प्रयागराज: गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की मोती लाल नेहरू संभागीय अस्पताल के बाहर पुलिस हिरासत में गोली मारकर हत्या किए जाने के एक हफ्ते बाद, विशेष जांच दल (एसआईटी) ने एक होटल से दो मोबाइल फोन बरामद किए हैं, जहां तीनों आरोपी कथित तौर पर रुके थे.
अभी तक की जांच में यह सामने आया है कि आरोपी पूर्व योजना के तहत प्रयागराज पहुंचे थे और हत्याओं को अंजाम देने से दो दिन पहले घटनास्थल के पास एक होटल किराए पर लिया था.
प्रयागराज के काटजू रोड स्थित स्टे इन होटल के प्रबंधक मनोज कुमार ने दिप्रिंट को बताया कि पुलिस ने घटना के एक दिन बाद 16 अप्रैल को सड़क के किनारे कई होटलों के सीसीटीवी फुटेज को स्कैन किया और उनके होटल के फुटेज को अपने कब्जे में ले लिया.
पुलिस सूत्रों ने कहा कि आरोपी कथित तौर पर घटना से दो दिन पहले 13 अप्रैल की रात स्टे इन होटल पहुंचे थे और होटल की दूसरी मंजिल पर एक डबल बेड, एयर कंडीशन कमरे (203) में रुके थे.
सूत्रों ने कहा, “आरोपी के पास से अब तक दो मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं. हम उनसे इस बारे में और जानकारी मांग रहे हैं कि किसने उनकी मदद की.”
अधिकारी ने कहा कि जहां पुलिस ने पहले कहा था कि वे आरोपियों को हथियार हासिल करने में मदद करने में पश्चिमी यूपी के एक गैंगस्टर की भूमिका की पुष्टि कर रहे थे, वे हथियारों के स्रोत से संभावित दिल्ली लिंक की भी जांच कर रहे हैं.
दिल्ली के गैंगस्टर जितेंद्र गोगी के तुर्की निर्मित हथियारों के स्रोत होने की खबरों के बीच, प्रयागराज के एक पुलिस अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि आरोपियों ने गोगी के नाम की पुष्टि की है. अधिकारी ने कहा, “तीनों ने गोगी का जिक्र किया है, हालांकि उनके बयानों की पुष्टि की जा रही है.”
पुलिस सूत्रों ने पुष्टि की कि कम से कम दो शूटर- मोहित उर्फ सनी सिंह और लवलेश तिवारी एक-दूसरे को पिछले कुछ समय से जानते हैं.
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कानपुर के आर्म्स डीलर-अपराधी बाबर ने मुहैया कराए थे हथियार?
एक अन्य घटनाक्रम में, कानपुर पुलिस ने उन खबरों को “झूठा” करार दिया है जिनमें दावा किया गया था कि आरोपियों ने कुख्यात अपराधी बाबर से अपना एक हथियार मंगवाया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बाबर ने कथित तौर पर पिछले साल कानपुर में हुई हिंसा के आरोपियों को हथियार भी सप्लाई किए थे. वह डी2 गिरोह का सक्रिय सदस्य है और उसके खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हैं.
कानपुर पुलिस कमिश्नरेट ने ट्विटर पर जारी एक बयान में कहा, “सभी से अनुरोध है कि इस तरह की भ्रामक और निराधार खबरों पर ध्यान न दें और किसी भी तरह के झूठे संचार से बचें.”
इस बीच, कुछ न्यूज रिपोर्टंस ने दावा किया कि अतीक-अशरफ हत्याकांड में कम से कम दो और व्यक्ति शामिल थे, जिसे पुलिस ने झूठा बताया. दिप्रिंट से बात करते हुए, एसपी (नगर) के जनसंपर्क अधिकारी, मनीष यादव ने कहा, “यह एक झूठी रिपोर्ट है.”
सियासी घमासान
इस बीच, लखनऊ में, यूपी के अल्पसंख्यक मामलों, पशुपालन और डेयरी मंत्री धर्मपाल सिंह ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि हत्याओं के पीछे विपक्ष है. शनिवार को लखनऊ में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए मंत्री ने कहा, “हकीकत यह है कि अतीक-अशरफ की हत्याओं के पीछे विपक्ष का हाथ था क्योंकि कुछ गंभीर राज सामने आने वाले थे, इसलिए उन्होंने हत्याओं को अंजाम दिया.”
हालांकि, मंत्री पर निशाना साधते हुए समाजवादी पार्टी ने कहा कि यह सरकार ही है जो हत्याओं के लिए जिम्मेदार थी. सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने दिप्रिंट से बता करते हुए इसे गैरजिम्मेदाराना बयान बताते हुए कहा, “वह झूठ बोल रहा है. हत्याएं पुलिस हिरासत में हुईं और घटना के समय दोनों को हथकड़ी लगाई गई थी. इसके (हत्याओं) के लिए सरकार जिम्मेदार है.”
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