नई दिल्ली: अभिनेत्री जिया खान की आत्महत्या के तकरीबन 10 साल बाद मुंबई की एक विशेष सीबीआई अदालत ने इस मामले में शुक्रवार को अपना फैसला सुनाते हुए अभिनेता सूरज पंचोली को बरी कर दिया.
अभिनेत्री जिया खान को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपों का सामना कर रहे अभिनेता सूरज पंचोली शुक्रवार सुबह अपनी मां के साथ सीबीआई कोर्ट पहुंचे थे.
मुंबई में विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश एएस सैय्यद ने कहा, सबूतों की कमी के कारण कोर्ट ने सूरज पंचोली को बरी किया है.
जिया खान 3 जून 2013 को अपने मुंबई के घर में मृत पाई गई थीं.
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत के न्यायाधीश ए एस सैय्यद ने पिछले हफ्ते मामले में दोनों पक्षों की अंतिम दलीलें सुनी थीं और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
अमेरिकी नागरिक जिया (25) तीन जून 2013 को अपने जुहू स्थित घर में मृत मिली थीं. पुलिस ने जिया की ओर से कथित तौर पर लिखे छह पन्नों के पत्र के आधार पर सूरज को गिरफ्तार कर लिया था और उन पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा-306 के तहत आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया था.
सीबीआई ने आरोप लगाया था कि मुंबई पुलिस द्वारा जब्त किया गया पत्र जिया ने ही लिखा था. जांच एजेंसी ने दावा किया था कि पत्र में सूरज के साथ जिया के अंतरंग संबंधों के साथ-साथ उनके कथित शारीरिक शोषण, मानसिक और शारीरिक यातना के बारे में बात की गई है, जिस वजह से उन्होंने खुदकुशी की.
इस मामले में अभियोजन पक्ष की प्रमुख गवाह और जिया की मां राबिया खान ने अदालत से कहा कि उनका मानना है कि यह हत्या का मामला है, न कि आत्महत्या का. बंबई हाई कोर्ट ने मामले की नए सिरे से जांच कराने की मांग वाली राबिया की याचिका को पिछले साल खारिज कर दिया था.
सूरज ने अदालत में अपने अंतिम बयान में दावा किया था कि जांच और आरोपपत्र झूठा है. उन्होंने कहा था कि शिकायतकर्ता राबिया खान, पुलिस और सीबीआई के कहने पर अभियोजन पक्ष के गवाहों ने उनके खिलाफ गवाही दी.
7 जून 2013 को मुंबई पुलिस ने जिया के घर से छह पेज का सुसाइड नोट बरामद किया था. 10 जून 2013 को सूरज पंचोली को जुहू पुलिस ने जिहा को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया था.
2 जुलाई 2013 को बॉम्बे हाई कोर्ट ने सूरज पंचोली को जमानत दे दी थी और 22 दिन जेल में बिताने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया था.
जुलाई 2014 में केस सीबीआई को सौंप दिया गया था. दिसंबर 2015 में, सीबीआई ने अदालत के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत की और मामले को आत्महत्या के लिए उकसाने का करार दिया. कुछ दिनों बाद राबिया ने मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित करने की मांग की थी
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