नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें लखनऊ विश्वविद्यालय में ज्योतिष विभाग के प्रमुख को निर्देश दिया था कि वह कथित रेप पीड़िता की ‘कुंडली’ की जांच कर बताएं कि वह मांगलिक है या नहीं. शीर्ष अदालत ने कहा कि इससे पीड़िता के निजता के अधिकार का हनन किया गया है.
एससी की विशेष बेंच ने मामले में स्वत: संज्ञान लिया और उत्तर प्रदेश सरकार और मामले से जुड़े वादी को नोटिस जारी किया. सुधांशु धूलिया की अध्यक्षता में इस विशेष बेंच ने कहा कि वे 23 मई को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ द्वारा पारित आदेश पर रोक लगाते हैं.
शीर्ष अदालत ने कहा कि वे नहीं समझ पा रहे हैं कि ज्योतिष के पहलू पर क्यों विचार किया गया. कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि मामले में अन्य चीजों के साथ लड़की की निजता के अधिकार का उल्लंघन हुआ है.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी शीर्ष अदालत से मामले पर रोक लगाने की अपील की, कहा कि हाईकोर्ट को इस मामले में ज्योतिष से जुड़ी बातें नहीं लानी चाहिए थी.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 23 मई को शादी करने का झांसा देकर कथित रेप मामले में आदेश पारित किया है. शीर्ष अदालत ने कहा कि इस स्टेज पर वे न्याय के हित में मामले के मेरिट को लेकर अभी कुछ नहीं कहना चाहते.
अदालत ने कहा कि मामला अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जा रहा है और इस पर फैसला इसकी मेरिट के आधार पर होगा. मामले से संबंधित पार्टियों को कोर्ट ने नोटिस जारी किया. इलाहाबाद एचसी में, आवेदन करने वाले की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता ने तर्क दिया कि अभियोक्ता मांगलिक है, लिहाजा शादी संपन्न नहीं हो सकती और इसलिए शादी से इनकार कर दिया गया.
वहीं दूसरी तरफ अभियोजक की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता विवेक कुमार सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष यह तथ्य पेश किया कि लड़की मांगलिक नहीं है.
मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि, ‘लखनऊ यूनिवर्सिटी के ज्योतिष विभाग के प्रमुख को तय करने दें कि लड़की मांगलिक है या नहीं और दोनों पक्ष लखनऊ यूनिवर्सिटी के ज्योतिष विभाग के प्रमुख को आज से 10 दिन के अंदर में कुंडली पेश करें.’
हाईकोर्ट ने लखनऊ यूनिवर्सिटी के इस विभाग के प्रमुख को कोर्ट में तीन सप्ताह के भीतर एक रिपोर्ट बंद लिफाफे में पेश करने को कहा था.
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