. इस पर गुरुचरण बताते हैं, ‘अगर आपको याद हो तो अंग्रेजों के खिलाफ सबसे पहले जंग छेड़ने वाले हमारे रामसिंह कूका थे. हम सब उनको अपना गुरु मानते हैं. उनकी बातों पर चलते आ रहे हैं. उनके परिवार के लोग हमारे दादा को मतदान करने के लिए प्रेरित करते थे.’
गुरदासपुर पंजाब में पैदा हुए बच्चन आज़ादी से पहले बढ़ई का काम करने पाकिस्तान जाते थे. बंटवारे के बाद वे दिल्ली आ गए और तिलकनगर में अपना गुजर-बसर शुरू कर दिया. तीन महीने पहले उन्हें लकवा मार गया था जिससे वो चलने फिरने में असमर्थ हैं. उन्हें पुरानी बातें ठीक से याद नहीं हैं.
बच्चन अब तक नेहरू से लेकर मोदी तक भारत के सारे प्रधानमंत्रियों को देख चुके हैं लेकिन उन्हें किसी नेता का नाम नहीं याद है. ऐसे में वो वोट कैसे देंगे. किस आधार पर नेता का चुनाव करेंगे इस पर उनके घर वाले बोलते हैं, ‘वैसे तो हमारा पूरा परिवार शुरू से ही कांग्रेसी रहा है. हमारे गुरू भी कांग्रेस को समर्थन करते आए हैं लेकिन अब जो अच्छा काम करेगा, हमारे पूरे परिवार का वोट उसी को जाएगा. सभी अपने-अपने तरीके से काम कर रहे हैं.’
अब के लोगों की भाषा खराब हो गई है
दिल्ली के आदर्श नगर में रहने वाले तिलक राज दिल्ली के तीसरे सबसे बड़ी उम्र वाले मतदाता हैं. 107 साल के तिलक चुनाव आयोग की सूची में तीसरे सबसे उम्र दराज मतदाता हैं. देश के बंटवारे के बाद तिलकराज दिल्ली में आकर बस गए. यहां वो घड़ियों की दुकान चलाते थे. उनके पोते दीपक कुकरेजा बताते हैं, ‘100 साल से ऊपर का होने के बाद भी हमारे दादा जी को कोई बीमारी नहीं है. यहां तक की ज़ुकाम भी नहीं हुआ. ये हमेशा से वोट डालने के लिए उत्सुक रहे हैं और इन्होंने आज तक हर चुनाव, एमसीडी, विधानसभा, लोकसभा सभी चुनावों में वोट डाले हैं.’
उन्होंने अपना पहला वोट कब डाला था ठीक से याद नहीं है. वे कहते हैं जब से देश में चुनाव हो रहा है तब से वोट डाल रहा हूं. अब तक देश के सभी प्रधानमंत्रियों काम देख चुका हूं.’
ऐसे में राजनीति में किस तरह का वो बदलाव देखते हैं. इस पर तिलक राज कहते हैं, ‘अब लोगों की भाषा खराब हो गई है. पहले इतना तो था कि लोग मर्यादित भाषा बोलते थे.’
ये पूछने पर कि इस बार क्या वो मतदान करेंगे और अगर करेंगे तो प्रत्याशियों में क्या देखेंगे. वे कहते हैं, ‘मतदान तो हम हमेशा से करते आए हैं, इस बार भी करेंगे जहां तक रही बात प्रत्याशियों और नेताओं की तो मुझे लगता है मोदी को एक मौका अभी और मिलना चाहिए.’
यह पूछने पर कि मोदी ने पांच सालों में ऐसा क्या काम किया है जिससे आप उन्हें वोट देने की सोच रहे. तिलक राज कहते हैं, ‘मोदी ने देश-विदेश में भारत का नाम बढ़ाया है. एक मौका और मिले.’
सरकार बस पेंशन दिला दे
दिल्ली के तुर्कमान गेट के पास चांद मस्जिद के सामने बेतुल बेगम रहती हैं. वो 105 साल की हैं. अरुणा आसिफ अली के खानदान से ताल्लुक रखने वाली बेतुल बेगम पांचवीं तक पढ़ी हैं. उनके घुटनों में तकलीफ है. चलने में उन्हें काफी दिक्कत होती है लेकिन वो वोट देने का कोई मौका नहीं छोड़ती हैं. नेता के रूप में उन्हें इंदिरा गांधी याद हैं. उनसे पूछने पर कि वो सरकार से क्या मांग करती हैं तो वह कहती हैं, ‘सरकार से हमें आज तक कभी वृद्धा पेंशन नहीं मिली. मैं चाहती हूं ये सरकार हमारी पेंशन का इंतजाम कर दे.’
इस बार वोट देते वक्त किस आधार पर प्रत्याशियों को चुनेंगी. वो हंसते हुए बोलती हैं, ‘जो हमें पेंशन देगा, हम तो उसी को वोट देंगे.’
चुनाव आयोग ने कमर कस ली है
दिल्ली में 12 तारीख को होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग की तैयारियां जोरों-शोर चल रही हैं. दिल्ली चुनाव आयोग के आंकड़े के मुताबिक 100 साल से ऊपर इस बार यहां 96 मतदाता हैं जिनमें महिलाओं की संख्या अधिक है. 54 महिलाएं और 42 पुरुष मतदाता भाग ले रहे हैं. दिल्ली चुनाव आयोग के इलोक्टोरल अधिकारी मनोज ने बताया कि इन लोगों को मतदान कराने के लिए आयोग द्वारा विशेष व्यवस्था की जाएगी. इन्हें घर से मतदान केंद्र ले जाना और वापस घर छोड़ना शामिल है.