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Friday, 22 November, 2024
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बालासोर ट्रेन हादसे की जांच के लिए पहुंची CBI की टीम, कांग्रेस बोली- असल सवाल से भटकाया जा रहा ध्यान

कांग्रेस ने कहा कि सरकार कह रही है कि दोषियों को दंड मिलेगा. सवाल यही है- 'कौन दोषी है?' CBI जांच के नाम पर देश का ध्यान भटकाया जा रहा है.

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भुवनेश्वर (ओडिशा) : सीबीआई के एक 10 सदस्यों की टीम मंगलवार को ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे की जगह पर पहुंची है. टीम 2 जून को हुए इस त्रासदी की जांच करेगी, जिसमें 275 लोगों की जान चली गई है. हादसे में मारे गए लोगों के शवों की पहचान जारी है. कांग्रेस ने इस दुर्घटना की सीबीआई से जांच कराने को ध्यान भटकाने की कोशिश बताया है और रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव की इस्तीफे की लागातार मांग कर रही है.

सीबीआई ने बाालसोर में दो पैसेंजर और एक मालगाड़ी के हादसे की जांच के लिए पहुंची है. केंद्रीय रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रविवार को कहा था कि रेलवे बोर्ड ने इस दर्दनाक हादसे की जांच के लिए सीबीआई से जांच की सिफारिश की थी.

मंत्री ने कहा था कि यह हादसा ‘इलेक्ट्रिक इंटरलॉकिंग में बदलाव’ की वजह से हुआ.

इलेक्ट्रिक इंटरलॉकिंग सिंगनल एक ऐसा उपकरण होता है जो ट्रैक पर ट्रेन के सुरक्षित आवाजाही में मदद करता है. यह सिस्टम जब तक रूट सुरक्षित न हो ट्रेन को सिगनल नहीं देता है. रेलवे भी इस दुर्घटना को लेकर जांच कर रहा है.

तीन अलग-अलग ट्रैक्स पर इस दुर्घटना में बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस, कोरोमंडल एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी चपेट में आई हैं. यह दुर्घटना बालासोर जिले के बहानागा बाजार स्टेशन पर हुई.

खरगे ने सीबीआई से जांच कराने पर उठाया है सवाल

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस दुर्घटना की सीबाआई जांच कराने की बात पर इसे ध्यान भटकाने की कोशिश बताया था. उन्होंने पीएम मोदी को पत्र लिखकर इसको लेकर सवाल किए थे.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस दुर्घटना की सीबीआई से जांच कराने पर सवाल उठाते हुए एक दिन पहले कहा था कि रेलवे में जो खामियां हैं उसे रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव स्वीकार नहीं कर रहे हैं वह सीबीआई जांच की बात कर रहे हैं जबकि यह एजेंसी क्राइम की जांच करती है न कि दुर्घटना की.

कांग्रेस ने कहा- सीबीआई से जांच के नाम पर भटकाया जा रहा ध्यान

उन्होंने पूछा है, ‘क्या रेलवे बोर्ड हर रोज ट्रेन मूवमेंट, सिग्नलिंग सिस्टम, ट्रैफिक और रेल पटरियों को मॉनिटर करता है? क्या जोनल व डिविजनल रेलवे में हर रोज मॉनिटरिंग होती है? क्या DRM, GM, रेल मंत्री मॉनिटर करते हैं? क्या PM ने रेलवे सेफ्टी-सिक्योरिटी के लिए 9 साल में एक बार भी मॉनिटरिंग की है?’

दास ने कहा, ‘सरकार कह रही है कि दोषियों को दंड मिलेगा. सवाल यही है- ‘कौन दोषी है?’ CBI जांच के नाम पर देश का ध्यान भटकाया जा रहा है. CAG रिपोर्ट में सामने आ चुका है कि 2017 से अब तक कितनी बार ट्रेन दुर्घटनाएं हुईं हैं. इस पर न प्रधानमंत्री ध्यान दे रहे और न रेलमंत्री.’

