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Wednesday, 6 November, 2024
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आखिरी गेंद के बाद अंपायरों पर क्यों फूटा विराट कोहली का गुस्सा

गुरुवार को मुंबई इंडियंस के खिलाफ रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर को जीत के लिए आखिरी दो गेंद पर आठ रन चाहिए थे, लेकिन बैंगलोर 6 रन से हार गई.

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ये आईपीएल की किस्मत भी अजीब है. बगैर विवाद के इसका होना मुमकिन ही नहीं है. गुरुवार को मुंबई इंडियंस के खिलाफ रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर यानि विराट कोहली की टीम को जीत के लिए आखिरी दो गेंद पर आठ रन चाहिए थे. पांचवीं गेंद पर एबी डिविलियर्स ने एक रन लेकर स्ट्राइक शिवम दुबे को दी. उन्होंने आखिरी गेंद पर बड़ा शॉट खेलने की कोशिश की लेकिन वो एक रन ही बना पाए. इस तरह मुंबई इंडियंस ने इस मुकाबले को 6 रन से जीत लिया.

यहां तक की कहानी तो ठीक थी लेकिन अभी कुछ सेकेंड ही बीते थे जब टीवी स्क्रीन पर विराट कोहली का गुस्साया चेहरा दिखाई दिया. ये नाराजगी इसलिए थी क्योंकि लसिथ मलिंगा की वो आखिरी गेंद नो बॉल थी. जिसे अंपायरों ने नो बॉल नहीं दिया. अगर वो गेंद नो बॉल करार दी जाती तो मैच का नतीजा शायद कुछ और ही होता. अव्वल तो विराट की टीम को एक अतिरिक्त रन मिलता. साथ ही साथ फ्री-हिट मिलती. स्ट्राइक पर एबी डिविलियर्स पहुंच चुके होते. 41 गेंद पर 70 रन की पारी खेल चुके डिविलियर्स आखिरी गेंद पर छक्का लगाते तो यही बाजी बेंगलुरु के पाले में होती. फ्री-हिट पर वो दो सौ फीसदी किसी भी तरह का जोखिम ले सकते थे. विराट अंपायरों की इस गलती पर अपने गुस्से को जाहिर कर बैठे. आपको बताते हैं कि मैच के बाद उन्होंने क्या कहा.

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मैच के बाद इंटरव्यू में निकला विराट कोहली का गुस्सा | सोशल मीडिया

कुछ ऐसे फूटा विराट कोहली का गुस्सा

हम लोग आईपीएल खेल रहे हैं, क्लब क्रिकेट नहीं. आखिरी गेंद पर अंपायरों का फैसला बेतुका था. अंपायरों को अपनी आंख खोलकर रखनी चाहिए. वो अच्छी खासी नो-बॉल थी. नो-बॉल की सूरत में ये मैच बिल्कुल अलग ही होता. अंपायरों को और सतर्क रहने की जरूरत है.

दिलचस्प बात ये है कि मैच के बाद मुंबई के कप्तान रोहित शर्मा ने भी अंपायरिंग को लेकर नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा कि 19वें ओवर में बुमराह की एक गेंद को बेवजह ‘वाइड’ करार दिया गया. आपको बताते चलें कि गुरुवार को मुंबई बनाम दिल्ली के मैच में सीके नंदन और सुंदरम रवि अंपायरिंग कर रहे थे.

मैच के बाद आशीष नेहरा ने इस गलती के बारे में चौथे अंपायर से बात की, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी. नियमों के दायरे में बंधे अंपायर चाहते भी तो अपना फैसला बदल नहीं सकते थे.

तमाम तकनीकों पर फिर उठे सवाल

इस तरह की बड़ी गलतियों के बाद सबसे पहला सवाल तकनीक को लेकर उठता है. पिछले एक दशक में क्रिकेट के प्रसारण से लेकर हर पक्ष में तकनीक का रोल जबर्दस्त तरीके से बढ़ा है. डिसीजन रिव्यू सिस्टम है. तमाम अत्याधुनिक कैमरे हैं. बावजूद इसके इस तरह की बड़ी गलतियां होती हैं. जिसका असर सीधे सीधे मैच के नतीजे पर पड़ता है. प्लेऑफ तक पहुंचते पहुंचते मुंबई और आरसीबी दोनों ही टीमों को इस मैच के नतीजे से पड़ा फर्क समझ आएगा.

इससे पहले आर अश्विन की लेकर छिड़ी थी बहस

अभी आईपीएल शुरू हुए एक हफ्ता ही बीता है. अंपायरों की इस गलती से पहले भी सीजन का बड़ा विवाद हो चुका है. 25 मार्च को जयपुर में किंग्स इलेवन पंजाब और राजस्थान रॉयल्स के बीच मैच के दौरान पंजाब के कप्तान आर अश्विन ने राजस्थान के जोस बटलर को ‘मांकडिंग’ किया. ‘मांकडिंग’ आउट करने का वो तरीका है जो पूर्व दिग्गज भारतीय क्रिकेटर वीनू मांकड के नाम से जाना जाता है. इसमें नॉन स्ट्राइकर एंड पर खड़ा बल्लेबाज अगर गेंद फेंके जाने से पहले बार बार अपनी क्रीज छोड़ रहा है तो गेंदबाजी करने से पहले ही उसे आउट करने का प्रावधान है.

चुनिंदा मौकों पर ही सही लेकिन विश्व क्रिकेट में इससे पहले भी इस तरह के वाकये होते रहे हैं. हां, इतना जरूर है कि बहुत सारे खिलाड़ी बल्लेबाज को इस तरह आउट करने से पहले उन्हें एक बार चेतावनी देते हैं कि वो क्रीज न छोड़ें

अश्विन ने बगैर किसी चेतावनी के जब बटलर को आउट किया उसके बाद विवाद छिड़ गया. पहले एमसीसी ने इसे नियमों के दायरे में बताया. बाद में वो पलट भी गए. जितने मुंह उतनी तरह की बातें हुईं. बावजूद इसके बहुत से लोगों ने आर अश्विन का समर्थन भी किया. कुल मिलाकर विवादों के लिहाज से भी आईपीएल ने रफ्तार पकड़ना शुरू कर दिया है.

(शिवेंद्र कुमार सिंह खेल पत्रकार हैं. पिछले करीब दो दशक में उन्होंने विश्व कप से लेकर ओलंपिक तक कवर किया है. फिलहाल स्वतंत्र लेखन करते हैं.)

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