नई दिल्ली: लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान के एनडीए में शामिल होने की अटकलों के बीच चिराग पासवान ने रविवार को कहा कि वह पार्टी नेताओं के साथ 2-3 और बैठकों के बाद आगामी 2024 लोकसभा चुनावों के लिए गठबंधन पर फैसला लेंगे.
बिहार के पटना में अपने आवास पर पार्टी के राष्ट्रीय और राज्य पदाधिकारियों की एक महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता करने के बाद, पासवान ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उनकी पार्टी के नेताओं ने उन्हें गठबंधन बनाने और आगामी 2024 लोकसभा चुनाव के संबंध में कोई भी निर्णय लेने के लिए “अधिकृत” किया है. पासवान ने कहा, “पार्टी नेताओं ने आज मुझे आगामी 2024 के लोकसभा चुनावों और राज्य चुनावों के लिए गठबंधन बनाने के संबंध में कोई भी निर्णय लेने के लिए मुझे अधिकृत किया है. लेकिन, अभी तक गठबंधन पर सार्वजनिक रूप से बात करना ठीक नहीं होगा.”
हालांकि, केंद्रीय मंत्रिमंडल में शपथ लेने के सवाल को उन्होंने टाल दिया.
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) अक्टूबर 2021 में अस्तित्व में आई जब चिराग के अपने चाचा और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस के साथ मतभेदों के बाद चुनाव आयोग ने दोनों गुटो को अलग-अलग नाम और चुनाव चिह्न आवंटित किए थे.
2020 के विधानसभा चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए पासवान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ बगावत करते हुए एनडीए से बाहर हो गए थे.
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में, एलजेपी एक सीट जीतकर केवल 5.66 प्रतिशत वोट शेयर हासिल कर पाई. एलजेपी के चुनाव चिन्ह के तहत जीतने वाले एकमात्र विधायक ने जल्द ही जेडी (यू) के साथ पाला बदल लिया.
पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक से पहले चिराग ने पटना में गृह राज्य मंत्री और बीजेपी नेता नित्यानंद राय से मुलाकात की.
बैठक के बाद नित्यानंद राय ने 23 जून को पटना में हुई विपक्षी पार्टी की बैठक की आलोचना की और कहा कि विपक्षी एकता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के डर के कारण है.
उन्होंने आगे कहा कि राम विलास पासवान और बीजेपी ने लोगों के कल्याण के लिए काम किया है और मिलना अच्छा है.
राय ने कहा, “यह हमारा पुराना घर है. जब हम मिलते हैं तो हमेशा अच्छा लगता है. राम विलास पासवान और बीजेपी ने लोगों के कल्याण के लिए काम किया है. विपक्षी एकता पीएम मोदी की लोकप्रियता के डर के कारण है. न तो उनके पास कोई नेता है और न ही कोई नीति है. उन्हें पीएम मोदी से नीति, सेवा और नेतृत्व के बारे में सीखना चाहिए.”
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