पिछले साल चीन द्वारा अपनी जीरो कोविड नीति को खत्म कर अपनी अर्थव्यवस्था खोलने के बाद, एक पुरानी समस्या उससे अपना बदला लेने वापस आ गई है. चीनी अधिकारी इस समस्या से जूझ रहे हैं कि उनके ही नागरिक दक्षिण पूर्व एशियाई देश में बैठक चीन में रहने वाले लोगों से फ्रॉड कर रहे हैं और गिरोह चला रहे हैं.
चीन का ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और ताइवान जैसे स्थानों में संगठित अपराध सिंडिकेट का सहयोग करने और राजनीतिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए आपराधिक समूहों को नियोजित करने का इतिहास रहा है. हालांकि, म्यांमार और गोल्डन ट्राएंगल क्षेत्र में टेलीकॉम फ्रॉड और बढ़ती मानव तस्करी चीनी नागरिकों पर उल्टा प्रभाव डाल रही है.
जिसे ‘स्कैम’ के रूप में बताया जा रहा है, उसमें मानव तस्करी और ऑनलाइन स्कैम सहित कई अन्य अवैध गतिविधियों की एक पूरी सीरीज शामिल है. इन गतिविधियों का केंद्र मुख्य रूप से कंबोडिया और गोल्डन ट्रायंगल क्षेत्र में है, जो म्यांमार, थाईलैंड और लाओस को ओवरलैप करता है. साथ ही यह क्षेत्र अवैध अफीम उत्पादन और अन्य आपराधिक गतिविधियों के लिए कुख्यात है.
मानव तस्करी का वैश्विक ख़तरा
कंबोडिया, खासकर सिहानोकविले, लंबे समय से जुए सहित दूसरे अन्य अवैध गतिविधियों में शामिल चीनी नागरिकों के केंद्र के रूप में जाना जाता है. हालांकि, कंबोडिया में शुरू हुए ये ‘कारोबार’ अब एक तरह से उद्योग का रूप ले चुका है. इसलिए चीनी पर्यटक अब अपने इस पसंदीदा जगह पर जाने से भी कतराते हैं.
जून में, इंटरपोल ने कंबोडिया से संचालित होने वाले ऑनलाइन फ्रॉड सेंटर्स के बारे में चेतावनी जारी की, जिनका नेटवर्क लाओस और म्यांमार तक फैला हुआ है.
इंटरपोल ने बताया कि शुरू में, मानव तस्करी के पीड़ित लोग मुख्य रूप से चीन, मलेशिया, थाईलैंड या सिंगापुर जैसे चीनी भाषी क्षेत्रों से आए थे. हालांकि, अब लोगों को यूरोप और दक्षिण अमेरिका जैसे दूर-दराज क्षेत्रों से भी लाया जाता है. यहां तक कि भारतीय नागरिक भी दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में जॉब स्कैम का शिकार हो रहे हैं.
इंटरपोल के महासचिव जुर्गन स्टॉक ने कहा, “जो खतरा क्षेत्रीय अपराध के रूप में शुरू हुआ था, आज वह वैश्विक मानव तस्करी का केंद्र बन गया है.”
इंटरपोल इसको लेकर सचेत करने वाला एकमात्र संगठन नहीं है. अगस्त में, संयुक्त राष्ट्र ने बताया कि कंबोडिया में 1,00,000 से अधिक लोगों और म्यांमार में 1,20,000 से अधिक लोगों की तस्करी की गई थी.
हाल के महीनों में, चीनी सार्वजनिक सुरक्षा ब्यूरो ने कई स्कैम सेंटर पर बड़े पैमाने पर कार्रवाई की थी, जिन्हें कंबोडिया और म्यांमार की सरकारों का मौन समर्थन प्राप्त था.
सार्वजनिक सुरक्षा मंत्रालय ने कहा है कि उसने “टेलीकॉम और ऑनलाइन फ्रॉड के खिलाफ लड़ाई तेज कर दी है”. इसमें कहा गया था कि उत्तरी म्यांमार और गोल्डन ट्राएंगल, एक क्षेत्र जिसमें थाईलैंड, लाओस और म्यांमार के कुछ हिस्से शामिल हैं, धोखेबाजों के छिपने के दो प्रमुख स्थान हैं.”
चाइना डेली के एक लेख में कहा गया है, “इस साल की शुरुआत से, मंत्रालय ने टेलीकॉम फ्रॉड और मानव तस्करी पर कड़ी कार्रवाई के साथ अंतरराष्ट्रीय कानून प्रवर्तन पर सहयोग के लिए फिलीपींस, कंबोडिया, म्यांमार और लाओस सहित देशों में टीमें भेजी है.” रिपोर्ट बाद में चीन के सुप्रीम पीपुल्स कोर्ट की वेबसाइट पर भी प्रकाशित की गई थी.
