नई दिल्ली: वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन मानवता के लिए सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है. जंगल में आग, बदलते मौसम और प्रमुख फसलों का कम उत्पादन के कारण कई आर्थिक चुनौतियों का भी सामना करना पर रहा है. लेकिन एक रिसर्च से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन और तापमान बढ़ने के साथ पारस्परिक हिंसा और हत्याओं में वृद्धि देखी है.
जलवायु परिवर्तन के कारण हिंसा को लेकर पहले भी कई साक्ष्य मिल चुके हैं. कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक रिसर्च में दावा किया है कि उन्होंने दक्षिण मध्य एंडीज में 470 और 1500 ईस्वी के बीच जलवायु परिवर्तन के दौरान हिंसा में बढ़ोतरी का एक पैटर्न पाया है. उन्होंने कहा है कि तापमान बढ़ने और सूखा पड़ने के कारण एंडीज के राज्य में काफी मानवीय हिंसा हुई थी. जलवायु परिवर्तन और दक्षिण मध्य एंडीज में सीमित संसाधनों के लिए संभावित प्रतिस्पर्धा के कारण उस समय हाइलैंड्स में रहने वाले लोगों के बीच हिंसा हुई. उनके अध्ययन ने उस समय वहां रहने वाली आबादी के सिर की चोटों को देखा, जो पारस्परिक हिंसा के लिए पुरातत्वविदों के बीच आमतौर पर इस्तेमाल किया जाता था.
मानव विज्ञान विभाग के विकासवादी विंग के अध्यक्ष और रिसर्च के प्राथमिक लेखक थॉमस जे. स्नाइडर ने कहा, “हमने पाया कि वहां के लोगों के सिरों में चोटों में वृद्धि देखी गई.”
उन्होने कहा, “यह बताता है कि वर्षा में कमी के रूप में जलवायु परिवर्तन ने क्षेत्र में पारस्परिक हिंसा की दरों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है.”
अध्ययन 5 जून को क्वाटरनेरी रिसर्च, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस में प्रकाशित हुआ था. इसके सह-लेखक रान्डेल हास हैं, जो पूर्व में यूसी डेविस में उसी लैब में कार्यरत थे और वर्तमान में वेन स्टेट यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं.
तटीय, मध्य-ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हिंसा नहीं पाई गई
शोधकर्ताओं ने कहा कि तटीय और मध्य-ऊंचाई वाले क्षेत्रों में इस तरह के परिणाम नहीं देखने को मिले जो दर्शाता है कि उन्होंने जलवायु परिवर्तन के लिए अहिंसक समाधान चुना या इससे प्रभावित नहीं हुए. वहां खेती भी अधिक होती थी और आर्थिक विविधता भी थी, जो जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से अधिक प्रभावित नहीं हुआ. शोधकर्ताओं ने कहा कि हाइलैंड्स में अधिक सूखा पड़ने के कारण वहां हिंसा की संभावना अधिक दिखी.
स्नाइडर ने कहा कि वर्तमान जलवायु परिवर्तन चुनौतियों के संभावित प्रभावों और उनके जलवायु के साथ लोगों की बातचीत पर विचार करते समय प्रकृति के साथ लोगों की बातचीत के इतिहास को देखना महत्वपूर्ण है.
उन्होंने कहा, “हमारा निष्कर्ष इसकी पुष्टी करता है कि पहले से ही सीमांत वातावरण में रहने वाले लोग जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा प्रभावित होने की संभावना रखते हैं. पुरातात्विक अनुसंधान हमें यह अनुमान लगाने में मदद कर सकता है कि तेजी से बदलती जलवायु में अनिश्चित स्थिति में लोगों के सामने आने वाली चुनौतियों का सामना कैसे किया जाए.”
यूसी डेविस के शोधकर्ताओं ने 58 पुरातात्विक स्थलों पर पाए गए मनुष्यों के लगभग 3,000 कंकाल फ्रैक्चर के मौजूदा डेटा का विश्लेषण करके एंडीज में प्रारंभिक वर्षों के दौरान हुई हिंसा का पता लगाया.
शोधकर्ताओं ने कहा कि एंडीज का पुराना क्षेत्र चरम जलवायु परिवर्तनशीलता, अविश्वसनीय पुरातात्विक संरक्षण और मजबूत रिकॉर्ड को देखते हुए जलवायु परिवर्तन के प्रति मानवीय प्रतिक्रिया का अध्ययन करने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करता है. इस अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने पाया कि Quelccaya ग्लेशियर में वार्षिक बर्फ संचय में औसतन हर 10-सेंटीमीटर की कमी के लिए, पारस्परिक हिंसा की संभावना दोगुनी से अधिक हो जाती है.
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