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Sunday, 24 November, 2024
होमडिफेंससेना के ध्रुव हेलीकॉप्टरों में खामियां पहचानी गईं- ' डिजाइन और मेटलरजीकल संबंधी मिश्रण' हैं एक्सीडेंट के कारण

सेना के ध्रुव हेलीकॉप्टरों में खामियां पहचानी गईं- ‘ डिजाइन और मेटलरजीकल संबंधी मिश्रण’ हैं एक्सीडेंट के कारण

तीन स्वदेशी उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर मार्च के बाद से दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं, जिससे सेना को दो बार अपने बेड़े को रोकने के लिए मजबूर होना पड़ा है. पता चला है कि हेलिकॉप्टर फिर से उड़ान भरने को तैयार हैं लेकिन उनके हिस्से बदले जा रहे हैं.

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नई दिल्ली: दिप्रिंट को पता चला है कि ग्राउंडेड बेड़े की विस्तृत जांच के बाद, भारतीय सेना ने अंततः स्वदेशी एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच) – सशस्त्र बलों के एक महत्वपूर्ण घटक – में मेटलर्जीकल और डिजाइन में खामियों की पहचान की है, जो हाल की कुछ दुर्घटनाओं का कारण बना था.

रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने कहा कि हेलीकॉप्टरों का संचालन फिर से किया जा रहा है, लेकिन भागों को प्राथमिकता के आधार पर बदला जा रहा है और उनकी उड़ान अवधि पहले की तुलना में कम कर दी गई है.

दिप्रिंट ने सबसे पहले अक्टूबर 2022 में रिपोर्ट दी थी कि अरुणाचल प्रदेश में एक सशस्त्र एएलएच, जिसे रुद्र के नाम से भी जाना जाता है, की दुर्घटना “कलेक्टिव” के टूटने के बाद हुई थी, जो रोटर्स और बैक की शक्ति को नियंत्रित करता है.

यह पाया गया कि हेलीकॉप्टर का यह हिस्सा 2019 में एएलएच के दुर्घटनाग्रस्त होने की कोर्ट ऑफ इंक्वायरी (सीओआई) के बाद परेशानी भरा था, जिसमें तत्कालीन उत्तरी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह चमत्कारिक ढंग से बच गए थे, साथ ही हेलीकॉप्टर की सामूहिक विफलता का भी पता चला.

“इस वर्ष कई दुर्घटनाओं के बाद, एक शीर्ष सरकारी नियामक संस्था, जो सैन्य विमानों के प्रमाणन के लिए जिम्मेदार है, एएलएच की पूर्ण समीक्षा कर रही है.

रक्षा प्रतिष्ठान के एक शीर्ष सूत्र ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि क्या वे समस्या की पहचान करने में सक्षम हैं, उन्होंने कहा, “हां हमने पहचान लिया है. हमने विशेष हिस्से को बदलने की मांग की है और जैसा कि हम बोल रहे हैं, इसे बदला जा रहा है. पूरी प्रक्रिया में समय लगेगा.

”यह पूछे जाने पर कि क्या यह डिज़ाइन संबंधी खामी है या मेटलर्जीकल संबंधी समस्या है, सूत्र ने कहा, “यह दोनों का मिश्रण है.

“एक दूसरे सूत्र ने कहा, “अच्छी बात यह है कि खामी की पहचान कर ली गई है और उस पर ध्यान दिया जा रहा है.

“जबकि हेलीकॉप्टरों ने, जिनमें से 300 से अधिक का निर्माण किया जा चुका है, 3 लाख से अधिक घंटों की उड़ान भरी है, पिछले कुछ वर्षों में लगातार दुर्घटनाओं का शिकार हुई हैं. इस साल मार्च से अब तक तीन एएलएच दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं, जिससे सेना को तकनीकी जांच के लिए पूरे बेड़े को दो बार रोकना पड़ा है.

यह पाया गया कि कुछ हिस्सों में तय समय सीमा से अधिक समय लग गया है . सूत्रों ने बताया कि आम तौर पर एक विशेष हिस्से की उड़ान अवधि लगभग 400 घंटे होती है, फिर 400 घंटों के बाद इसकी सर्विस की जाती है या बदल दिया जाता है.

हालांकि, यदि कल पुर्जे समय से पहले पहले घिस जाते हैं, तो उड़ान के समय सीमा को कम करना होगा ताकि पुर्जों की समय पर रिप्लेसमेंट या फिर सर्विस की जा सके.

सशस्त्र सेवाओं द्वारा एएलएच के साथ, स्वदेशी लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (एलसीएच) पर भी रोक लगा दी गई साथ ही  इसकी पूर्ण तकनीकी जांच की गई. ऐसा इसलिए था क्योंकि एलसीएच भी एएलएच का एक प्रकार है और इसके पार्ट्स और टेक्नोलॉजी भी समान हैं.

(संपादन: पूजा मेहरोत्रा )

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


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