रानीपोखरी/देहरादून: 12 साल के नाबालिग छात्र को कथित तौर पर उसके दो सीनियर्स ने उसके हाथ और पैर को पाइप से बांधकर पहले बल्ले और स्टम्प से पीटा. उसके बाद उसे नग्न करके ठंडे पानी में डुबो दिया. उसके मुंह में ‘कुरकुरे’ और बिस्कुट ठूंस दिया, उसके बाद शौचालय के गंदे पानी से भरी बाल्टी की मदद से उसका गला दबा दिया.
देहरादून के रानीपोखरी जिले में होम एकेडमी सीनियर सेकेंडरी स्कूल के 12 वर्षीय कक्षा 7 के छात्र के लिए 10 मार्च को 6 घंटे सबसे ख़राब बीते. स्कूल के बॉयज हॉस्टल में 200 से अधिक छात्रों और चार स्टाफ सदस्यों में से कोई मौजूद नहीं था. महज 500 वर्ग गज में फैला एक दो-मंजिले परिसर में उसके चीखों को सुन जा सकता था. कुछ ही घंटों के भीतर स्कूल में नाबालिग छात्र की आंतरिक रक्तस्राव से मौत हो गई.
घटना के तीन हफ्ते बाद, दिप्रिंट ने मुख्य आरोपी के बयानों, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और चश्मदीद गवाह और 12 साल के छात्र की निर्मम हत्या के तह तक पहुंचा.
पुलिस जांच में दो मुख्य आरोपियों के बारे में कई नई जानकारियां सामने आईं. 19 साल का नाबालिग शुभंकर और 19 साल के ही लक्ष्मण के साथ ड्यूटी पर मौजूद हॉस्टल के तीन स्टाफ अशोक, शारीरिक शिक्षक, अजय, छात्रावास के वार्डन और स्कूल प्रशासन की तरफ से प्रवीण मेसिह थे, जिन्हें 23 मार्च को गिरफ्तार कर लिया गया था.
अशोक कुमार महानिदेशक लॉ एंड ऑर्डर, देहरादून ने कहा, ‘कक्षा 12 के दो छात्रों को हत्या और सबूतों को नष्ट करने के लिए गिरफ्तार किया गया है स्कूल और छात्रावास के कर्मचारियों को धारा 201 आईपीसी (सबूतों को गायब करना और स्क्रीन अपराधी को गलत जानकारी देना) के तहत गिरफ्तार किया गया था.
22 मार्च को पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद हत्या के मामले में गिरफ्तारी हुई थी.
पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक चिल्ड्रेन होम एकेडमी, एक मिशनरी स्कूल है जिसकी शुरुआत 1974 में चिल्ड्रेंस होम सोसाइटी नामक एक गैर-लाभकारी संस्था के तहत शुरू किया गया था. इसमें 400 से अधिक छात्र हैं – जिसमें छात्रावास में रहने वाले छात्र भी शामिल हैं और घर से प्रतिदिन आने वाले छात्र भी हैं. जबकि, छात्रावास केवल उन बच्चों के लिए हैं जिनके माता-पिता देशभर में कुष्ठ आश्रमों में रहते हैं, जबकि आसपास के गांवों से आने वाले बच्चे भी हैं. एकेडमी छात्रावास में रहने वाले बच्चों को मुफ्त शिक्षा, आश्रय और भोजन प्रदान करने का दावा करती है- लड़के लड़कियां दोनों को, और बाहर से आने वाले छात्रों को से न्यूनतम शुल्क लेते हैं.
दो मुख्य आरोपी एक पंजाब से है और दूसरा पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश का है दोनों कुष्ठ रोगियों के बच्चे हैं.
‘एक सबक’
उस दिन शुभांकर और लक्ष्मण, दोनों रूममेट्स कथित तौर पर दोपहर के समय नाबालिग को उसके कमरे के अंदर जबर्दस्ती रोक लिया. ग्राउंड फ्लोर पर बच्चे का कमरा नंबर 2 छात्रावास के प्रभारी के कार्यालय से कुछ मीटर की दूरी पर था.
दोनों ने नाबालिग की पिटाई शुरू कर दी. कथित तौर पर उसने स्कूल के बगल में एक किराने की दुकान से बिस्कुट का एक पैकेट चुराने की कोशिश की थी और दुकानदार द्वारा स्कूल अधिकारियों को इसकी शिकायत के बाद सभी छात्रों के लिए सजा तौर पर रविवार को उनके बाहर जाना रद्द कर दिया गया था.
