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Friday, 22 November, 2024
होमदेशकनिष्क बमबारी के ‘मास्टरमाइंड’ को सम्मानित करने वाले कनाडाई कार्यक्रम के कथित पोस्टर की आलोचना

कनिष्क बमबारी के ‘मास्टरमाइंड’ को सम्मानित करने वाले कनाडाई कार्यक्रम के कथित पोस्टर की आलोचना

कार रैली के कथित पोस्टर में दिवंगत खालिस्तानी आतंकवादी तलविंदर सिंह परमार को ‘शहीद’ बताया गया है और एयर इंडिया फ्लाइट 182 बम विस्फोट में ‘भारत की भूमिका’ की जांच की मांग की गई है, जिसमें 329 लोग मारे गए थे.

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नई दिल्ली: खालिस्तानी आतंकवादी तलविंदर सिंह परमार को “शहीद” के रूप में संबोधित करने वाली एक कनाडाई कार रैली का कथित पोस्टर शनिवार को सोशल मीडिया पर साझा किया गया, जिसमें “पीड़ितों के स्मारक पर उसका सम्मान” करने को लेकर निशाना साधा गया था. परमार कथित तौर पर 1985 में एयर इंडिया फ्लाइट 182 बमबारी के पीछे का मास्टरमाइंड था, जिसे कनिष्क बमबारी के रूप में भी जाना जाता है, जो 9/11 तक के इतिहास में सबसे खराब विमानन हमला था.

बोइंग 747, जिसका नाम ‘सम्राट कनिष्क’ था उस पर 23 जून 1985 को मॉन्ट्रियल से तत्कालीन बॉम्बे की यात्रा के दौरान आयरिश समुद्र के पास बमबारी की गई थी. जहाज पर सवार सभी 329 लोग – 268 कनाडाई (ज्यादातर भारतीय मूल के), 27 ब्रिटेन और 24 भारतीय—मारे गए थे.

कनाडाई पुलिस को संदेह था कि परमार हमले के पीछे का मास्टरमाइंड था, लेकिन बाद में उसके खिलाफ आरोप हटा दिए गए थे. खालिस्तान आंदोलन की वकालत करने वाले परमार की बाद में 1992 में पंजाब पुलिस के साथ मुठभेड़ में मौत हो गई.

सोशल मीडिया पर वायरल पोस्टर के अनुसार, कथित तौर पर ‘शहीद भाई तलविंदर सिंह परमार खालिस्तान कार रैली’ के लिए जिसे कनाडाई पत्रकार और ‘ब्लड फॉर ब्लड – फिफ्टी इयर्स ऑफ द ग्लोबल खालिस्तान प्रोजेक्ट’ किताब के लेखक टेरी मिलेवस्की ने ट्विटर पर शेयर किया है. 25 जून को एयर इंडिया बमबारी की बरसी के दो दिन बाद टोरंटो में कार्यक्रम आयोजित होने वाला है.

कथित पोस्टर में “1985 के कनिष्क बमबारी में भारत की भूमिका” की जांच की भी मांग की गई है. रैली टोरंटो के हंबर बे पार्क वेस्ट में बमबारी के पीड़ितों के लिए स्मारक पर समाप्त होने वाली है.

सिलसिलेवार ट्वीट्स में मिलेवस्की ने कहा, “यह सुनिश्चित करते हुए कि उनकी प्रतिष्ठा रॉक-बॉटम पर बनी रहे, कनाडाई खालिस्तानियों ने फिर से अपने पोस्टर बॉय के रूप में तलविंदर परमार को एयर इंडिया पर बमबारी करने वाले मनोरोगी के रूप में चुना है.”

मिलेवस्की ने कहा, “उसने 331 बेगुनाहों की हत्या बिना कुछ लिए की और – एक विचित्र मोड़ – वह अपने पीड़ितों के स्मारक पर सम्मानित किया जाएगा.”

पत्रकार-लेखक ने आगे आरोप लगाया, “कनाडा में बमबारी में ‘भारत की भूमिका की जांच’ की मांग करके कनाडा के अब तक के सबसे बड़े सामूहिक-हत्यारे को लीपापोती करने का यह एक और पागलपन भरा प्रयास है, लेकिन दशकों की जांच ने साबित कर दिया कि भारत की ऐसी कोई भूमिका नहीं थी और बम की साजिश का नेतृत्व परमार ने किया था. रैली झूठ फैलाने के लिए है.”

मिलेवस्की के ट्वीट के जवाब में चंडीगढ़ के एक बीजेपी नेता तजिंदर सिंह सरन ने लिखा, “इस भारत विरोधी रैली में आने वाले खालिस्तान समर्थक सभी की पहचान की जानी चाहिए और उनके पासपोर्ट रद्द कर दिए जाने चाहिए, और अगर कनाडाई नागरिक (रैली में जाते हैं) तो भारत में उनके प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए, भारत में उनकी संपत्तियों को जब्त कर लिया जाना चाहिए. इस पर ट्रूडो सरकार को कड़ा संदेश दिया जाना चाहिए.”


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खालिस्तानी आंदोलन और कनाडा

यह रैली कनाडा सहित कई देशों में भारतीय उच्चायोगों पर खालिस्तानी तत्वों द्वारा हमला किए जाने के महीनों बाद आई है. खबरों के अनुसार, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका में हुए हमलों की जांच करने के लिए तैयार है.

आगामी रैली में कथित “सम्मान” पहली बार नहीं है जब परमार को भारत के बाहर खालिस्तानी समर्थक तत्वों द्वारा सम्मानित किया गया है. 2019 में अमेरिका स्थित सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) ने उसके सम्मान में एक विज्ञापन जारी किया था. विज्ञापन एसएफजे द्वारा आयोजित “खालिस्तान जनमत संग्रह” से पहले साझा किया गया था.

2018 में कनाडा में न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) के नेता जगमीत सिंह से जब समाचार चैनल सीबीसी ने गुरुद्वारों में परमार के पोस्टर लगाए जाने के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा था, “व्यक्तिगत रूप से मुझे लगता है कि श्री परमार की तस्वीर का प्रदर्शन यह कुछ ऐसा है जो लोगों को फिर से आघात पहुंचाता है और चोट पहुंचाता है और घायल करता है जो अपने जीवन में उस नुकसान के संदर्भ में बहुत अधिक पीड़ित हैं.”

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से जब उसी वर्ष उनकी भारत यात्रा के दौरान देश के कुछ गुरुद्वारों में परमार के पोस्टर लगाए जाने की खबरों के बारे में पूछा गया था, तो उन्होंने कहा था, “मुझे नहीं लगता कि हमें सामूहिक हत्यारों का महिमामंडन करना चाहिए और मुझे इसकी निंदा करते हुए खुशी हो रही है.”

(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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