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Thursday, 21 November, 2024
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‘मैंने जो अनुभव किया है उसके बाद CM पद नहीं मांगूंगा’, बोले छत्तीसगढ़ के डिप्टी CM टीएस सिंहदेव

सीएम को लेकर चल रही लड़ाई को 'समाप्त' करते हुए, सिंहदेव कहते हैं कि अगर उन्हें टिकट मिलता है तो वह चुनाव लड़ने पर विचार करेंगे, लेकिन सीएम भूपेश बघेल के साथ उनके झगड़े के बाद, वह शीर्ष पद के लिए कोई नाटक नहीं करेंगे.

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नई दिल्ली: पिछले हफ्ते त्रिभुवनेश्वर सरन सिंहदेव को छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री पद पर पदोन्नत करने से राज्य कांग्रेस में लंबे समय से चले आ रहे गुटीय झगड़े के कम से कम वैकल्पिक रूप से अंत होने का संकेत मिल रहा है.

2018 के राज्य चुनावों के बाद, मुख्यमंत्री पद को लेकर 70 वर्षीय कांग्रेस नेता का छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ झगड़ा कई तरीकों से सामने आया है.

अंबिकापुर के महाराजा के रूप में जाने जाने वाले सिंहदेव ने पिछले साल हसदेव अरंड कोयला खनन परियोजना का विरोध किया था, जिसके लिए राज्य सरकार ने वन भूमि पर पेड़ों की कटाई की मंजूरी दी थी. वह अंबिकापुर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं जो सरगुजा जिले में आता है.

पिछले साल जुलाई में, उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र के एक गांव में पीएम आवास योजना के तहत धन आवंटित नहीं किए जाने पर पंचायती राज और ग्रामीण मंत्री का पद छोड़ दिया था. अंबिकापुर विधायक के पास वर्तमान में चार अन्य विभाग भी हैं, जिनमें स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा, बीस सूत्री कार्यान्वयन और वाणिज्यिक कर (जीएसटी) विभाग शामिल हैं.

पिछले साल दिसंबर में सिंहदेव ने कहा था कि वह दोबारा चुनाव नहीं लड़ेंगे. हालांकि, 28 जून की घोषणा के बाद उनका यह फैसला बदल गया.

90 सदस्यीय विधानसभा के लिए इस साल के अंत में चुनाव होने वाले हैं.

दिप्रिंट के साथ एक स्वतंत्र साक्षात्कार में, उन्होंने कहा कि अगर उन्हें टिकट मिलता है तो वह चुनाव लड़ने पर विचार करेंगे, लेकिन जो कुछ उन्होंने अनुभव किया है उसके बाद वह सीएम बनने के लिए दावेदारी पेश नहीं करेंगे.

उनका यह भी कहना है कि वह इस पर चुप्पी साधे रहेंगे कि क्या 2018 में जब कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में जीत हासिल की थी और बघेल को सीएम बनाया गया था, तब ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले पर सहमति बनी थी या नहीं. 

साक्षात्कार:

आपने 70 साल की उम्र में स्काइडाइविंग करके हम सभी को आश्चर्यचकित कर दिया. लेकिन हमें सबसे अधिक आश्चर्य तब हुआ जब अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) द्वारा रात में की गई घोषणा में आपको उप मुख्यमंत्री घोषित किया गया. यह कैसे हुआ?

जहां तक ​​स्काइडाइविंग का सवाल है, यह कुछ ऐसा है जो मैं वर्षों से करना चाहता था. अवसर नहीं मिला था. मैनें ऑस्ट्रेलिया के बाद, मैंने न्यूजीलैंड में दूसरी बार यह किया.

जहां तक ​​उपमुख्यमंत्री पद की बात है तो हमने छत्तीसगढ़ में आगामी चुनाव की रणनीति को लेकर बैठक की थी. बैठक के बाद, राहुल [गांधी] जी और [मल्लिकार्जुन] खड़गे जी के साथ बैठक हुई और वहां एक बात से दूसरी बात हो गई. फिर शाम को खड़गे जी से उनके आवास पर दोबारा मुलाकात हुई. यहीं पर यह (प्रस्ताव) औपचारिक रूप से रखा गया था.

