बेंगलुरु: हाल के वर्षों में पहली बार, कर्नाटक विधानसभा का बजट सत्र सोमवार को विपक्ष के नेता (एलओपी) के बिना शुरू हुआ क्योंकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अभी तक अपने नेता की पसंद पर फैसला नहीं लिया है.
पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई इस पद की दौड़ में सबसे आगे हैं, जबकि बसनगौड़ा पाटिल यतनाल, सी.एन. अश्वथ नारायण और अरागा ज्ञानेंद्र भी दौड़ में शामिल हैं.
घटनाक्रम से वाकिफ लोगों ने कहा कि बोम्मई इस आधार पर नेता प्रतिपक्ष को सुरक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं कि वह एकमात्र व्यक्ति हैं जो कांग्रेस का मुकाबला कर सकते हैं, जबकि यतनाल और अन्य लोग तर्क दे रहे हैं कि पार्टी पूर्व मुख्यमंत्री के नेतृत्व में हार गई.
बीजेपी के एक विधायक ने दिप्रिंट को बताया, “एक या दो दिन के भीतर ऐसा होने की संभावना है, लेकिन इसमें कई कारक शामिल हैं.”
दो विधायकों ने कहा कि सभी हितधारक इस पद के लिए ‘जोरदार पैरवी’ कर रहे थे और उनमें से एक ने कुछ वरिष्ठों पर पद पाने के लिए ‘सांठगांठ की राजनीति’ का भी आरोप लगाया.
भाजपा हलकों में यह भी अटकलें हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा के दूसरे बेटे और पहली बार विधायक बने बी.वाई. विजयेंद्र डिप्टी एलओपी का पद भी सुरक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं.
दिलचस्प बात यह है कि येदियुरप्पा नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति के लिए बातचीत का नेतृत्व कर रहे हैं, जबकि 89-वर्षीय येदियुरप्पा अब विधायक नहीं हैं, न ही उनके पास भाजपा की राज्य इकाई में कोई पद है.
केंद्रीय संसदीय बोर्ड के सदस्य पूर्व मुख्यमंत्री ने रविवार को दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ एक संक्षिप्त बैठक की, लेकिन कोई फैसला नहीं लिया गया.
घटनाक्रम से वाकिफ लोगों ने बताया कि भाजपा के कम से कम दो वरिष्ठ राष्ट्रीय नेता बैठक करने और नेता प्रतिपक्ष के लिए नाम तय करने के लिए बेंगलुरु में हैं, लेकिन बैठक मंगलवार के लिए आगे बढ़ा दी गई है.
भाजपा विधायक चलवधि नारायणस्वामी ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा, “आज शाम 6 बजे, हम पार्टी कार्यालय में विधायक दल की बैठक कर रहे हैं. दोनों पर्यवेक्षक बेंगलुरु आ रहे हैं, वे सदस्यों की राय लेंगे और शाम या रात तक अपनी रिपोर्ट हाईकमान को सौंपेंगे. यह आज रात या कल तक तय हो जाएगा.”
कांग्रेस ने प्रमुख विपक्ष पर कटाक्ष किया, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भाजपा को सबसे अनुशासनहीन पार्टी बताया.
सिद्धारमैया ने संवाददाताओं से कहा, “यह स्पष्ट हो रहा है कि उनके भीतर बहुत अधिक गुटबाजी है…वे खुद को एक अनुशासित पार्टी कहते थे…(वे) सबसे अनुशासनहीन राजनीतिक दल हैं.”
सत्तारूढ़ दल ने भाजपा पर निशाना साधने के लिए सोशल मीडिया पर कई मीम्स लॉन्च किए हैं और दोनों राष्ट्रीय दल इस मुद्दे पर ऑनलाइन और ऑफलाइन लड़ाई कर रहे हैं.
इस बीच, भाजपा नेता प्रतिपक्ष पर चर्चा के कारण कांग्रेस द्वारा किए गए वादे पर अपना नियोजित विरोध प्रदर्शन नहीं कर सकी.
कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने कहा कि हालांकि, नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति भाजपा का आंतरिक मामला है, लेकिन लोग जानना चाहते हैं कि राष्ट्रीय पार्टी के भीतर क्या हो रहा है.
उन्होंने कहा कि कर्नाटक में भाजपा दिल्ली के आदेश के बिना काम नहीं करती है.
परमेश्वर ने संवाददाताओं से कहा, “जब यह कांग्रेस के साथ होता है, तो वे (भाजपा) दिल्ली पर, हर संभव जगह पर टिप्पणी करते हैं, लेकिन जब बात अपनी आती है तो वे इसे दिल्ली बता देते हैं. बेहतर होगा कि वे इसे सुलझा लें.”
वहीं, इसी तरह, बड़े और मध्यम उद्योग मंत्री एम.बी. पाटिल ने भाजपा का मज़ाक उड़ाते हुए पूछा था कि क्या उन्हें अपना नेता प्रतिपक्ष पाने के लिए एक और ‘ऑपरेशन कमल’ का सहारा लेना होगा.
पाटिल ने रविवार को ट्वीट किया, “हर सुबह, वे साहस के बारे में बात करते हैं, लेकिन एक विपक्षी नेता को नामित करने में सक्षम नहीं हैं. चूंकि भाजपा सीएम के लिए ‘ऑपरेशन कमल’ का इस्तेमाल कर रही है, वे संभवतः उसी तरह एक विपक्षी नेता की तलाश कर रहे हैं.”
(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)
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