मुम्बई : मुम्बई में 2024 चुनाव की रणनीति के लिए जमावड़ा कर रहे विपक्षी दलों के गठबंधन INDIA ने शुक्रवार को भारत के चंद्रमा मिशन चंद्रयान-3 सफलता को लेकर एक प्रस्ताव पास किया और इसरो परिवार की तारीफ की.
इंडिया (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) गठबंधन के प्रस्ताव के मुताबिक, “हम इंडिया के दल, अभी के और पूर्व के पूरे इसरो परिवार को उसकी उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए, जिसने हमारे देश को गौरवान्वित किया है, के लिए बधाई देते हैं.”
विपक्ष दलों के इस बड़े गठबंधन ने पिछली सरकारों को भी श्रेय देते हुए कहा कि इसरो की क्षमताओं के निर्माण, विस्तार और इसमें गहराई लाने में छह दशक लग गए.
चंद्रयान-3 ने दुनिया को रोमांचित कर दिया है, जो कल आदित्य-एल1 के लॉन्च का बेसब्री से इंतजार कर रही है. हमें उम्मीद है कि इसरो की असाधारण उपलब्धियां हमारे समाज में वैज्ञानिक सोच की भावना को मजबूत करेंगी और हमारे युवाओं को वैज्ञानिक प्रयासों के क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल करने की प्रेरणा देंगी.”
23 अगस्त को, भारत ने एक बड़ी छलांग लगाई जब चंद्रयान-3 लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरा, जिससे यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करने वाला पहला देश बन गया और 4 साल पहले चंद्रयान-2 की क्रैश लैंडिंग होने की निराशा को खत्म किया. भारत अमेरिका, चीन और रूस के बाद चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरने वाला चौथा देश बन गया.
उतरने के बाद, विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा की सतह पर तय किए गए अलग-अलग काम पूरे किए हैं, जिसमें सल्फर की उपस्थिति का पता लगाना और सापेक्ष तापमान रिकॉर्ड करना शामिल है.
अब, एक सफल चंद्रमा मिशन के बाद अपने अगले अंतरिक्ष यात्रा अभियान पर ध्यान केंद्रित करते हुए, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) देश के पहले सौर मिशन-आदित्य-एल1 के लिए पूरी तरह तैयार है.
सूर्य मिशन का प्रक्षेपण शनिवार को 11:50 IST पर श्रीहरिकोटा के लॉन्च पैड से किया जाना है, लॉन्च रिहर्सल और व्हीकल की सभी आंतरिक जांच पूरी हो चुकी है.
आदित्य-एल1 भारत की पहली सौर अंतरिक्ष वेधशाला है और इसे पीएसएलवी-सी57 द्वारा लॉन्च किया जाएगा. यह सूर्य का विस्तार से अध्ययन करने के लिए 7 अलग-अलग पेलोड ले जाएगा, जिनमें 4 सूर्य की रोशनी और बाकी 3 प्लाज्मा व चुंबकीय क्षेत्र को मापेंगे.
आदित्य-एल1 को लैग्रेंजियन पॉइंट 1 (या एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा, जो सूर्य की दिशा में पृथ्वी से 1.5 मिलियन किमी दूर है. यह दूरी 4 महीने में पूरी होने की उम्मीद है.
यह भी पढ़ें: जयराम रमेश ने GDP के आंकड़ों को लेकर मोदी सरकार पर कसा तंज, बताया कैसे बढ़ा-चढ़ाकर दिखा रही है