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Saturday, 28 September, 2024
होमराजनीति'लड़के की सज़ा मुझे मिली'- बेटे के भागने पर BJP के 'अतिवादी कदम' से आहत लद्दाख के निष्कासित नेता

‘लड़के की सज़ा मुझे मिली’- बेटे के भागने पर BJP के ‘अतिवादी कदम’ से आहत लद्दाख के निष्कासित नेता

नजीर अहमद ने 'लव जिहाद' के दावों को खारिज करते हुए कहा कि ऐसी शब्दावली का इस्तेमाल लद्दाख की संस्कृति में नहीं है और वह पार्टी आलाकमान से संपर्क करने की योजना बना रहे हैं.

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नई दिल्ली: नजीर अहमद का कहना है कि पार्टी ने उनके साथ जिस तरह का व्यवहार किया है, उससे वह आहत हैं और इसके बावजूद वह पार्टी के सिपाही बने रहेंगे. दरअसल, उनके बेटे के कथित तौर पर एक बौद्ध महिला के साथ भागने और उससे शादी करने के कारण भाजपा के लद्दाख उपाध्यक्ष पद से अहमद को हटा दिया है.

अहमद ने दिप्रिंट से कहा, “जब यह सब पता चला तो मैं उस स्थिति में भी नहीं था. यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन लड़का और लड़की दोनों बालिग और शिक्षित हैं. पार्टी ने मुझसे मेरे बेटे को ढूंढने के लिए कहा और मैंने कहा कि मैं जम्मू, श्रीनगर आदि का दौरा करूंगा और उसे ढूंढने की कोशिश करूंगा. जब मैं श्रीनगर में उनकी तलाश कर रहा था, तो मुझे पार्टी से फोन आया कि उनके पास ज्यादा समय नहीं है. फिर उन्होंने मुझसे इस्तीफा देने के लिए कहा लेकिन मैंने इनकार कर दिया क्योंकि मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है तो मैं क्यों करूं. तब उन्होंने मुझे पद से मुक्त करने का फैसला किया.”

74 वर्षीय बर्खास्त नेता ने कहा कि उन्होंने अपने बेटे से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उसका नंबर बंद था.

बीजेपी की जम्मू कश्मीर और लद्दाख इकाई द्वारा बुधवार को जारी एक परिपत्र में बताया गया कि अहमद के खिलाफ कार्रवाई तब शुरू की गई थी जब उन्हें “उनके बेटे द्वारा एक बौद्ध लड़की को भगाने के संवेदनशील मुद्दे में उनकी संलिप्तता के बारे में स्पष्टीकरण देने का मौका” दिया गया था.

उन्होंने आगे कहा, “उन्होंने हमारी इच्छा के खिलाफ शादी की है. दरअसल, हमें उसकी शादी कहीं और करनी पड़ी. हमें कुछ भी पता नहीं था. लड़के का सज़ा मुझे मिली. क्या ऐसा कभी और कहीं होगा? मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि उन्होंने इतना बड़ा कदम क्यों उठाया. मैं राज्य में भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक हूं.”

अहमद ने कहा, “मुझे सम्मान देने के बजाय वे ऐसा कर रहे हैं. मैं पार्टी आलाकमान के पास जरूर जाऊंगा और वे समझेंगे. मैं केंद्रीय नेतृत्व को दोष नहीं दे रहा हूं क्योंकि उन्हें यह भी पता नहीं है कि राज्य स्तर पर क्या हो रहा है. मैं मोदी जी का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं और पार्टी के प्रति वफादार रहूंगा.”

‘लव जिहाद’ के दावों को खारिज करते हुए अहमद ने कहा कि ऐसी शब्दावली का इस्तेमाल लद्दाख की संस्कृति में नहीं है.

“मुझे यह भी नहीं पता कि ‘लव जिहाद’ की परिभाषा क्या है. हम यहां ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं करते. लेकिन मैं कह सकता हूं कि यह निश्चित रूप से ‘लव जिहाद’ का मामला नहीं है क्योंकि मुझे बताया गया है कि उन्होंने वास्तव में शादी कर ली है और इसे रजिस्टर्ड भी कर लिया है. हमें बताया गया है कि पुलिस के पास विवाह प्रमाणपत्र की एक कॉपी है. मैं इन आरोपों से आहत हूं और जिस तरह से हमारे परिवार के साथ व्यवहार किया जा रहा है वह अनुचित है. हमने तो यहां तक ​​सुना है कि लड़की के परिवार पर एफआईआर दर्ज कराने का दबाव बनाया जा रहा है.”

बीजेपी की जम्मू कश्मीर और लद्दाख इकाई द्वारा जारी सर्कुलर में आगे कहा गया है कि कथित भाग जाना “लद्दाख में सभी धार्मिक समुदायों के लिए अस्वीकार्य है क्योंकि यह इस क्षेत्र के लोगों के बीच सांप्रदायिक सद्भाव और एकता को खतरे में डालता है.”

अहमद ने कहा कि वह सऊदी अरब में हज यात्रा पर थे जब उनके बेटे और महिला ने अदालत में शादी कर ली. निष्कासित भाजपा नेता ने कहा, “मुझे बताया गया है कि दोनों ने कई साल पहले निकाह कर लिया था और पिछले महीने, जब मैं हज यात्रा पर था, उन्होंने कोर्ट मैरिज कर ली.”


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बीजेपी ने क्या कुछ कहा

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और लद्दाख के पार्टी महासचिव (संगठन) अशोक कौल ने कहा था कि यह कार्रवाई इसलिए की गई क्योंकि मामला ‘लव जिहाद’ का था और इससे तनाव पैदा होने की संभावना थी.

सर्कुलर में लिखा गया, “प्रदेश अध्यक्ष की अध्यक्षता में एक बैठक बुलाई गई और इसमें कार्यकारी सदस्यों ने भाग लिया. श्री को पर्याप्त समय दिया गया. भाजपा लद्दाख के प्रदेश उपाध्यक्ष नज़ीर अहमद को उनके बेटे मंज़ूर अहमद द्वारा एक बौद्ध लड़की को भगाने के संवेदनशील मुद्दे में अपनी भागीदारी को स्पष्ट करने का अवसर प्रदान किया गया था. ”

गुरुवार को दिप्रिंट से बात करते हुए, कौल ने कहा था कि यह निर्णय बीजेपी की जम्मू कश्मीर और लद्दाख इकाई द्वारा “स्थानीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए” लिया गया था.

कौल ने कहा था, “उन्हें (अहमद को) जवाब देने के लिए पर्याप्त समय दिया गया था लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. उनसे कहा गया कि वह अपने बेटे को वापस बुला लें लेकिन वह ऐसा नहीं कर सके. यह सुनिश्चित करने के लिए कि घटना समुदायों के बीच कोई तनाव पैदा न करे क्योंकि यह लव जिहाद का मुद्दा है, उसे फिर से अपने बेटे को लाने और लड़की को उसके परिवार को लौटाने के लिए कहा गया लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. इस सब को ध्यान में रखते हुए, उन्हें उनके पद से मुक्त कर दिया गया.”

(संपादन: हिना)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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