कांग्रेस अध्यक्ष ने मोदी सरकार से पूछे हैं सवाल

उन्होंने 4 जून के सिलसिलेवार किए ट्वीट में मोदी सरकार से सवाल पूछे थे.

खरगे ने लिखा था, ‘आज़ाद भारत के शायद सबसे दर्दनाक रेल हादसे पर मोदी सरकार से सवाल- विज्ञापनी PR हथकंडो ने मोदी सरकार के काम करने की प्रणाली को ख़ोखला बना दिया है.’

उन्होंने पहला सवाल किया कि रेलवे में 3 लाख़ पद खाली हैं, बड़े अधिकारियों के पद भी खाली हैं, जो PMO भर्ती करता है, उनको 9 सालों में क्यों नहीं भरा गया?

दूसरे सवाल में उन्होंने पूछा कि रेलवे बोर्ड ने हाल ही में खुद माना है कि मानव संसाधन की भारी कमी के कारण लोको पायलटों के लंबे समय तक काम करने के घंटे, दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या का मुख्य कारण हैं. फिर पद क्यों नहीं भरे गये?

तीसरा कि South Western Railway Zone के Principal Chief Operating Manager ने 8 फरवरी 2023 को मैसूर में एक त्रासदी जिसमें दो ट्रेनें भिड़ने से बच गई थी, उसका हवाला देते हुए सिग्नलिंग व्यवस्था को दुरुस्त करने का आग्रह किया था और चेतावनी दी थी. उस पर रेल मंत्रालय ने अमल क्यों नहीं किया?

चौथे सवाल में उन्होंने पूछा है कि संसदीय स्थायी समिति ने अपनी 323वीं रिपोर्ट में रेलवे सुरक्षा आयोग (CRS) की सिफारिशों के प्रति रेलवे बोर्ड द्वारा दिखाई गई ‘उपेक्षा’ के लिए रेलवे की आलोचना की थी. कहा था कि CRS केवल 8%-10% हादसों की जांच करता है, CRS को मज़बूती क्यों नहीं प्रदान की गई?

पांचवें सवाल में उन्होंने पूछा है कि CAG की ताज़ा ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, 2017-18 और 2020-21 के बीच 10 में से लगभग 7 रेल दुर्घटनाएं Train Derailment की वजह से हुईं. 2017-21 में East Coast रेलवे में सुरक्षा के लिए रेल और वेल्ड (Track Maintenance) का शून्य परीक्षण हुआ. उसको दरकिनार क्यों कर दिया गया?

छठे सवाल में उन्होंने सवाल उठाया है कि CAG के अनुसार राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष (RRSK) में 79% फंडिंग काम क्यों की गई, जबकि हर साल ₹20,000 Cr उपलब्ध करवाने थे.

सातवें सवाल में भारत के Research Designs and Standards Organisation (RDSO) द्वारा 2011 में विकसित ट्रेन टक्कर बचाव प्रणाली का नाम मोदी सरकार ने बदलकर ‘कवच’ कर दिया और मार्च 2022 में रेलवे मंत्री जी ने खुद इसका प्रदर्शन भी किया. फिर भी अब तक केवल 4% रूटों पर कवच क्यों?

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में वंदे भारत ट्रेन के उद्घाटन को लेकर तंज कसा है, ‘मोदी जी, आप आये दिन सफ़ेद की गई ट्रेनों को हरी झंडी दिखाने में व्यस्त रहते हैं पर रेल सुरक्षा पर कोई ध्यान नहीं देते. ऊपर से नीचे तक के पदों की जवाबदेही तय करनी होगी जिससे कि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को होने से रोका जा सके. तभी इस हादसे के पीड़ितों को न्याय मिलेगा.’

वहीं बिहार, मणिपुर, मिजोरम के कांग्रेस के प्रभारी व पूर्व भक्तचरण दास ने एक प्रेसवार्ता कर इस रेल दुर्घटना को लेकर तमाम सवाल उठाए हैं.


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