दिप्रिंट ने दोनों मुख्य आरोपियों के बयान पढ़े जिसमें उन्होंने माना कि वे अपने रविवार के बाहर जाने का कार्यक्रम रद्द होने पर नाबालिग को ‘सबक’ सिखाना चाहते थे.
दोनों ने कहा कि वे स्टम्प और बैट लेकर नाबालिग के कमरे में गए और उसे पीटा. फिर वे उसे बास्केटबॉल कोर्ट में घसीट कर ले गए और उसे तब तक चक्कर लगाने को बोले जब तक कि वह थक न जाये.
मामले की जांच कर रहे अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘जब तक वह थक नहीं गया तब तक दोनों ने उसे बास्केट बॉल कोर्ट के कई चक्कर लगवाए. जब वह रुका तो उन्होंने उसके पैर पर बैट से मारा.
उन्होंने कहा ‘फिर वे छात्र को हॉस्टल की छत पर घसीट कर ले गए और उसे अपने पैरों और बाहों को एक पाइप से लपेटने के लिए कहा. डरे हुए छात्र ने उनके सभी बातों का पालन किया.’ जब उसने खुद को पाइप से लपेट लिया, तो उसके निचले शरीर – कूल्हे, जांघों, उसके पैरों के नीचे उन्होंने उसको पीटा.
‘गंदा पानी, राजमा चवाल, कुरकुरे’
अब इस मामले में एक चश्मदीद गवाह नाबालिग का रूममेट है जो उस समय छत पर मौजूद था. उसने पुलिस को बताया कि जब बच्चे ने पानी मांगा तो दोनों ने उसे छत पर टैंक में खींच लिया जिसमें गंदा पानी स्टोर होता है और उसे पीने के लिए मजबूर किया. उसके बाद दो सीनियर छात्रों ने कथित तौर पर उसे डाइनिंग हॉल में खींच लिया और उसे राजमा चावल खिलाया.
अधिकारी ने कहा ‘प्रत्यक्षदर्शी ने कहा कि नाबालिग पूरी तरह से थक गया था और चलने में असमर्थ था. उन्होंने दोनों को छोड़ने का अनुरोध किया, उसे कुछ आराम दिया, लेकिन उसकी कोई बात नहीं मानी.’
चश्मदीद गवाह और दोनों आरोपियों के बयान के अनुसार, दोनों ने नाबालिग को नंगा कर दिया और फिर उसके कूल्हे पर मारा. आरोपी के बयान के मुताबिक, ‘उसे फिर से छत पर ले जाते उससे पहले हमने उसे नहाने के लिए भी बुलाया और डाइनिंग हॉल में राजमा चावल दिया. इस बार यह दोनों नाबालिग को डाइनिंग हॉल की छत पर ले गए.
पुलिस के अनुसार, उन्होंने नाबालिग की जेब से कुछ पैसे निकाले और एक जूनियर को ‘कुरकुरे’ और बिस्कुट लाने को कहा.
अधिकारी ने कहा, ‘उन्होंने कुरकुरे और बिस्कुट के पैकेट के साथ नाबालिग के चेहरे को भर दिया, उसकी पिटाई की. जब नाबालिग ने पानी मांगा, तो उन्होंने एक जूनियर से शौचालय से एक बाल्टी पानी लाने को कहा. बयान में उन्होंने माना है कि तब तक वे नाबालिग के चेहरे को बाल्टी के अंदर दबा रखा जब तक कि वह सांस लेने के लिए तड़पने नहीं लगा. जांच अधिकारी ने कहा, ‘उन्होंने स्वीकार किया कि वे नाबालिग को बोले कि पी ले जितना पानी पीना है’
उल्टी हुई , फिर मौत
6 घंटे बाद लगभग 6:30 बजे ‘स्टडी टाइम’ के लिए स्कूल की घंटी बजी और तो दोनों सीनियर छात्रों ने कथित तौर पर नाबालिग को फिर से मेस में ले गए.
जांच अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया ‘दोनों सीनियर्स ने नाबालिग को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी और उनसे शिकायत न करने के लिए कहा और उसे मेस में बैठा दिया. उन्होंने उसके चेहरे को साफ किया, उसके कपड़े ठीक किया और उसे एक कोने की सीट पर बैठा दिया’.
हॉस्टल वार्डन अजय, जब ड्यूटी पर थे, तब वह यह जांचने आये कि क्या छात्र पढ़ रहे हैं, तो उसने नाबालिग को एक कोने में सिर के बल बैठा देखा. फिर उन्होंने एक छात्र से पूछा कि क्या वह ठीक तो है? अधिकारी ने बताया कि जैसे ही नाबालिग उठा, उसने उल्टी की और बेहोश हो गया.