एक बार आलाकमान ने जो निर्णय ले लिया, वह हो गया… उदाहरण के लिए, जैसे ढाई साल ढाई साल वाली बात काफी समय तक मीडिया में रही.

ऑन रिकॉर्ड, ऐसा हुआ या नहीं?

मुझे अभी भी उस पर चुप रहने की जरूरत है (हंसते हुए). ऐसा इसलिए क्योंकि हाईकमान ने कुछ कहा ही नहीं है. कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने कुछ नहीं कहा है. इसलिए मेरा कुछ भी कहना उचित नहीं है. लेकिन ये बात (डिप्टी सीएम) सामने आ गई. और अगर आलाकमान फैसला ले रहा है तो आप उसका पालन करें. तो, इसके साथ ही मुख्यमंत्री पद को लेकर जारी लड़ाई समाप्त हो जाती है.

डिप्टी सीएम को कुछ भी करने का सीधा अधिकार नहीं है. आप डिप्टी सीएम के तौर पर फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं करते. आपको प्रोटोकॉल मिलते हैं. मेरे मन में यह बात नहीं थी कि अब जब मैं हवाईअड्डों पर स्क्रीनिंग से गुजर रहा हूं तो मेरे मोबाइल की स्क्रीनिंग नहीं करनी पड़ेगी. मेरा मानना ​​है कि इसके साथ कुछ सम्मान भी जुड़ा हुआ है. जब तक यह जमीन पर लागू होता है, तब तक यह पार्टी की मदद कर सकता है. मेरी जिम्मेदारी सबको साथ लेकर चलने की होगी.

भाजपा आपकी पदोन्नति को राजनीतिक मुद्दा बना रही है और राज्य में अन्य कांग्रेस नेताओं को आपके खिलाफ खड़ा कर रही है. वे कह रहे हैं कि आपको डिप्टी सीएम बनाने के लिए ताम्रध्वज साहू जैसे अन्य नेताओं की अनदेखी की गई.

(कांग्रेस में) कोई गुटबाजी नहीं है. जितनी गुटबाजी बीजेपी में है उतनी कहीं नहीं है. मैं स्पष्ट रूप से खंडन करना नहीं चाहूंगा.

2018 में चुनाव के बाद सीएम का मुद्दा उठा. 11 दिसंबर को नतीजे घोषित हुए और 14 दिसंबर को हमें दिल्ली आने को कहा गया. हम चार लोग गये. चरण दास महंत, ताम्रध्वज साहू, भूपेश बघेल और मैं. तब हमें एहसास हुआ कि सीएम बनना शायद हम चारों में से एक का चुनाव था. तब से यह (गुटबाजी की बातचीत) बनी हुई है.

चुनाव से पहले हम बिना घोषित सीएम चेहरे के लड़े थे. और हमने लोगों से यह कहकर समर्थन पाने के लिए अपने क्षेत्रों में खुद को स्थापित करने की कोशिश की कि उनके आदमी को ज़िम्मेदारियां मिल सकती हैं.

लेकिन ऐसी आकांक्षाओं के कारण हममें से किसी को भी एक-दूसरे से कटना नहीं चाहिए. राजनीतिक दृष्टि से यह महत्वपूर्ण है. ये नाम सामने आते रहते हैं. लेकिन तब भी मेरी कोशिश यह थी कि ये नकारात्मक पहलू यथासंभव कम से कम हों ताकि हमें अधिक से अधिक संख्या में सीटें मिल सकें. ऐसे और भी लोग होंगे जिन्हें लगता होगा कि उन्हें सीएम उम्मीदवार माना जा सकता है. यह तब तक ठीक है जब तक यह नकारात्मक न हो जाए.


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चुनाव लड़ने पर

पिछले दिसंबर में, आपने कहा था कि आप चुनाव नहीं लड़ेंगे और किसी निर्णय पर पहुंचने के लिए अपने समर्थकों से परामर्श करेंगे. अब उस फैसले का क्या होगा? क्या आप आगामी चुनाव लड़ेंगे?

मुझे लगता है कि अब अगर मुझे टिकट मिलता है तो मैं फिर से अपने समर्थकों से सलाह-मशविरा करूंगा और फिर खुद को संभावित उम्मीदवार के तौर पर पेश करूंगा.

अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो क्या आप फिर से सीएम पद के लिए दावेदारी पेश करेंगे?

मैंने पिछली बार भी नहीं किया था. मैं कभी भी अपनी टोपी रिंग में नहीं फेंकना चाहूंगा. खासकर इस अनुभव के बाद. मैं पोस्ट मांगने में सहज नहीं हूं. यह सब हाईकमान को तय करना है.

आपने ऐसा क्यों कहा कि आप चुनाव नहीं लड़ना चाहते?

मैं टीम के सदस्य के रूप में योगदान देने के लिए अपने लिए कोई सकारात्मक भूमिका नहीं देख रहा था. मैं एक लटकी हुई टीम का सदस्य नहीं बनना चाहता था. मुझे क्षेत्ररक्षण, कैचिंग, बल्लेबाजी और गेंदबाजी करके अपनी टीम के लिए अच्छा प्रदर्शन करना चाहिए. जब तक मैं न्यूनतम क्षमता का एहसास नहीं कर पाता, मैं टीम का हिस्सा नहीं बनना चाहूंगा. टीम का हिस्सा माना जाना एक बात है लेकिन टीम का हिस्सा बनना चाहता हूं… अगर मैं ऐसा देख रहा हूं तो मुझे 11 नंबर पर बल्लेबाजी करनी होगी. तो फिर बात क्या है?

और वह अब बदल गया है?

मुझे ऐसा महसूस हो रहा. यह जिम्मेदारी आपको किसी चीज़ के लिए निर्धारित करती है.

बीजेपी और राहुल बनाम मोदी पर

ऐसी धारणा है कि बघेल सरकार ने छत्तीसगढ़ में भाजपा के लिए बहुत कुछ नहीं छोड़ा है. राम से लेकर गाय तक सब कुछ हड़प लिया गया है. क्या यह एक सॉफ्ट हिंदुत्व का तरीका है जो हम देख पा रहे हैं?

कांग्रेस स्पष्ट रूप से धर्मनिरपेक्ष है. मामला गैर-धार्मिक लोगों के रूप में चित्रित किये जाने के प्रयास का है. भाजपा जिस स्थान का आनंद लेना चाहती है वह हिंदू धर्म के संरक्षक और अभ्यासकर्ता के रूप में एकमात्र पार्टी है. ऐसा बिलकुल नहीं है. बीजेपी किसी तरह सेक्युलर को एक बुरा शब्द बनाने में सफल हो गई. छत्तीसगढ़ में कांग्रेसियों की कोशिश उसे दूर करने की है.

यदि आप किसी मंदिर में जा रहे हैं और भाजपा ऐसी तस्वीर पेश कर रही है कि आप धर्म का पालन नहीं कर रहे हैं, तो हो सकता है कि आप अपनी तस्वीर खींच लें और उसे इंटरनेट पर पोस्ट कर दें. अगर आप उसे सॉफ्ट हिंदुत्व कहते हैं तो ये सॉफ्ट हिंदुत्व है.

काफी हद तक यह समझ है कि कांग्रेस एक बार फिर छत्तीसगढ़ जीतने जा रही है. हम जानते हैं कि कांग्रेस के लिए क्या सही हो रहा है. लेकिन राज्य में आप किन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं?

हम एक घोषित घोषणापत्र – जनघोषणा पत्र – के साथ चुनाव में उतरे थे. हमें जो व्यापक समर्थन मिला उसका एक कारण यह घोषना पत्र भी था.

इसका कार्यान्वयन एक चुनौती हो सकती है – हमने कितना किया है, कितना नहीं किया है. हमने कृषि ऋण माफ की है, हमने बिजली बिल आधा किया है, हमने वन उपज बढ़ाई है, न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया है, हमने बाजरा मिशन, अंग्रेजी माध्यम स्कूल जैसे काम किए हैं. और भी बहुत कुछ किया है.

जो हमने नहीं किया, उसे ही वे उजागर करने का प्रयास करेंगे. मसलन, हमने शराबबंदी लागू नहीं की है. वह हमारे घोषणापत्र का हिस्सा था, हम ऐसा नहीं कर पाये. ये चुनौतियां होंगी, लोगों को यह विश्वास दिलाना कि ऐसे कारण हैं जिनकी वजह से हम ये काम नहीं कर पाए हैं.

