लखनऊ: उत्तर प्रदेश पुलिस ने शनिवार को कन्नौज से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद सुब्रत पाठक, उनके नौ समर्थक और 42 अज्ञात लोगों पर दंगा करने, एक लोक सेवक पर हमला करने और आपराधिक धमकी देने सहित अन्य आरोपों में मामला दर्ज किया.
अपहरण के एक मामले में भाजपा समर्थकों सहित कुछ लोगों को हिरासत में लेने को लेकर हुए विवाद के बाद सांसद और अन्य लोगों ने कथित तौर पर कन्नौज में स्थानीय पुलिसकर्मियों के एक समूह पर हमला किया था.
दिप्रिंट द्वारा एक्सेस की गई एफआईआर, कन्नौज की मंडी समिति पुलिस चौकी के प्रभारी उप-निरीक्षक हाकिम सिंह की शिकायत पर दर्ज की गई थी, जिन्होंने आरोप लगाया था कि सांसद अपने समर्थकों के कहने पर चौकी पर पहुंचे, उनका कॉलर पकड़ लिया और गाली-गलौज करते हुए धक्का-मुक्की एंव मारपीट की.
उप-निरीक्षक ने आरोप लगाया है कि सांसद के सहयोगियों ने तीन उप-निरीक्षकों और चार कांस्टेबलों सहित पुलिसकर्मियों के एक समूह की पिटाई की.
पाठक ने, हालांकि, दिप्रिंट को बताया कि उन्हें जानकारी मिली थी कि “पुलिस ने भाजपा समर्थकों के साथ दुर्व्यवहार किया था, जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी से एक, अनुसूचित जाति से एक और एक महिला शामिल थी.”
उन्होंने कहा, “जब मैं उधर से गुजर रहा था तो मुझे मंडी समिति पुलिस चौकी पर झगड़े की सूचना मिली और मैंने बीच-बचाव करने की कोशिश की और इसकी सूचना कन्नौज के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (अरविंद कुमार) को दी. एक भाजपा कार्यकर्ता को बिना किसी संलिप्तता के अपहरण के मामले में फंसाया गया था. इसकी सूचना जब एडिशनल एसपी को दी गई तो कार्यकर्ता को छोड़ दिया गया.”
एक पुलिसकर्मी का कॉलर पकड़कर पिटाई करने के आरोप में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर के बारे में पूछे जाने पर पाठक ने कन्नौज के एसपी कुंवर अनुपम सिंह पर प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दलों के करीबी होने का आरोप लगाया.
जब यह बताया गया कि उत्तर प्रदेश पुलिस भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के नियंत्रण में है, तो पाठक ने आरोप लगाया कि उनका नाम ‘जानबूझकर एफआईआर में जोड़ा गया’, और कहा कि ‘पार्टी (भाजपा) काम में बाधा नहीं डालती है सरकार.’
उन्होंने कहा कि मामले की जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए.
दिप्रिंट द्वारा संपर्क किए जाने पर, अतिरिक्त एसपी अरविंद कुमार ने कहा कि वह मामले पर टिप्पणी नहीं कर पाएंगे और दिप्रिंट को एसपी कुंवर सिंह से संपर्क करने का निर्देश दिया.
एसपी ने न तो फोन उठाया और न ही दिप्रिंट द्वारा भेजे गए संदेश का जवाब दिया.
एफआईआर भारतीय दंड संहिता की धारा 147 (दंगा), 148 (सशस्त्र हथियारों के साथ दंगा), 332 (स्वेच्छा से लोक सेवक को डराना), 353 (सरकारी कर्मचारी को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग), 504 (भड़काने के लिए जानबूझकर अपमान), 506 (आपराधिक धमकी), 427 (नुकसान पहुंचाने की कोशिश), और 225 (किसी अन्य व्यक्ति की वैध गिरफ्तारी में प्रतिरोध या बाधा), साथ ही आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम की धारा 7 (किसी व्यक्ति से छेड़छाड़ करना) के तहत मामला दर्ज किया गया.
यह भी पढ़ें: एंटी-ड्रग वार्ता, BJP नेताओं के साथ तस्वीरें, NCB और आर्यन के मसले के बाद समीर वानखेड़े के क्या हैं हाल?
अपहरण का मामला और क्या कहती है FIR
अपहरण का मामला कन्नौज के दो भाइयों दीपू और नीलेश यादव का है, जिनकी उन्नाव जिले के औरास में मोबाइल की दुकान है. कथित तौर पर इस जोड़ी का प्रभाकर कुशवाहा नामक एक व्यक्ति के साथ पैसों का विवाद था.
औरास थाने में दीपू द्वारा की गई शिकायत में आरोप लगाया गया है कि कुशवाहा ने नीलेश को उसके दोस्तों की मदद से अगवा किया और उसे कन्नौज लाया गया.
