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Sunday, 24 November, 2024
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भारत-ब्रिटेन FTA वार्ता ‘संवेदनशील’ बना हुआ है, भविष्य में होने वाले चुनाव इसे प्रभावित कर रहे हैं

व्यापार वार्ता के 26 में से 19 चैप्टर बंद हो गए हैं, लेकिन अनौपचारिक श्रम, शराब शुल्क और प्रवासन नीतियों जैसे मुद्दों का समाधान होना अभी भी बाकी है. पीएम मोदी और यूके के पीएम ऋषि सुनक FTA की दिशा में 'जल्दबाजी से काम' करने पर सहमत हुए हैं.

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नई दिल्ली: भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की बातचीत सोमवार को 13वें दौर में पहुंच गई. बातचीत इन संकेतों के बीच कि व्यापार मंत्रालय धीरे-धीरे अपनी “सीमित भूमिका” निभा रहे हैं और दोनों देशों में आगामी चुनावों का असर इन सौदे के फाइनल परिणाम पर पड़ सकता है.

इस महीने की शुरुआत में दिल्ली में G20 शिखर सम्मेलन के मौके पर मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूके के पीएम ऋषि सुनक ने FTA की दिशा में “तेजी से काम करने” पर सहमति व्यक्त की. हालांकि, सुनक प्रशासन ने कहा है कि वह इस सौदे को सुरक्षित करने के लिए छात्र वीजा सहित अपनी प्रवासन नीतियों में बदलाव करने की योजना नहीं बना रहा है.

जहां ब्रिटेन शराब और ऑटोमोबाइल के क्षेत्रों में अधिक पहुंच पर जोर दे रहा है, वहीं भारत अन्य पहलुओं के अलावा भारतीय कंपनियों के लिए आसान गतिशीलता और वीजा नियमों के लिए प्रयास कर रहा है. इसके अलावा एक द्विपक्षीय निवेश संधि भी लंबित है.

चल रही बातचीत में शामिल एक व्यापार विशेषज्ञ ने दिप्रिंट से बात करते हुए कहा, “दो देशों के व्यापार मंत्री – भारत के पीयूष गोयल और यूके के केमी बडेनोच – अब बातचीत में एक सीमित भूमिका निभा रहे हैं. राजनीति और चुनाव इस सौदे को प्रभावित कर रहा है.

उन्होंने कहा, “FTA के 26 चैप्टर्स में से 19 को बंद कर दिया गया है और अनौपचारिक श्रम जैसे संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा अभी भी हो रही है. व्यापार मंत्रियों की अब सीमित भूमिका है क्योंकि दोनों देशों में आगे चुनाव होने जा रहे हैं.”

विशेषज्ञ ने कहा: “सुनक यूके के आम चुनावों से पहले [जनवरी 2025 तक] व्यापार समझौते को आगे बढ़ा सकते हैं. इसे कंजर्वेटिव पार्टी के लिए एक प्रचार उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.”

यूके इंडिया बिजनेस काउंसिल के प्रबंध निदेशक केविन मैककोले ने भी कहा कि इसमें चुनाव अब एक बड़ी भूमिका निभा रहा है.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “बातचीत एक महत्वपूर्ण चरण में प्रवेश कर रही है. आंशिक रूप से क्योंकि आगामी चुनाव समय के दबाव का आंशिक रूप से एक मुद्दा बना रहे हैं और क्योंकि वार्ताकारों ने एक समझौते के करीब पहुंचने के लिए काफी अच्छा काम किया है. लेकिन सरकारों को अभी भी काम करना बाकी है.”

भारत में मई 2024 में चुनाव होने वाले हैं और ब्रिटेन में जनवरी 2025 से पहले चुनाव होने की उम्मीद है.

दोनों देशों ने 2021 में FTA पर बातचीत शुरू की थी. भारतीय वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2022-23 में द्विपक्षीय व्यापार 20.36 बिलियन डॉलर था और पिछले पांच वर्षों में भारत का निर्यात ब्रिटिश आयात से लगभग 2-3 बिलियन डॉलर अधिक रहा है.

यह पूछे जाने पर कि बातचीत के मौजूदा दौर में प्राथमिकता वाले मुद्दे क्या हैं, भारतीय वाणिज्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, “बड़े टिकट वाले आइटम” जो दोनों देशों के लिए व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, वो बातचीत की मेज पर हैं. हालांकि उन्होंने इसको लेकर कुछ विशेष जानकारी नहीं दी.

अधिकारी ने फोन पर दिप्रिंट को बताया, “अतीत से सीखते हुए, हम यह सुनिश्चित करने के लिए समयसीमा तय नहीं कर रहे हैं कि बातचीत यथासंभव मजबूत हो सके.”