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चीन की अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा
हाल ही में एक ज्वाइंट ऑपरेशन में, चीनी पुलिस ने म्यांमार में स्थानीय कानून प्रवर्तन के सहयोग से फ्रॉड करने वाले लगभग 11 अड्डों को बंद कर दिया. इस भंडाफोड़ के परिणामस्वरूप 269 संदिग्धों को गिरफ्तार भी किया गया, जिनमें 189 सिर्फ चीनी नागरिक शामिल थे.
एक अलग कार्रवाई में, चीन के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्रालय ने उत्तरी म्यांमार में टेलीकॉम स्कैम को लेकर बड़े पैमाने पर कार्रवाई शुरू की, जिसके परिणामस्वरूप म्यांमार से 1,207 संदिग्धों को युन्नान में चीनी कानून प्रवर्तन अधिकारियों के पास ट्रांसफर कर दिया गया. इन संदिग्धों को चीनी नागरिकों को प्रभावित करने वाले टेलीकॉम स्कैम मामलों में पकड़ा गया था.
जबकि चीन और म्यांमार के बीच बेहतर संबंधों ने चीनी सार्वजनिक सुरक्षा एजेंसियों को देश में पुलिसिंग गतिविधियों को अधिक प्रभावी ढंग से संचालित करने की अनुमति दी है. हालांकि, कई और चुनौतियां बनी हुई हैं.
दिलचस्प बात यह है कि 2023 में नो मोर बेट्स नाम से एक नई चीनी ब्लॉकबस्टर फिल्म भी रिलीज हुई है, जो लोगों को दक्षिण पूर्व एशिया में नौकरियों का लालच देने और धोखेबाजों के नेटवर्क में फंसने के खतरों के बारे में बताती है. फिल्म एक चीनी मॉडल और एक कंप्यूटर प्रोग्रामर की कहानी पर है, जिसे विदेशों में अच्छी सैलरी का वादा किया जाता है, लेकिन अंत में वह एक तस्करी नेटवर्क का हिस्सा बन जाता हैं, जो चीनी नागरिकों को ठगने वाले ऑनलाइन स्कैम नेटवर्क के लिए काम करने के लिए मजबूर करता है. यह फिल्म सनसनीखेज के साथ हिट रही है, जिसने अपने पहले महीने में 500 मिलियन डॉलर से अधिक की कमाई की और मानव तस्करी के मुद्दे पर पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा.
जैसे-जैसे घरेलू आर्थिक संभावनाएं कमज़ोर हो रही हैं, चीनी नागरिक निवेश और रोज़गार के लिए दक्षिण पूर्व एशिया में अवसरों की तलाश कर रहे हैं. हालांकि, वे अक्सर खुद को राजनीतिक रूप से अस्थिर क्षेत्रों में स्कैम के जाल में फंसा लेते हैं, जहां उनके देश के लोग पहले से ही अवैध गतिविधियों में फंसे हैं और उन्हें भी फंसाते हैं.
बढ़ता हुआ दबदबा
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की वैश्विक सुरक्षा पहल एक उपकरण है जिसका उद्देश्य अपनी तत्काल सीमाओं से परे मानव और राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में चीन के प्रभाव का विस्तार करना है. कंबोडिया और म्यांमार में कार्रवाई इस बात का उदाहरण है कि चीन अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए अपनी सुरक्षा संस्थानों का लाभ कैसे उठा सकता है, जो इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते दबदबे को दिखाता है.
घर में महत्वपूर्ण आर्थिक चुनौतियों के साथ, शी चीनी नागरिकों को नुकसान पहुंचाने वाली बड़े पैमाने पर चल रहे स्कैम कांड को रोकने के लिए इच्छुक दिख रहे हैं. साथ ही, यह कार्रवाई दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में उनका अपना एक शक्ति प्रदर्शन भी है.
बड़ी कूटनीति के दायरे में, यह भूलना अक्सर आसान होता है कि लोग भू-राजनीतिक प्रभाव के सच्चे वाहक हैं. दक्षिण पूर्व एशिया चीन के बाहरी शक्ति प्रक्षेपण के लिए एक पिछवाड़े और नए अवसरों की तलाश कर रहे अपने नागरिकों के लिए एक गंतव्य के रूप में उभरा है.
इन ‘स्कैम्स’ पर हुई कार्रवाई से पता चलता है कि चीन घरेलू मुद्दों को हल करने के लिए कैसे अपने बाहरी पुलिसिंग प्राधिकरण का उपयोग करने को तैयार है, जो इससे पहले कभी नहीं देखा गया. साथ ही इससे पता चलता है कि चीनी सार्वजनिक सुरक्षा संस्थानों की पहुंच भी धीरे-धीरे बढ़ रही है.
(लेखक एक स्तंभकार और स्वतंत्र पत्रकार हैं. वह पहले बीबीसी वर्ल्ड सर्विस में चीनी मीडिया पत्रकार थे. उनका एक्स हैंडल @aadilbrar है. उनके द्वारा व्यक्त किए विचार व्यक्तिगत हैं.)
(संपादनः ऋषभ राज)
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