नई दिल्ली: हरदीप सिंह निज्जर 1997 में “प्लंबर” का काम करने कनाडा गया था, लेकिन जल्द ही वह खालिस्तान समर्थक संगठन खालिस्तान टाइगर फोर्स (KTF) का प्रमुख बन गया. उसके तुरंत बाद वह भारत सरकार के मोस्ट वांटेड आतंकवादी की लिस्ट में शामिल हो गया.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, जालंधर की फिल्लौर तहसील के भार सिंह पुरा गांव का रहने वाला 46 वर्षीय निज्जर की कनाडा के सरे में एक गुरुद्वारा परिसर में मई में दो अज्ञात हमलावरों द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जब वह अपने घर लौट रहा था.
वह सरे में गुरु नानक सिख गुरुद्वारा साहिब का प्रमुख भी था.
पिछले कुछ महीनों में जिन खालिस्तानी अलगाववादियों की या तो हत्या कर दी गई या उन्हें जहर दे दिया गया, उनमें से एक निज्जर सबसे नवीनतम शामिल है. इस सूची में आतंकवादी और खालिस्तान कमांडो फोर्स (केसीएफ) के प्रमुख परमजीत सिंह पंजवार उर्फ मलिक सरदार सिंह और ब्रिटेन स्थित खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (केएलएफ) के प्रमुख अवतार सिंह खांडा जैसे लोग शामिल हैं.
सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों के अनुसार, निज्जर ने KTF में भर्ती, प्रशिक्षण और फंड की व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और वह भारत में प्रतिबंधित अलगाववादी संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) का सक्रिय सदस्य भी था.
एक सूत्र ने दिप्रिंट से कहा था, “उसने अलगाववादी एजेंडे को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और कनाडा में SFJ का प्रतिनिधित्व किया. दरअसल, वह SFJ के संस्थापक गुरपतवंत सिंह पन्नून के करीबी सहयोगी में से एक था और उसके कहने पर ब्रैम्पटन में रेफरेंडम 2020 अभियान का प्रचार कर रहा था.”
सूत्र ने आगे बताया था, “वह प्लंबर के रूप में कनाडा गया था, लेकिन जल्द ही वह सरे के गुरु नानक सिख मंदिर के अध्यक्ष बन गया. सच यह था कि वह इस पद पर बलपूर्वक बैठा था. उसने कनाडा में अपने नेटवर्क का विस्तार किया और अपने सहयोगियों से मिलने के लिए पाकिस्तान की यात्रा भी की. वह भारत के महावाणिज्य दूतावास, वैंकूवर के सामने विरोध प्रदर्शन में भी नियमित रूप से शामिल होता था और अक्सर इस उद्देश्य के लिए भीड़ इकट्ठा करता था.”
KTF प्रमुख का नाम उस मोस्ट वांटेड लिस्ट में शामिल था जो पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने 2018 में अपनी भारत यात्रा के दौरान कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को सौंपी थी.
निज्जर को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा सिख कट्टरवाद और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने से संबंधित चार मामलों का सामना करना पड़ा था और उसके खिलाफ 10 लाख रुपये का इनाम रखा गया था.
दिसंबर 2020 में दिल्ली में किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान NIA द्वारा दर्ज की गई RIR में भी उनका नाम था.
प्राथमिकी के अनुसार, निज्जर ने SFJ के संस्थापक गुरपतवंत सिंह पन्नून और KTF सदस्य परमजीत सिंह पम्मा के साथ मिलकर भय और अराजकता का माहौल बनाने, लोगों में असंतोष पैदा करने और उन्हें सरकार के खिलाफ विद्रोह करने के लिए उकसाने की कई साजिशें भी रची थी.
तीनों ने अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया जैसे कई देशों में अपने कार्यालयों के साथ ‘मानवाधिकार वकालत समूह’ की आड़ में अभियान शुरू किया – ये सभी पाकिस्तान सहित विदेशी धरती से संचालित होने वाले खालिस्तान आतंकवादी संगठनों के मुख्य कार्यालय थे. इसकी जानकारी NIA ने दी थी.
NIA के सूत्रों के बताया था कि फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप, यूट्यूब चैनलों और कई वेबसाइटों का इस्तेमाल “नफरत फैलाने और प्रभावशाली युवाओं को कट्टरपंथी बनाने, भारत की शांति और सद्भाव में गड़बड़ी पैदा करने” के लिए किया गया था.
बता दें कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को कनाडा में खालिस्तान टाइगर फोर्स के प्रमुख हरदीप सिंह निज्जर की घातक गोलीबारी में मौत के पीछे भारतीय खुफिया एजेंसी का हाथ बताया था.
नज्जर, जिसे भारत ने “भगोड़ा” घोषित कर दिया था, को 18 जून को कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर पार्किंग क्षेत्र में गोली मार दी गई थी.
पंजाब के जालंधर के भारसिंहपुर गांव का रहने वाला निज्जर सरे में रहता था और उसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने “भगोड़ा” घोषित कर दिया था.
इससे पहले सोमवार को, कनाडाई संसद में एक बहस में बोलते हुए, कनाडाई प्रधान मंत्री ट्रूडो ने दावा किया कि उनके देश के राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों के पास इसके सबूत हैं कि “भारत सरकार के एजेंटों” ने कनाडाई नागरिक की हत्या को अंजाम दिया.
ट्रूडो ने कहा, “कनाडाई सुरक्षा एजेंसियां भारत सरकार के एजेंटों और कनाडाई नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बीच संभावित संबंध के विश्वसनीय आरोपों का सक्रिय रूप से पीछा कर रही हैं.”
उन्होंने कहा कि कनाडा में एक कनाडाई नागरिक की हत्या में किसी विदेशी हाथ या किसी विदेशी सरकार की संलिप्तता अस्वीकार्य है.
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