दोनों देश पिछले साल अक्टूबर के अंत में अपनी ‘दिवाली की समय सीमा’ को पूरा करने में विफल रहे. यह उस समय के आसपास था जब राजनीतिक अनिश्चितता ने ब्रिटेन को जकड़ लिया था – बोरिस जॉनसन ने कथित पार्टीगेट घोटाले पर पीएम पद से इस्तीफा दे दिया था और उनकी जगह लिज़ ट्रस को नियुक्त किया गया था, जिन्होंने केवल 44 दिन पहले ही पद संभाला था. बाद में उन्होंने भी इस्तीफा दे दिया था और सुनक को कमान सौंप दी थी.

दोनों देशों के बीच तनाव पैदा करने वाली घटनाओं का असर बातचीत पर भी पड़ा है.

यह पूछे जाने पर कि क्या राजनीति और चुनाव अब FTA के संबंध में मार्गदर्शक कारक हैं, वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, “हमें शुरू से ही राजनीतिक मार्गदर्शन मिला है.”


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‘मौलिक अंतर’

2016 में यूके भारत के शीर्ष 10 प्रमुख व्यापारिक भागीदारों में से एक था, लेकिन आज यह उस सूची में शामिल नहीं है.

इस बीच, भारत कथित तौर पर ब्रिटेन का तीसरा सबसे बड़ा सेवा निर्यातक और छठा सबसे बड़ा गैर-ईयू व्यापार भागीदार बनकर उभरा है.

द्विपक्षीय व्यापार वर्तमान में कुछ श्रेणियों की वस्तुओं तक ही सीमित है और भारत शराब जैसे उत्पादों पर उच्च टैरिफ वाला देश बना हुआ है.

यूके में पूर्व उच्चायुक्त रुचि घनश्‍याम ने बताया कि FTA के प्रति भारत और यूके के दृष्टिकोण के बीच बुनियादी अंतर हैं.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “यूके भारत के माल बाजार में अधिक पहुंच चाहता है और जब यूके में सेवाओं की बात आती है तो भारत पहुंच चाहता है. यह ब्रिटेन के नेतृत्व के लिए एक तरह का अस्तित्वगत प्रश्न है जो पहले से ही प्रवासन पर कड़ा रुख अपना चुका है.”

घनश्याम ने कहा: “लेकिन G20 में मोदी और सुनक की बातचीत के साथ-साथ बड़ी संख्या में बातचीत के दौर इन बुनियादी मतभेदों को दूर करने के लिए दोनों पक्षों की दृढ़ता का संकेत देते हैं.”

यूके एक द्विपक्षीय निवेश संधि पर भी जोर दे रहा है, जिसे भारत वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया जैसे अन्य उन्नत देशों के साथ साझा नहीं करता है, जिनके साथ उसका FTA है. इस तरह की संधि ब्रिटेन के निवेशकों को भारत में कुछ सुरक्षा या कानूनी सहारा प्रदान करेगी.

इस बीच, ब्रिटिश उच्चायोग के प्रवक्ता ने दिप्रिंट को बताया कि FTA वार्ता अब “जटिल और तकनीकी क्षेत्रों” पर केंद्रित है. उन्होंने कहा, “ब्रिटेन तभी हस्ताक्षर करेगा जब हमारे पास ऐसा समझौता होगा जो निष्पक्ष, पारस्परिक और अंततः ब्रिटिश लोगों और ब्रिटिश अर्थव्यवस्था के सर्वोत्तम हित में होगा.”

2021 के बाद से कुछ घटनाओं ने FTA वार्ता के लिए तनावपूर्ण पृष्ठभूमि भी तैयार की है.

उदाहरण के लिए, ब्रिटेन की गृह सचिव सुएला ब्रेवरमैन ने पिछले साल तब विवाद खड़ा कर दिया था जब उन्होंने कथित तौर पर भारतीयों को ब्रिटेन में “वीज़ा अवधि से अधिक समय तक रुकने वाले लोगों का सबसे बड़ा समूह” बताया था. लंदन में भारतीय मिशन ने बाद में कथित तौर पर कहा कि नई दिल्ली उन भारतीय नागरिकों की वापसी की सुविधा के लिए यूके के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिन्होंने अपनी वीजा अवधि पूरी कर ली है.

इस साल की शुरुआत में, सिख चरमपंथियों द्वारा लंदन में भारतीय मिशन पर हमला करने और भारतीय ध्वज को उतारने के बाद, ब्रिटिश रिपोर्ट्स सामने आईं कि नई दिल्ली व्यापार वार्ता से “अलग हो गई” और यह बातचीत “खालिस्तान आंदोलन की सार्वजनिक निंदा के बिना” आगे बढ़ सकती है. हालांकि, भारत सरकार के सूत्रों ने ऐसी खबरों का खंडन किया है.

(संपादनः ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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