नई दिल्ली: देश की 543 लोकसभा सीटों पर हजारों उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. लेकिन इन हजारों में चार चेहरे ऐसे हैं जो सोशल मीडिया की सनसनी हैं. यही नहीं, ये चारों अलग-अलग आदर्शों के हैं. कन्हैया कुमार, तेजस्वी सूर्या, चंद्रशेखर आजाद और राघव चड्ढा. ये युवा भी हैं और तेज-तर्रार भी. पढ़े-लिखे भी हैं और दमदार भी. एक लेफ्ट की राजनीति का प्रतिनिधित्व करता है तो दूसरा राइट की. एक दलितों की बात करता है तो दूसरा नई राजनीति की.
बेगुसराय लोकसभा सीट से कन्हैया कुमार
बिहार की बेगुसराय लोकसभा सीट लोकसभा सीट की सबसे चर्चित सीट में से एक है. यहां से भाजपा के गिरिराज सिंह और कम्युनिस्ट पार्टी के कन्हैया कुमार के बीच सीधा मुकाबला है. 31 साल के कन्हैया बिहार के बेगुसराय जिले के ही हैं. वह तब चर्चित हुए थे जब उनके खिलाफ जवाहर लाल नेहरूविश्व विद्यालय की एक रात भारत विरोधी नारे लगाने का वीडियो सामने आया. एक औसत किसान परिवार से ताल्लुक रखनेवाले कन्हैया की मां आंगनवाड़ी में काम करती हैं. जब कन्हैया की इस सीट से चुनाव लड़ने की बातें चली तो भाजपा उम्मीदवार गिरिराज सिंह ने यहां से चुनाव ना लड़ने की इच्छा जताई थी. लेकिन बाद में अमित शाह के कहने पर वह मान भी गए.
कन्हैया अपने बयानों को लेकर ज्यादातर विवादों में घिरे रहते हैं. कुछ दिन पहले कन्हैया को मधेपुरा से सांसद पप्पू यादव को समर्थन देने पर काफी आलोचना भी झेलनी पड़ी है. हालांकि उनकी पार्टी सीपीआई ने इस बात पर सफाई भी दी. कन्हैया का प्लस प्वाइंट है कि इनकी संवाद शैली शानदार है. उनका जेएनयू के प्रेसिडेंशियल डिबेट में दिया गया भाषण सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था. इन्हें अक्सर टुकड़े-टुकड़े गैंग से जोड़कर देशद्रोही कहा जाता है. गुजरात के जिग्नेश मेवानी से लेकर शेहला राशिद भी कन्हैया को अपना समर्थन दे रहे हैं. कन्हैया के लिए क्राउडफंडिंग कर चुनावी प्रचार में लगने वाले 70 लाख भी जुटाए जा चुके हैं. लेकिन जितना कन्हैया के पक्ष में कैंपेन हो रहा है उतना ही उनके खिलाफ भी प्रचार-प्रसार किया जा रहा है.
बिहार में जाति की राजनीति चरम पर है इस दृष्टि से देखें तो कन्हैया कुमार को बेगुसराय में भूमिहारों का समर्थन मिलने की पूरी उम्मीद है क्योंकि वह भी भूमिहार हैं. सोशल जस्टिस की बात करते हैं लेकिन लोगों का आरोप है कि कन्हैया ने 13 प्वॉइंट रोस्टर या फिर एससी/एसटी एक्ट पर खुलकर समर्थन नहीं दिया. इसलिए कुछ लोग कन्हैया कुमार को जातिवादी भी बता रहे हैं. उनका कहना है कि सोशल मीडिया का स्टार होना अलग बात है और बहुजन हित के लिए जमीनी लड़ाई लड़ना अलग.
बेंगलुरु साउथ लोकसभा सीट से तेजस्वी सूर्या
28 साल के तेजस्वी सूर्या को भाजपा ने बेंगलुरु साउथ संसदीय सीट से चुनावी मैदान में उतारा है. ये सीट पहले केंद्रीय मंत्री अनंतकुमार की थी. उनकी मृत्यु के बाद तेजस्वी को सीट दी गई है. और जब से इनके चुनाव लड़ने की खबरें आईं तबसे ही इनके सोशल मीडिया हैंडल से पुराने ट्वीट निकालकर इनके बारे में बात की जा रही है. हालांकि उनके पुराने ट्वीट आपत्तिजनक थे. तेजस्वी पेशे से वकील हैं. सूर्या के चाचा रवि सुब्रमाण्य बासावानागुड़ी से बीजेपी विधायक हैं. तेजस्वी की छवि खुलकर बोलने वाले शहरी युवा की है. वो अर्थशास्त्र से लेकर रक्षा और राष्ट्रवाद जैसे हर मुद्दे पर बोलते हैं. हाल में वो हाई कोर्ट से ऑर्डर निकलवाने में सफल रहे हैं जिसमें कुछ मीडिया संस्थानों को तेजस्वी के खिलाफ कुछ मामलों में लिखने से रोका गया है. कुछ दिन पहले तेजस्वी और कन्हैया कुमार के बीच टीवी की एक डिबेट सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही थी.
साउथ दिल्ली लोकसभा सीट से राघव चड्ढा
30 साल के राघव चड्ढा को आम आदमी पार्टी ने साउथ दिल्ली से लोकसभा चुनाव का टिकट दिया है. जबसे इन्हें टिकट मिला है सोशल मीडिया पर इन्हें लड़कियों से शादी के प्रपोजल्स आने लगे है. युवाओं में खूब पॉपुलर हैं. उनकी टीम ने मीडिया के सामने इन्स्टाग्राम, ट्विटर और मेल में आने वाले शादी के प्रपोजल्स का खुलासा किया. राघव फिलहाल चुनाव पर ही ध्यान केंद्रित रखना चाहते हैं.
राघव 2011 में चले इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन से जुड़े थे. उसके बाद सीए की नौकरी छोड़कर आम आदमी पार्टी से जुड़ गए. ये टीवी डिबेट्स में आम आदमी पार्टी का प्रतिनिधित्व बहुत शांत और कारगर तरीके से करते हैं.
वाराणसी लोकसभा सीट से चंद्रशेखर
2017 में यूपी के सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में दलितों और सवर्णों के बीच झड़प हुई थी. इस दौरान एक संगठन उभरकर सामने आया, जिसका नाम भीम आर्मी था. इसका गठन करीब 6 साल पहले किया गया था. इस संगठन के संस्थापक चंद्रशेखर. अपने नाम के साथ चंद्रशेखर ने ‘रावण’ लगाया हुआ था. हालांकि चुनाव से पहले रावण हटा लिया है. 31 साल के चंद्रशेखर ने वकालत की पढ़ाई की है. इसबार पीएम नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ वाराणसी से चुनाव लड़ रहे हैं.
लेकिन बसपा की सुप्रीमो मायावती इन्हें नापसंद करती रही हैं. हाल फिलहाल मायावती ने कहा है कि दलितों का वोट बांटने के लिए ही भाजपा ने चंद्रशेखर को वाराणसी से फील्ड किया है. लोगों ने इसे मायावती की असुरक्षा भी बताया है. चंद्रशेखर भी कन्हैया की तरह ही जोश से बोलते हैं.
वैसे चारों ही सोशल मीडिया स्टार्स की राहें आसान नहीं हैं. लेकिन ये तो मतदान की पेटी खुलने के बाद ही पता चलेगा कि जनता के लिए ये स्टार हैं या नहीं.