नई दिल्ली: पिछले एक महीने से भी ज्यादा समय से मणिपुर में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. जिसकी वजह से विपक्षी पार्टियां मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. सुबह से ही बीरेन सिंह का एक फटा हुआ इस्तीफा वायरल होने के बाद आखिरकार एन बीरेन सिंह ने ट्वीट कर कहा कि मैं इस्तीफा नहीं देने जा रहा हूं.
इससे पहले अटकलें लगाई जा रहीं थीं कि वे राज्यपाल अनुसुइया उइके से मुलाकात करेंगे और अपना इस्तीफा सौंपेंगे. अटकलें यह भी लगाई जा रही थीं कि केंद्र सरकार राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू लगा सकती है. अब सीएम के ट्वीट के साथ ही उनके इस्तीफे की अटकलों पर भी विराम लग गया है.
इस्तीफे की खबर सुनकर बीरेन सिंह के समर्थक जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल थीं उनके आवास के बाहर इकठ्ठे हो गईं और उनसे इस्तीफा न देने का अनुरोध करने लगीं. यही नहीं इन्हीं महिलाओं ने उनका इस्तीफा भी फाड़ दिया.
#WATCH मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह का समर्थन करने वाली महिलाओं ने उनका इस्तीफा फाड़ा। pic.twitter.com/P40cLC1xVu
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 30, 2023
एक महिला ने कहा कि हम नहीं चाहते कि सीएम इस्तीफा दें, उन्हें इस्तीफा नहीं देना चाहिए. वह हमारे लिए बहुत काम कर रहे हैं.
एक महिला ममता ने कहा, ”हम दो महीने तक उथल-पुथल और हिंसा से बचे रहे. हम चाहते हैं कि भारत और मणिपुर की सरकारें उचित लोकतांत्रिक तरीके से संघर्ष का समाधान करें. शांति वह है जिसे हम देख रहे हैं. अगर मुख्यमंत्री इस्तीफा दे देंगे तो हम कहां जाएंगे? हमारा नेतृत्व कौन करेगा? उन्हें अतिरिक्त शक्तियां दी जानी चाहिए.”
बता दें कि जैसे जैसे एन बीरेन के इस्तीफा दिए जाने की बात फैली उनके घर के बाहर समर्थकों की भीड़ लगनी शुरू हो गई जिसके बाद खुद मुख्यमंत्री उनसे मिलने के लिए बाहर आए और हाथ जोड़ कर शुक्रिया अदा किया.
वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस नेता और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके से मुलाकात की. इससे पहले मीडिया से बातचीत करते हुए राहुल गांधी ने कहा,” मणिपुर को शांति की जरूरत है. मैं राहत शिविर में गया और हर समुदाय के लोगों से मिला. राहत शिविरों में दवाई, खाने की कमी है जिस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए. मेरी मणिपुर के हर व्यक्ति से अपील है कि शांति बनाए रखें. मैं यहां मौजूद हूं और जो शांति कि लिए कर सकता हूं वह करूंगा.”
पिछले दो महीनों में मणिपुर में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई है क्योंकि अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग को लेकर कुकी और मैतई लोग आपस में भिड़ गए हैं.
झड़पों ने कुकी जनजातियों की नाराजगी को बढ़ावा दिया है, जिनका मानना है कि प्रमुख मैतई लोगों को आर्थिक लाभ और सरकारी नौकरियों और शिक्षा में उनके लिए आरक्षित कोटा नहीं चाहिए.
पिछले दो महीनों में 100 से अधिक लोग मारे गए हैं, 50,000 लोग बेघर हो गए हैं और सैकड़ों चर्च और मंदिर नष्ट हो गए हैं. पहाड़ी जनजातियां बहुसंख्यक ईसाई हैं, जबकि घाटी-आधारित, गैर-आदिवासी मैतई – मणिपुर में सबसे बड़ा समुदाय – हिंदू हैं.
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