सरकारी कर्मचारियों के लिए, हमने कई सुविधाएं प्रस्तावित की थीं, जिनमें से कुछ को हमने हासिल कर लिया है और कुछ को हम हासिल नहीं कर पाए हैं. हमारे पास जो समय है उसमें हमें कुछ करने की जरूरत है.’

भाजपा भ्रष्टाचार को सामने लाने का प्रयास करेगी. ईडी वहां है. हमें लगता है कि वे एक तरह से पक्षपातपूर्ण तरीके से ये गतिविधियां कर रहे हैं. यह उन लोगों के खिलाफ सत्ता का तटस्थ प्रयोग नहीं है जो गलत काम कर रहे हैं. यह उन लोगों के लिए लक्षित है जो केंद्र में व्यवस्था के अनुरूप नहीं चल रहे हैं. यह उन मुद्दों में से एक है जिसे वे उठाने का प्रयास करेंगे.

ऐसा क्यों है कि कांग्रेस ने 2018 के राज्य चुनावों में इतना अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन 2019 के आम चुनावों में उन्हीं राज्यों में जीत नहीं पाई. एक वरिष्ठ नेता के रूप में, आप पार्टी नेतृत्व को क्या सलाह देंगे ताकि ऐसा न हो इस बार भी ऐसा ही होगा?

राज्य के चुनाव राज्य-विशिष्ट मुद्दों पर लड़े जाते हैं. राष्ट्रीय चुनाव राष्ट्रीय मुद्दों पर लड़े जाते हैं. राज्य में कौन जीतता है? जो भी बेहतर विकल्प के रूप में सामने आ सकेगा. केंद्र में जाहिर तौर पर हमें बेहतर विकल्प के तौर पर नहीं देखा गया. नकारात्मक मीडिया अभियान, राहुल की आलोचना जैसे विषयों को हम दृढ़ता से प्रतिक्रिया देने में सक्षम नहीं थे. पद यात्रा (भारत जोड़ो यात्रा) निकालने की राहुल जी की इस पहल से उनकी छवि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है.

क्या आपको लगता है कि यह राहुल बनाम मोदी की स्थिति काम करती है?

वह (राहुल) हमारे नेता हैं. जहां तक ​​कांग्रेस का सवाल है तो वह हमारे पीएम उम्मीदवार होंगे. हालांकि, निःसंदेह, यूपीए को इसका निर्णय लेना है. अब एक बड़ा गठबंधन है. मेरे लिए, यह स्पष्ट है क्योंकि वह कांग्रेस के भीतर सबसे स्वीकार्य नाम है.

भाजपा उस आख्यान को आगे बढ़ाने की कोशिश करती है जिसमें पहले राहुल को कोसना, फिर राहुल जी की तुलना मोदी जी से करना. जिससे करीब 18 फीसदी वोट शेयर का अंतर हो जाता है. अब, उनके नए प्रयासों से… खुद को… देश की भलाई में शामिल होने के पूरे इरादे वाले एक राष्ट्रीय नेता के रूप में पेश करने के लिए, मुझे यकीन है कि इससे फर्क पड़ेगा.

आपने गांधी परिवार के दोनों बड़े नाम (सोनिया और राहुल) के साथ काम किया है. खड़गे के साथ कैसा अनुभव रहा?

श्री खड़गे की सबसे बड़ी संपत्ति उनका अनुभव है. वह हल्की-फुल्की मित्रता में भी आपको प्रभावित करने में सक्षम है. यहां तक ​​कि अपने भाषणों में भी वह कुछ हंसी-मजाक वाली और हल्की-फुल्की बातें लेकर आएंगे, जिनमें दम भी होगा.

चुनावों से पहले, कांग्रेस कौन से तीन मुख्य चुनावी मुद्दे लेकर चल रही है?

सबसे पहले कृषि पहल होगी. दूसरी स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को शामिल करने वाली पहल होगी. तीसरा, मैं युवा गतिविधियों को रोजगार के साथ जोड़ूंगा जिसमें खेल, युवा संस्कृति, पंचायत और वार्ड स्तर पर युवा संघों को बढ़ावा देना शामिल होगा.

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस साक्षात्कार को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


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