कथित तौर पर नीलेश को कन्नौज में टाइगर जिम के पास पाया गया था और उन्नाव पुलिस की एक टीम ने अपने कन्नौज समकक्षों की मदद से कुशवाहा, सागर शर्मा और तीन अन्य को मामले के सिलसिले में हिरासत में लिया था. इसके बाद उन्हें मंडी समिति पुलिस चौकी ले जाया गया.
जिसके बाद बात बढ़ गई.
दिप्रिंट के पास मौजूद एफआईआर के अनुसार, कुशवाहा और अन्य को हिरासत में लेने को लेकर पाठक के समर्थकों और पुलिस टीम के बीच विवाद के बाद मंडी समिति चौकी पर विवाद हुआ.
एफआईआर में सब इंस्पेक्टर हाकिम सिंह ने कहा है कि वह कन्नौज के सरायमीरा पुलिस चौकी के प्रभारी के साथ अपहरण मामले में नामजद आरोपियों को पकड़ने वाली उन्नाव पुलिस टीम की मदद करने के लिए स्थानीय टाइगर जिम में मौजूद थे.
एफआईआर के अनुसार उन्नाव पुलिस द्वारा पकड़े गए अभियुक्तों का विवरण नोट करने के लिए, हम मंडी समिति पुलिस चौकी पर आए, जब अवनीश (पाठक समर्थक कहा जाता है) चौकी में घुस गया और (पूछना) शुरू कर दिया कि आरोपी किसकी अनुमति से गिरफ्तार किया गया, जिसके बाद उन्हें रिहा करने के लिए कहा गया.
इसमें आगे कहा गया कि “जैसे ही (पुलिस) टीम आरोपी युवक को लेकर रवाना हुई, अवनीश, पुष्पेंद्र प्रजापति, नयन मिश्रा, विजय पांडे, सूरज राजपूत ने टीम को गालियां देनी शुरू कर दीं और पुलिस टीम के सदस्यों को धक्का दे दिया. जब सब-इंस्पेक्टर तरुण सिंह भदौरिया, हेमंत कुमार, चार कांस्टेबल रोहित लवानिया, सुभाष, लवी खारी और नीरज कुमार ने उन्हें रोकने की कोशिश की, तो उन्होंने पुलिस हिरासत से आरोपियों को छुड़ाने का प्रयास किया. वे गाली-गलौज करने लगे और धक्का-मुक्की भी करने लगे. जिसके बाद उन्नाव पुलिस की टीम मौके से रवाना हो गई.”
सब-इंस्पेक्टर ने एफआईआर में आरोप लगाया कि जल्द ही, अवनीश ने सांसद को फोन किया और उन्हें बताया कि मंडी समिति और सरायमीरा पुलिस चौकी के प्रभारियों ने गलत तरीके से उन्नाव पुलिस द्वारा ‘अपने परिचित लोगों को गिरफ्तार करवाया’.
एफआईआर में आगे कहा गया कि उन्होंने सांसद से पुलिस चौकी आने को कहा, नहीं तो वे पुलिस चौकी में आग लगा देंगे. हमें गालियां देते हुए उन्होंने सरायमीरा चौकी प्रभारी को फोन थमा दिया और सांसद से बात करने को कहा (जिन्होंने गालियां देते हुए हमें 15 मिनट के भीतर उन्नाव पुलिस टीम को वापस बुलाने को कहा या (उन्होंने कहा कि वह करेंगे) ) पुलिस चौकी में आग लगा देंगे. बाद में आनन-फानन में सांसद खुद अपने गनर के साथ पुलिस चौकी पहुंचे.
एफआईआर में कहा गया कि सांसद ने सब-इंस्पेक्टर हकीम सिंह के बारे में पूछा, उनकी ओर बढ़े, उनका कॉलर पकड़ लिया, गालियां देना और धक्का देना शुरू कर दिया. इसमें कहा गया है कि जब पुलिसकर्मी ने इसका विरोध किया तो सांसद ने उसकी पिटाई कर दी.
एफआईआर के अनुसार, “जब सब-इंस्पेक्टर तरुण सिंह भदौरिया, हेमंत कुमार और चार कांस्टेबल रोहित लवानिया, सुभाष, लवी खारी और नीरज कुमार ने मुझे बचाने की कोशिश की तो सचेत पांडे, पुष्पेंद्र प्रजापति, विजय पांडे, वासु मिश्रा, नयन मिश्रा, अवनीश, मोहित कठेरिया, जितेंद्र शुक्ला और 40-42 अज्ञात लोगों ने पुलिसकर्मियों को पीटा और गालियां दीं, जिससे शांति भंग हुई. कोतवाली थाने के थाना प्रभारी अजय अवस्थी के बल के साथ पहुंचने पर भी वे गाली-गलौज करते रहे और मारपीट करते रहे। इससे पुलिसकर्मियों की वर्दी तक फट गई थी.”
(संपादन: अलमिना खातून)
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: बृज भूषण सिंह इतने ताकतवर कैसे हो गए- दाऊद, बाबरी, टाडा जैसे मामलों से बच निकलते रहे