पटना: राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने गुरुवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’, इंडिया-भारत बहस और सनातन धर्म विवाद जैसे मुद्दों के साथ विपक्षी दलों के बीच भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं.
यादव ने दिप्रिंट को बताया, “मोदीजी कुछ से कुछ करते रहते हैं, इसरो को सच मुच उनको सूर्य के पास भेज देना चाहिए था. वहीं से देखते रहते. यह सब इस बार (बीजेपी को) मदद नहीं करेगा.” यही बात उन्होंने पिछले हफ्ते मुंबई में विपक्षी समूह इंडिया की बैठक के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में कही थी.
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री उन अटकलों के बारे में बात कर रहे थे कि इंडिया का नाम बदलकर ‘भारत’ किया जा सकता है. जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर 9 सितंबर के रात्रिभोज के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के निमंत्रण में उन्हें ‘भारत का राष्ट्रपति’ बताए जाने से उपजे विवाद पर यादव ने पूछा, “(और) मोदीजी मुद्रा के साथ क्या करने जा रहे हैं? क्या वह करेंसी नोटों से ‘इंडिया’ हटा देंगे?”
राजद नेता ने कहा कि भारतीय घटक दलों के बीच सीट-बंटवारे के तौर-तरीकों को “राज्य स्तर पर” अंतिम रूप दिया जाएगा. उदाहरण के लिए, बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन के सूत्रों ने दिप्रिंट को 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए प्रारंभिक सीट-बंटवारे के फॉर्मूले के बारे में बताया- राजद और जनता दल (यूनाइटेड) को 16-16 सीटें, कांग्रेस को पांच, कम्युनिस्ट पार्टी को एक-एक सीट यदि वह गठबंधन में शामिल होने का फैसला करते हैं और एक संभवतः मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के लिए.
सूत्रों ने आगे कहा कि कुछ सीटों की अदला-बदली भी करनी पड़ सकती है, जैसे जहानाबाद और सीतामढी, जहां जदयू के मौजूदा सांसद हैं लेकिन राजद चुनाव लड़ने की इच्छुक है. हालाxकि, यादव ने कहा: “सीट-बंटवारे का फॉर्मूला तभी सामने आएगा जब उन्हें अंतिम रूप दिया जाएगा.”
उस वायरल वीडियो के बारे में बात करते हुए जिसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी को चंपारण मटन पकाना सिखाते हुए देखा गया था, बिहार के पूर्व सीएम ने कहा, “वह 4 अगस्त को दिल्ली में मेरे घर आए थे. मैंने उसे दिखाया कि मसाला कैसे मिलाया जाता है और उसे कैसे पकाया जाता है. उसे यह इतना पसंद आया कि वह अपनी बहन के लिए भी कुछ ले गया.”
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने कांग्रेस नेता को राजनीति के बारे में कुछ सिखाया है, यादव ने कहा, “मैं राहुल को राजनीति के बारे में क्या सिखा सकता हूं? लेकिन मैं कह सकता हूं कि वह काफी परिपक्व हो गया है.”
दिलचस्प बात यह है कि 2013 में राहुल गांधी के साथ लालू के रिश्ते में खटास आ गई थी, जब राहुल ने एक अध्यादेश की निंदा की थी, जिसे चारा घोटाला मामले में उनकी आसन्न सजा के कारण राजद प्रमुख को बचाने के लिए एक अध्यादेश के रूप में देखा गया था.
अध्यादेश, जिसे तत्कालीन यूपीए सरकार ने बाद में वापस ले लिया, का उद्देश्य जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(4) को रद्द करने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले को रद्द करना था, जिसने दोषी सांसदों को अयोग्यता से तीन महीने की सुरक्षा दी थी.
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
(संपादन: कृष्ण मुरारी)
यह भी पढ़ें: लंदन, न्यूयॉर्क, ताइवान: क्यों बंगाली फिल्म निर्माता प्रसून चटर्जी की दुनियाभर में चर्चा हो रही है