scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमदेशअपराधमॉब लिंचिंग: रकबर के परिवार को मुआवजा तो मिला, पर न्याय नहीं

मॉब लिंचिंग: रकबर के परिवार को मुआवजा तो मिला, पर न्याय नहीं

हरियाणा के नूह जिले में गो-रक्षकों की भीड़ ने गांव के रकबर खान की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी, इस वाक्ये से पूरा देश सक्ते में आ गया था.

Text Size:

हरियाणा: पिछले साल जुलाई में हरियाणा के नूह जिले में गो-रक्षकों की भीड़ ने गांव के रकबर खान की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी, इस वाक्ये से पूरा देश सक्ते में आ गया था. पीड़ित व्यक्ति रकबर खान जिले के कोलगांव का निवासी था. वो गायें रखता था और दूध का कारोबार कर गुजारा करता था. जुलाई 18 में रकबर गायें खरीदने अलवर गया था. दूध देनेवाली गायें खरीद तो लीं पर उन्हें ले कर वापस नहीं आ पाया. राजस्थान के अलवर जिले में एक भीड़ ने गौ तस्करी के शक में रकबर खान की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी. वजह थी- रकबर शाम के अंधेरे में दो बयाने वाली गायों को ला रहे थे. उनके साथ उनके गांव के ही एक और व्यक्ति असलम भी थे. इस दौरान असलम खेतों के रास्ते भाग निकले और बच गए. उस वक्त इस घटना पर खूब राजनीति हुई.

फिलहाल देश में लोकसभा चुनाव चल रहे हैं और राजनीतिक पार्टियां मतदाताओं को लुभाने के लिए देश की सुरक्षा समेत गरीबों को न्याय देने के नाम पर वोट मांग रहे हैं. देश यानी जनता की सुरक्षा और गरीबों के न्याय का हाल और रकबर के परिवार का हाल जानने दिप्रिंट की टीम पहुंची रकबर खान के गांव.


यह भी पढ़ें: मेवात: भारत का सबसे पिछड़ा इलाका, जहां नेता वोट मांगने तक नहीं जा रहे


रकबर खान की बीवी अस्मीना का कहना है- ‘रकबर के साथ ही उनके सातों बच्चों की मौत हो गई थी.’ ये बात दिल दहला देती है. पिछले दिनों अस्मीना का भी ऐक्सीडेंट हो गया था और अब वो बुरी हालत में चारपाई पकड़ चुकी हैं. हादसे में उनकी रीढ़ की हड्डी में समस्या आ गई है और अब वो चारपाई से उठ भी नहीं सकती हैं. अब वो टट्टी-पेशाब भी चारपाई पर ही करने को मजबूर हैं. उनकी मां कभी-कभार डॉक्टर की बताई हुई दवाइयों से मालिश कर देती हैं. अस्मीना शरीर से इतनी कमजोर हो चुकी हैं कि उनकी एक-एक हड्डी निकल आई है. ‘नयाव ना मिलो, मुआवजा को कै करो’ कहती रहती हैं. दो वाक्य से ज्यादा बोल भी नहीं पातीं. बोलते बोलते हांफने लगती हैं. पूरी हिम्मत जुटाकर इतना ही कह पाती हैं- ‘फांसी की सजा मिले उनको, तभी मेरे बच्चों को न्याय मिलेगा.’

अस्मीना की हालत किसी बॉलीवुड फिल्म के दयनीय पात्र की तरह हो गई है, जो गरीबी और अभिशाप का जीता-जागता प्रतिरूप नजर आता है. रकबर जब जिंदा थे तब भी उनकी माली हालत खराब थी और अब तो कोई कमाने वाला घर में है ही नहीं तो हालत क्या होंगे यह आसानी से समझा जा सकता है.

अस्मीना के दो बेटे और दो बेटियों को पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की पत्नी सलमा अंसारी ने गोद लेकर अलीगढ़ में पढ़ाने की जिम्मेदारी ली थी. चारों बच्चे अलीगढ़ के जवाहरलाल नेहरू स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं. अस्मीना को पांच लाख रुपये हरियाणा सरकार ने मुआवजे के तौर पर दिए थे. वहीं, उनका मकान बनवाने की जिम्मेदारी केरल की मुस्लिम लीग पार्टी ने ली थी. दो कमरे, बरामदा, रसोई, बाथरूम बनने के बाद ही अस्मीना का एक्सीडेंट होने के बाद मकान ज्यों का त्यों रह गया. गेट भी नहीं चढ़ पाया. परिवार खुले मकान में ही सोता है.


यह भी पढ़ें: हरियाणवी पॉप कल्चर: हुक्का, ट्रैक्टर, अपणी बोली और सपना चौधरी


अस्मीना की पांचवीं क्लास में पढ़ने वाली बेटी साहिला ने स्कूल छोड़ दिया है और अपनी नानी समेत अपने एक छोटे भाई-बहन और अपनी मां की देखभाल करनी पड़ रही है. कुछ गायों को रकबर की हत्या के बाद बेच दिया था. अब कुल चार गायें हैं. सबका काम साहिला ही देखती हैं. बता दें कि मेवात क्षेत्र की गायें बहुत कम दूध देती हैं. ऐसा नहीं है कि चार गायें मिलाकर किसी को रोजगार मुहैया करा देंगी. इस बीच बस एक खुशी की बात हुई है. कुछ दिन पहले अस्मीना के आठ वर्षीय बेटे इकरान ने स्कूल में जिला स्तरीय बॉक्सिंग प्रतियोगिता जीती थी.

गांववालों का कहना है- ‘हरियाणा की भाजपा सरकार ने मुआवजे के तौर पर रकबर के परिवार को पांच लाख रुपये दिये. पर सारे दोषी नहीं पकड़े गये’. वहीं कुछ लोगों का कहना था- ‘राजस्थान में कांग्रेस की सरकार आने के बाद गो-रक्षकों का उत्पात कम हुआ है लेकिन इस सरकार ने भी रकबर के दोषियों को पकड़ने के लिए कोई जहमत नहीं उठाई. ज्यादातर लोगों का कहना था- ‘गो-रक्षकों का आतंक मूलतः पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा के एरिया में ही था’. ज्यादातर लोग इस बात पर राजी थे कि हिंदू-मुस्लिम मुद्दा ही नहीं हैं यहां क्योंकि मेव संप्रदाय शुरू से ही मिक्स कल्चर का रहा है. लोगों ने नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की पर साथ ही ये भी जोड़ा कि इनके कार्यकर्ता बहुत परेशान करते हैं.

share & View comments