भुवनेश्वर: केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को भुवनेश्वर में जी-20 एजुकेशन वर्किंग ग्रुप की बैठक से पहले कहा कि छात्रों को नौकरी के लिए तैयार करने के लिए भारत को भविष्य के कौशल का खाका तैयार करने की ज़रूरत है.
‘‘फ्यूचर ऑफ वर्क’’ थीम पर आधारित बैठक में प्रतिभागी नए कौशल देखेंगे और इस चर्चा के 28 अप्रैल तक चलने की उम्मीद है.
प्रधान ने मंगलवार को भारत और सिंगापुर के प्रतिनिधियों के बीच एक बैठक के बाद कहा, ‘‘नौकरियों का भविष्य अभी के मुकाबले बहुत अलग होने जा रहा है और हमें छात्रों को नौकरी के लिए तैयार करने के लिए कौशल को मैप करने की ज़रूरत है.’’ बैठक में शिक्षा और कौशल विकास और उद्यमिता दोनों मंत्रालयों के अधिकारी शामिल हुए.
भारत ने विशेष रूप से अपने स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम में कौशल को शामिल करने के लिए सिंगापुर की पहल के बारे में चर्चा की. प्रधान ने कहा कि वह उन्हें भारतीय संदर्भ में आत्मसात करना सीख रहे हैं, भारत के पास बदले में पेशकश करने के लिए शैक्षिक तकनीक है.
अधिकारियों ने यह भी कहा कि सिंगापुर ने आजीवन सीखने और कौशल अप्रगेडेशन में बहुत अच्छा किया है.
हालांकि, सिंगापुर के साथ अभी तक किसी समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर नहीं किए गए हैं, अधिकारियों ने कहा कि भविष्य में संभावना को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता है.
स्कूल शिक्षा सचिव संजय कुमार ने कहा, “हम सीखना चाहते हैं कि सिंगापुर कैसे रीस्किलिंग और अप-स्किलिंग कर रहा है और इसे अपने देश में लागू करना चाहते हैं. अब जबकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत छठी कक्षा से कौशल की शुरुआत की जा सकती है, हम देखना चाहते हैं कि हम इस रणनीति को कैसे मजबूत बनाया जाए.”
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा के आलोक में चर्चाएं महत्वपूर्ण हैं जो कि शिक्षा और कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालयों ने इस महीने की शुरुआत में जारी की थीं. इसमें छात्रों के 10वीं कक्षा के बाद स्कूल छोड़ने और कौशल-आधारित पाठ्यक्रम में जाने के बारे में बात की गई है.
जी-20 की अगली बैठक मूलभूत साक्षरता और संख्या ज्ञान पर आधारित होगी और जून में पुणे में आयोजित की जाएगी.
(संपादनः फाल्गुनी शर्मा)
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