फिर नाबालिग को स्थानीय जॉली ग्रांट अस्पताल ले जाया गया. स्कूल के अधिकारियों का कहना है कि उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई, जबकि अस्पताल ने कहा कि आते ही उसे मृत घोषित कर दिया गया था.
एक दूसरे पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘पूछताछ में स्टाफ नर्स ने बताया कि नाबालिग की अस्पताल लाते समय ही मौत हो गई थी’.
शुभंकर और लक्ष्मण ने अपने बयान में माना है कि नाबालिग की मौत की खबर जब हॉस्टल तक पहुंची तो उन्होंने जिस स्टम्प से नाबालिग को पीटा था उसको कूड़े के ढेर में जला दिया था. जांच अधिकारी ने कहा कि पुलिस ने छात्रावास परिसर से आधा जला हुआ स्टम्प बरामद किया है.
‘गंभीर चोटें’
जबकि स्कूल के अधिकारियों ने इसे ‘फूड पॉइजनिंग’ के एक मामले का रूप देने की कोशिश की, दिप्रिंट को मिली पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उसके कूल्हे, जांघों और उसके पैरों के नीचे मामूली चोट समेत 17 चोटें लगीं थी.
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पता चलता है कि है, ’17वीं चोट जो कि कमर में लगी थी वहां किसी कठोर वस्तु से मारा गया था, जिसकी वजह से आंतरिक रक्तस्राव हुआ था. 16 अन्य चोटों में उसकी जांघों पर और पैरों के नीचे नीले निशान शामिल थे.
‘दोनों सीनियर्स ने उसे इस तरह से प्रताड़ित किया कि उसके चेहरे या ऊपरी शरीर पर कोई चोट का निशान दिखाई नहीं दे रहा था. जांच अधिकारी ने कहा कि उसके कूल्हे के पास, जांघों और पैरों के नीचे से घिसने के निशान थे.’
हालांकि स्कूल के एक अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर बताया कि ‘जब हमने अस्पताल में डॉक्टर से पूछा, तो उसने हमें बताया कि यह या तो फूड पॉइज़निंग या निमोनिया का मामला लगता है. उसके शरीर पर कोई बड़ी चोट के निशान नहीं दिख रहे थे, इसलिए डॉक्टरों ने कहा कि यह पॉइजनिंग है.
अस्पताल द्वारा डेथ मेमो जारी किए जाने के बाद शव को पोस्टमॉर्टम के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), ऋषिकेश ले जाया गया.
जब तक यह तय नहीं हुआ था कि शव को एम्स ऋषिकेश ले जाया जाएगा, तब तक स्कूल के अधिकारियों ने नाबालिग के पिता को सूचना देने की जरूरत नहीं समझी, जो उत्तर प्रदेश के हापुड़ में एक कुष्ठ आश्रम में रहते हैं.
मृत नाबालिक के पिता ने कहा ‘मेरे बेटे की मौत के बाद और उसके शव को ऋषिकेश ले जाने के कुछ घंटे बाद, मुझे बुलाया गया और बताया गया कि मेरा बेटा बीमार था. जब मैं ऋषिकेश पहुंचा, तो स्कूल के अधिकारियों ने मुझे बताया कि मेरा बेटा मर चुका है.
ईसाई कर्मकांडों के साथ दफनाया गया, अचेत पिता
दिप्रिंट से बात करते हुए, नाबालिग के पिता ने दावा किया कि नाबालिग का मृत शरीर सीधे स्कूल के अधिकारियों को सौंप दिया गया, जो उन्हें वापस हॉस्टल ले गए और उन्हें हॉस्टल के बगल में ईसाई रीति-रिवाजों के साथ दफना दिया.
हालांकि, स्कूल के अधिकारियों और पुलिस ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि पिता ने एक शपथ पत्र पर हस्ताक्षर किए है इस घोषणा के साथ कि वह अपने बच्चे के शव को हापुड़ ले जाने में असमर्थ थे और अगर उनके बेटे का अंतिम संस्कार भोगपुर गांव में किया जाता है, तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी.
जांच अधिकारी ने कहा कि नाबालिग का शव पोस्टमॉर्टम करने के बाद उसके पिता को सौंप दिया गया था, लेकिन ‘उनके पास इसे वापस लेने का कोई साधन नहीं था’.
उन्होंने कहा, ‘हमने उनसे कहा कि हम गाड़ी और उनके अंतिम संस्कार की व्यवस्था करेंगे, लेकिन उन्होंने मना कर दिया. उसके बाद उन्होंने एक हलफनामे पर हस्ताक्षर किया और इसमें खुद एक आवेदन कहा था कि अगर उनके बेटे को भोगपुर ले जाया जाए तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है.
