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Friday, 20 December, 2024
होमदेशइलाहाबाद हाई कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद मामले में मुस्लिम पक्ष को झटका, श्रृंगार गौरी की पूजा को लेकर चलता रहेगा केस

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद मामले में मुस्लिम पक्ष को झटका, श्रृंगार गौरी की पूजा को लेकर चलता रहेगा केस

मस्जिद परिसर की बाहरी दीवार पर मां श्रृंगार गौरी की पूजा करने का अधिकार मांगने के लिए पांच हिंदू महिलाओं ने वाराणसी अदालत के समक्ष मुकदमा दायर किया है.

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बुधवार को अंजुमन इंतेज़ामिया मस्जिद समिति – जो वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद का मैनेजमेंट करती है – द्वारा दायर एक पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दी है – मस्जिद परिसर में पूजा करने के लिए पांच हिंदू महिलाओं द्वारा दायर मुकदमे की पोषणीयता को चुनौती दी है.

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बुधवार को व्यवस्था दी कि वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में श्रृंगार गौरी और अन्य देवी देवताओं की नियमित पूजा अर्चना करने की अनुमति की मांग को लेकर पांच हिंदू महिलाओं की ओर से दायर वाद पोषणीय है.

यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर द्वारा अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद (एआईएम) की पुनरीक्षण याचिका खारिज करते हुए पारित किया. एआईएम ने वाराणसी की एक अदालत के उस आदेश को चुनौती देते हुए यह पुनरीक्षण याचिका दायर की थी जिसमें इस वाद की पोषणीयता को लेकर उसकी आपत्ति खारिज कर दी गई थी.

ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद ने हिंदू पक्ष के दावे का यह कहते हुए विरोध किया था कि निचली अदालत में यह वाद, पूजा स्थल कानून, 1991 के तहत पोषणीय नहीं है जोकि यह व्यवस्था देता है कि 15 अगस्त, 1947 को मौजूद किसी भी धार्मिक स्थल के परिवर्तन की मांग करते हुए कोई वाद दायर नहीं किया जा सकता.

वाराणसी के जिला जज ने 12 सितंबर, 2022 को एआईएम की वह दलील खारिज कर दी थी जिसमें पांच हिंदू वादकारियों द्वारा दायर मुकदमे की पोषणीयता को चुनौती दी गई थी. जिला जज ने कहा था कि पांच हिंदू महिलाओं द्वारा दायर वाद पूजा स्थल कानून, 1991, वक्फ कानून, 1995 और यूपी श्री काशी विश्वनाथ मंदिर अधिनियम, 1983 के प्रावधानों के दायरे में नहीं आता.

याचिकाकर्ता के वकील एसएफए नकवी ने अदालत में दलील दी थी कि हिंदू पक्ष का यह दावा कि उन्हें 1993 में ज्ञानवापी की बाहरी दीवार पर श्रृंगार गौरी और अन्य देवी देवताओं की पूजा करने से रोक दिया गया था, एक कृत्रिम दावा है और तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा 1993 में लिखित में ऐसा कोई आदेश पारित नहीं किया गया था.

उन्होंने यह दलील भी दी थी वह स्थान जहां ज्ञानवापी मस्जिद स्थित है, वह वक्फ की संपत्ति है. इसलिए किसी भी शिकायत के मामले में वक्फ ट्राइब्यूनल के समक्ष दावा पेश किया जाना चाहिए.

वहीं हिंदू पक्ष के वकीलों ने अपनी दलील में कहा कि पुराने नक्शों में ज्ञानवापी मस्जिद पर हिंदू देवी देवताओं की मौजूदगी प्रदर्शित होती है और हिंदू भक्त लंबे समय से श्रृंगार गौरी और अन्य देवी देवताओं की पूजा अर्चना कर रहे थे.

उन्होंने दावा किया कि वर्ष 1993 में तत्कालीन सरकार ने नियमित पूजा पर रोक लगा दी और भक्तों को महीने में केवल एक बार पूजा करने की अनुमति दी गई। इसलिए, वर्ष 1991 का कानून इन पर लागू नहीं होता.

उन्होंने यह भी कहा कि इसके अलावा, विवादित स्थान वक्फ की संपत्ति नहीं है.


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