दिप्रिंट के पास हस्तलिखित आवेदन की एक प्रति और नाबालिग के पिता द्वारा हस्ताक्षरित शपथ पत्र मौजूद है. इसमें लिखा है ‘मैं अपने बच्चे को हापुड़ वापस ले जाने में असमर्थ हूं. मैं स्वेच्छा से चाहता हूं कि मेरे बेटे का अंतिम संस्कार चिल्ड्रेन होम भोगपुर में किया जाए. मुझे इससे कोई आपत्ति नहीं है और मैं संगठन पर सवाल नहीं उठाऊंगा या भविष्य में संस्था के खिलाफ जाने का कोई दावा नहीं करूंगा.’
हालांकि, पोस्टमॉर्टम के बाद, पिता ने कहा कि उन्हें कुछ कागजात पर हस्ताक्षर करने के लिए मज़बूर किया गया था. ‘मुझे नहीं पता कि उन्होंने मुझे हस्ताक्षर करने के लिए क्यों कहा. उन्होंने सिर्फ मुझे अपने हस्ताक्षर करने को कहा और मैंने किया. मैं अकेला था, दुःख में था और समझ नहीं आ रहा था कि क्या करू. उन्होंने फिर मेरे बेटे को लिया और उसे दफना दिया.’
अवैध रूप से चल रही एकेडमी
निर्मम घटना की सूचना मिलने के बाद उत्तराखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एससीपीसीआर) प्रमुख उषा नेगी ने निरीक्षण के लिए चिल्ड्रेन होम एकेडमी और उसके छात्रावास का दौरा किया. नेगी ने दिप्रिंट को बताया कि ‘हॉस्टल एक अनाथालय के रूप में पंजीकृत है जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए था. उनके पास स्कूल या हॉस्टल का कोई वैध कागजात नहीं है’.
उन्होंने कहा कि एससीपीसीआर ने पहले ही केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को विवरण के बारे में सूचित कर दिया है. हमने चार निरीक्षण किए हैं, जिसमें चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं.
एससीपीसीआर प्रमुख (नेगी) ने कहा कि निरीक्षण में उन्होंने पाया कि बच्चों को बेहद खराब गुणवत्ता वाला भोजन परोसा जाता था और उन्हें रसोई घर के अंदर काम करने व गंदे शौचालयों को साफ करने के लिए मजबूर किया जाता था.
नेगी ने कहा, ‘इसके अलावा, स्कूल या हॉस्टल के आम जगहों पर कोई भी सीसीटीवी कैमरा नहीं है. जब हमने उनसे स्कूल और छात्रावास के दस्तावेज देने के लिए कहा, तो उनके पास कोई जवाब नहीं था’.
‘आत्महत्या, बलात्कार’
बाल अधिकार निकाय प्रमुख ने भी यह आरोप लगाया कि ‘इसी एकेडमी द्वारा संचालित गर्ल्स हॉस्टल में एक लड़की ने आत्महत्या की थी’. नेगी ने कहा, ‘उसी लड़के के छात्रावास का एक लड़का पिछले साल लापता हो गया था, स्कूल से एक सामूहिक बलात्कार की भी जानकारी मिली थी, लेकिन पुलिस विभाग के अधिकारियों ने मामले को शांत कर दिया था.’
उन्होंने कहा कि ‘अब, जब से मैंने यहां ज्वाइन किया है तबे से इस मामले को अपने हाथ में लिया है. इसकी तह तक जाऊंगी’.
उन्होंने यह भी कहा, ‘वे एक स्कूल चला रहे हैं और पैसे के लिए सभी तरह की अवैध चीजें कर रहे हैं. वे मुफ्त शिक्षा देने का दावा करते हैं लेकिन यह सच नहीं है. बच्चों के अभिभावकों ने मुझे बताया कि वे अपने बच्चों के लिए हर महीने 3,500 रुपये का भुगतान करने के लिए मजबूर हैं.’
हालांकि, चिल्ड्रन होम एकेडमी के प्रशासक संजय कुमार ने नेगी के दावों को महज ‘आरोप’ बताया है. कुमार ने कहा ‘छात्रावास सभी के लिए निःशुल्क है, हम केवल आस-पास के इलाकों से आने वाले छात्रों से थोड़े शुल्क लेते हैं. यह कुष्ठ रोगियों के बच्चों की संस्था है. हम उन्हें यीशु और उनकी शिक्षाओं के बारे में सिखाते हैं’.
‘हमारा मिशन शिक्षा के माध्यम से राष्ट्र और मानव जाति की सेवा करना है और बच्चों में नैतिक मूल्यों का विकास करना है’.
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